मंगलवार, दिसम्बर 3, 2024
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नफरत और हिंसा के खिलाफ शांति और भाईचारा के पक्ष में नागरिक समाज ने निकाला शांति मार्च

रायपुर (पब्लिक फोरम)। नागरिक समाज के बैनर तले रायपुर के नागरिकों ने आज बाबा साहब अंबेकर की जयंती पर उनकी प्रतिमा से आजाद चौक, गांधी प्रतिमा तक प्रदेश में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की संघ-भाजपा की कोशिशों का तीव्र प्रतिवाद करते हुए मोहब्बत और भाईचारा का पैगाम देते हुए शांति के पक्ष में शांति मार्च निकाला।
समाज के लगभग प्रत्येक वर्ग के प्रबुद्ध जन इसमें हिस्सा लिए और एक स्वर से साजा के बीरनपुर गांव में हुई घटना को सांप्रदायिक रंग देकर पूरे प्रदेश का माहौल खराब करने की वीएचपी, संघ व बीजेपी की कोशिश की कड़ी निन्दा की ।

छत्तीसगढ़ जैसे शांति के टापू में घृणा, हिंसा और नफरत फैलाने की कोशिश का पुरजोर विरोध करते हुए इस मार्च में शामिल प्रबुद्ध जनों ने क्षुद्र चुनावी हितों के लिए प्रदेश के शांतिपूर्ण वातावरण को दूषित करने के प्रयासों को समाज के सभी वर्ग के लोगों से एकजुट होकर ऐसी कोशिशों को परास्त करने और मोहब्बत का पैगाम पंहुचाने की अपील की ।

कभी कवर्धा तो कभी सुकमा तो कभी नारायणपुर तो कभी साजा की घटनाएं प्रदेश के सभी शांतिकामी और आम जनता के लिए गंभीर चिंता का विषय है ।यह वास्तव में प्रदेश की शांति को ही नष्ट करने का प्रयास है जिसे कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता है । नागरिक समाज ने प्रदेश को किसी सूरत में विभाजनकारी राजनीति की प्रयोगशाला न बनने देने का संकल्प लेते हुए प्रदेश भर में ऐसे मार्च आयोजित करने का आव्हान किया । नागरिक समाज का यह दृढ़ मत था कि गांधी के हत्या के नायक गोडसे की विचारधारा को महिमा मंडित करते हुए प्रदेश के अमन और भाईचारे को किसी सूरत में कलुषित नहीं होने दिया जाएगा और न ही कारपोरेट, सांप्रदायिक गठजोड़ की इस मुहिम को सफल होने दिया जाएगा।

यह शांति मार्च संविधान बचाओ-देश बचाओ, भाई-भाई नही लड़ेगा, सांप्रदियकता मुर्दाबाद के नारे के साथ अंबेडकर प्रतिमा से मार्च कर गांधी प्रतिमा तक पहुंची, जहां सैकड़ों लोगो का हुजूम ने इकट्ठा होकर देश के धर्मनिरपेक्ष चरित्र और संविधान की रक्षा के साथ ही महात्मा गांधी के अहिंसा की हर हाल में हिफाजत का संकल्प लिया गया । इसके साथ ही सभी नागरिकों ने सांप्रदायिकता को परास्त करने और प्रदेश की आबो हवा को शांत रखने की सौगंध ली।

सभा को डॉ राकेश गुप्ता ने संबोधित किया तथा धर्मराज महापात्र ने सभी का आभार प्रकट किया।

शांति मार्च में किसान, मजदूर नेताओं, वाम दलों के नेता, सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षक, प्रोफेसर, रंगकर्मी, लेखक, छात्र, दलित संगठनों तथा समाज के सभी हिस्से के लोग बड़ी संख्या में शामिल थे । शांतिमार्च में हिस्सा लेने वालों में प्रमुख रूप से वरिष्ठ पत्रकार दिवाकर मुक्तिबोध, डा राकेश गुप्ता, धर्मराज महापात्र, राजकुमार सोनी, सौरा यादव, अखिलेश एडगर, एम के गौरी, ईश्वर सिंह दोस्त, प्रोफेसर एल एस निगम, मिन्हास असद, अरुण काठोटे, हरजीत जुनेजा, राजीव गुप्ता, नौमान अकरम, मोहन वारल्यानी, उचित शर्मा, विनोद तिवारी, एम के नंदी, डा राजेश अवस्थी, प्रदीप मिश्र, प्रदीप गभने, डा आलोक वर्मा, अजय कन्नोजे, साजिद राजा, नवीन गुप्ता, डॉ सत्यजीत साहू, एच पी साहू, परवेज सैयद, धनेश जोशी, तेजेंद्र जग्गी, बी वी रवि कुमार, अंकित बागबाहरा, महेंद्र कोचर, विजय चोपड़ा, पी सी रथ, कैलाश वनवासी, नंदन, रुचिर गर्ग, नंदकुमार कंसारी, अरुण पन्नालाल, लखन सुबोध, मनोज बोरकर सहित सैकड़ों लोग शामिल हुए।

शांति मार्च के सफल आयोजन मे पीपल फॉर इंडिया फोरम / ऑल इंडिया पीपल्स फोरम / पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़ / छत्तीसगढ़ नागरिक संयुक्त संघर्ष समिति / दलित शोषण मुक्ति मंच / आदिवासी एकता महासभा / जाति उन्मूलन आंदोलन / छत्तीसगढ़ प्रोग्रेसिव क्रिश्चियन अलाएंस / मुस्लिम इंटेलेक्चुअल फोरम आदि वाम जनवादी तथा नागरिक संगठनों की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

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