रांची, झारखंड (पब्लिक फोरम)। प्रतिरोध की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध संगठन जन संस्कृति मंच (जसम) का 17वां राष्ट्रीय सम्मेलन 12 और 13 जुलाई को रांची के पुरुलिया रोड स्थित सोशल डेवलपमेंट सेंटर में आयोजित होने जा रहा है। इस महत्वपूर्ण आयोजन में देशभर से पांच सौ से अधिक लेखक और संस्कृतिकर्मी भाग लेंगे, जिनमें छत्तीसगढ़ के कई जाने-माने रचनाकार और संस्कृतिकर्मी भी शामिल होंगे।
इस सम्मेलन में छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रमुख नामों में नामचीन आलोचक सियाराम शर्मा, दीपक सिंह, कामिनी त्रिपाठी, कथाकार और उपन्यासकार कैलाश बनवासी, समीर दीवान, कवयित्री रूपेंद्र तिवारी, डॉ. संजू पूनम, एन पापा राव, विद्याभूषण, जन कवि वासुकी प्रसाद उन्मत, बृजेन्द्र कुमार तिवारी, आलोचक इंद्रकुमार राठौर, अजय शुक्ला, लोक गायिका सुनीता शुक्ला, असीम तिवारी, आदित्य सोनी, निहाल सोनी, संस्कृति कर्मी सुलेमान खान, मुदित मिश्र और राजकुमार सोनी सहित कई अन्य रचनाकार शामिल हैं।
सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य फासीवाद की विभाजनकारी संस्कृति के खिलाफ जनता को एकजुट करने के तरीकों पर गहन मंथन करना है। देशभर के प्रतिबद्ध लेखक और संस्कृतिकर्मी इस विषय पर विचार-विमर्श करेंगे।
इस दो दिवसीय आयोजन में देश के प्रतिष्ठित प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित किताबों के स्टॉल लगाए जाएंगे, साथ ही चित्रकारों द्वारा बनाई गई कविताओं की पोस्टर प्रदर्शनी भी दर्शकों के लिए उपलब्ध होगी। जसम की विभिन्न इकाइयों द्वारा मनमोहक सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी देखने को मिलेंगी।
सम्मेलन में कई नामचीन हस्तियां भी विशेष रूप से उपस्थित रहेंगी, जिनमें “रेड एंड ड्रीम”, “जश्न-ए-आज़ादी”, “वर्ड्स ऑन वाटर”, “प्रदक्षिणा” तथा “पंजाब: दूसरा अध्याय” जैसी चर्चित फिल्मों के निर्देशक संजय काक, कथाकार और उपन्यासकार रणेंद्र, योगेंद्र आहूजा, देश की अग्रणी बुद्धिजीवियों में शामिल नवशरण कौर, सामाजिक और वैज्ञानिक अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज, वृत्तचित्र निर्माता मेघनाथ, बीजू टोप्पो, आलोचना पत्रिका के संपादक आशुतोष कुमार और प्रणय कृष्ण शामिल हैं। यह सम्मेलन देश में प्रतिरोध की संस्कृति को मजबूत करने और फासीवादी ताकतों के खिलाफ एकजुटता प्रदर्शित करने का एक महत्वपूर्ण मंच साबित होगा।
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