पटना (पब्लिक फोरम)। बिहार की लोक संगीत की कोकिला, प्रसिद्ध गायिका शारदा सिन्हा का 72 वर्ष की आयु में निधन हो गया। शारदा जी बीते कुछ समय से बीमार चल रही थीं और दिल्ली के एम्स अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। उनके बेटे अंशुमान सिन्हा ने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से उनके निधन की सूचना दी, जिसने संगीत प्रेमियों को गहरे शोक में डुबो दिया। शारदा सिन्हा ने अंतिम सांस छठ पूजा के पहले दिन यानी नहाय-खाय के अवसर पर ली, जो उनके अनगिनत चाहने वालों के लिए भावुक करने वाला संयोग है।
शारदा सिन्हा के स्वास्थ्य को लेकर उनके बेटे ने सोमवार को जानकारी साझा करते हुए बताया था कि उनकी माँ को वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया है और उनकी हालत गंभीर है। उनके प्रशंसकों ने सोशल मीडिया पर प्रार्थनाओं और दुआओं की बाढ़ ला दी थी, लेकिन उनके बेहतर होने की उम्मीद अधूरी रह गई।
लोक संगीत की दुनिया में अमिट छाप छोड़ने वाली शारदा सिन्हा का योगदान
साल 2018 में पद्म भूषण से सम्मानित शारदा सिन्हा ने लोक संगीत को देश-विदेश तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। खासतौर पर छठ महापर्व के गीत ‘हो दीनानाथ’ ने उन्हें हर घर का नाम बना दिया। शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर 1952 को बिहार के सुपौल जिले के हुलसा गाँव में हुआ था। उनकी मधुर आवाज़ और सहज अंदाज ने उन्हें ‘बिहार कोकिला’ का खिताब दिलाया। इसके अलावा उन्हें भोजपुरी कोकिला, भिखारी ठाकुर सम्मान, बिहार रत्न, और मिथिला विभूति जैसे अनेक सम्मान भी मिले।
शारदा जी ने भोजपुरी, मगही और मैथिली भाषाओं में अनेक विवाह और छठ के गीत गाए, जो आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं। उनके गाए गए गीतों में बिहार की मिट्टी की महक और पारंपरिक लोक संस्कृति की झलक मिलती है, जिससे वे आम लोगों से जुड़ी रहीं।
स्वास्थ्य में गिरावट के बाद एम्स में भर्ती
पिछले कुछ दिनों से एम्स में भर्ती शारदा सिन्हा की हालत सोमवार की शाम को गंभीर हो गई थी, जिसके बाद उन्हें आईसीयू में स्थानांतरित किया गया और फिर वेंटिलेटर पर रखा गया। ऑक्सीजन लेवल कम हो जाने से उनकी स्थिति नाजुक हो गई थी, और उन्हें मल्टीपल ऑर्गन डिस्फंक्शन का सामना करना पड़ा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनके स्वास्थ्य के प्रति चिंता जताते हुए उनके बेटे अंशुमान सिन्हा से फोन पर बातचीत की थी और शारदा जी के इलाज में हर संभव सहायता का आश्वासन दिया था। प्रधानमंत्री की यह संवेदना उनके प्रति पूरे देश के सम्मान को दर्शाती है।
छठ के गीतों में हमेशा रहेंगी जीवित
लोक गायिका शारदा सिन्हा का निधन केवल एक कलाकार की विदाई नहीं है, बल्कि यह लोक संगीत के एक अध्याय का अंत है। उनके गीत और उनकी सादगी उनके चाहने वालों के दिलों में हमेशा जीवित रहेंगे। बिहार की संस्कृति और परंपराओं को विश्व पटल पर पहचान दिलाने वाली इस महान गायिका को उनकी आवाज़ के लिए हमेशा याद किया जाएगा। उनके गाए गीतों के माध्यम से वे छठ महापर्व पर आने वाली पीढ़ियों में जीवित रहेंगी।
शारदा जी का निधन बिहार और देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनके संगीत में प्रेम, भक्ति, और समर्पण का ऐसा संचार है जो आने वाले समय में भी हर मन को स्पर्श करता रहेगा।
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