मंगलवार, दिसम्बर 3, 2024
होमनई दिल्लीरोजी-रोटी और बराबरी चाहिए युद्ध नहीं शांति चाहिए: ऐपवा

रोजी-रोटी और बराबरी चाहिए युद्ध नहीं शांति चाहिए: ऐपवा

नफरत, दमन, उन्माद और कट्टरपंथ के खिलाफ आगे बढ़ो !
आजादी, प्रेम, बहनापा, बराबरी और सम्मान की दावेदारी मजबूत करो !
रूस यूक्रेन पर हमला बंद करो, अमेरिका-नाटो अपनी विस्तारवादी साजिश बंद करो !

नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। आज 8 मार्च अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस है जो हमें अपने नागरिक अधिकारों को हासिल करने की क्रांतिकारी विरासत की याद दिलाता है और अपनी जिन्दगी के सवालों के बुनियादी कारणों की पड़ताल की ताकत और हौसला देता है। अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) ने कहा है कि यह दिन महिलाओं के आर्थिक अधिकार, सामाजिक गरिमा व राजनीतिक न्याय हासिल करने के संघर्ष का प्रतीक है। श्रमिक महिलाओं की लड़ाई से उर्जा लेकर इस दिन महिलाओं ने दुनिया भर में साम्राज्यवाद और युद्धों के खिलाफ शांति, खुशहाली और रोटी के लिए बड़े-बड़े आंदोलन किए हैं और कई जीतें हासिल की हैं।

लेकिन, आज के महिला-विरोधी लूटतंत्र में, संघर्ष से हासिल हमारे ये अधिकार खतरे में हैं और पूरी दुनिया में महिलाएं अपने अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ रही हैं. पूंजी, धर्म, सत्ता, सामंत का गठजोड़ अपनी पूरी ताकत से अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की मूल भावना व चेतना को ओझल करने की कवायद में लगा हुआ है। अपने देश की बात करें तो मजदूर महिलाएं सरकार द्वारा पारित श्रम कानूनों के खिलाफ लड़ रही हैं. आंगनवाड़ी- स्कीम वर्कर्स लड़ रही हैं कि उन्हें कर्मचारी की मान्यता और न्यूनतम वेतन मिले. स्वयं सहायता समूहों व माइक्रो फायनांस संस्थाओं से छोटे कर्ज लेने वाली महिलाएं कर्ज माफी, ब्याज दरों को कम करने, अपने रोजगार के लिए ट्रेनिंग, बाजार और अन्य राहतों की मांग कर रही हैं।

लेकिन आज जब देश की महिलाएं रोजगार या अपने अन्य अधिकार मांगती हैं, अपनी इच्छा और अपने तरीके से जीवन जीना चाहती हैं तब कट्टरपंथी सत्ता मातृशक्ति की पूजा करने का ढकोसला कर महिलाओं पर होनेवाले हर किस्म के जातीय दमन, हिंसा व उत्पीड़न को संस्कृति के नाम पर जायज ठहराती है। स्कूल-कालेजों, कार्यालयों,फैक्ट्रियों या कार्यस्थलों पर महिलाओं के साथ भेदभाव, यौन उत्पीड़न व सांस्थानिक हत्या का विरोध करने पर महिलाओं की आवाज को दबाने के लिए तरह-तरह के कुतर्क व हथकंडे अपनाये जाते हैं। आज उत्पीड़कों व अपराधियों को मिल रहा संरक्षण साफ दिखाता है कि महिलाओं में बढ़ रही संघर्ष की चेतना को हर तरह से रोक देने की कोशिशें हो रही हैं।

महिला उत्पीड़कों को यह सरकार कितनी निर्लज्जता से संरक्षण दे रही है इसका ताजा उदाहरण हमलोगों ने देखा कि बलात्कारी- हत्यारे ‘बाबा’ रामरहीम को जेल से निकाल कर जेड प्लस सुरक्षा दे दी गई ताकि वह विधानसभा चुनावों में भाजपा को वोट डलवाए।

हाल ही में कर्नाटक राज्य के स्कूल-कालेजों में छात्राओं को हिजाब पहनकर आने पर रोक लगा दी गई. हिजाब पहनी एक छात्रा को रोकने के लिए कुछ उन्मादी छात्रों ने उसे घेरकर भगवा दुपट्टे हाथों में लहराते हुए जयश्री राम का नारा लगाते हुए उसके साथ बदसलूकी की। यह दु:साहस जनतंत्र व संविधान विरोधी कुकृत्य है। हमारे देश में अगर हिंदू छात्र अपनी धार्मिक पहचान-सिर पर चुटिया या छात्राएं बिंदी, सिंदूर, चूड़ियां पहनकर या सिक्ख छात्र पगड़ी बांधकर स्कूल जा सकते हैं तो सिर्फ मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनने (सिर ढंकने) से धर्म निरपेक्षता को खतरा कैसे हो जाता है? दरअसल यह मुसलमानों के साथ भेदभाव और हेट क्राइम (घृणा अपराध) है।

कर्नाटक सरकार के मंत्री- विधायकों ने ही नहीं बल्कि देश के कई भागों में भाजपा आरएसएस नेताओं ने इस घृणा अपराध को बढ़ाने की कोशिशें कीं लेकिन आम लोगों और महिलाओं का समर्थन इन्हें नहीं मिला है क्योंकि लोग आज समझने लगे हैं कि हिजाब साम्प्रदायिक मनुवादी पितृसत्ता की पोषक ताक़तों के लिए नया बहाना है, जिसके द्वारा मुस्लिम महिलाओं पर छुआछूत/रंगभेद के तर्ज़ पर अलगाव की नीति लागू किया जा सके और उन पर हमला किया जा सके.

बहनो, आज किसान-मजदूर महिलाएं हों या गृहणियां, सभी महंगाई से परेशान हैं। गैस सिलेंडर महंगा होता जा रहा है। बेरोजगारी चरम पर है। हर जगह अपराध और भ्रष्टाचार का बोलबाला है। आम जनता परेशान है और सरकार को यह डर है कि लोग सरकार से सवाल न पूछने लगें इसलिए उन्हें मुस्लिमों के खिलाफ खड़ा करने की लगातार कोशिश हो रही है। आम लोगों की बदहाली की कीमत पर मोदी सरकार खुलकर अंबानी-अडानी जैसे पूंजीपतियों और सुविधा प्राप्त मुठ्ठी भर लोगों की सेवा में लगी हुई है। यही इनकी हिंदुत्व की राजनीति है।
इसलिए, आइये, नफरत, हिंसा और उन्माद के खिलाफ तथा प्रेम, बहनापा और आज़ादी के लिए सक्रिय हस्तक्षेप कर तानाशाही सरकार की अलगाववादी व विभाजनकारी राजनीति को शिकस्त दें।
इस समय रूस ने युक्रेन पर हमला कर वहां की जनता को युद्द में धकेल दिया है। आइये, हम रूस से युक्रेन पर हमला बंद कर तत्काल युद्द को रोकने की मांग करें, हम अमेरिका और नाटो से भी मांग करें कि वह पर्दे के पीछे से अपनी विस्तारवादी साजिश बंद करे क्योंकि युद्ध से आम लोगों को तबाही और बर्बादी के सिवाय और कुछ हासिल नहीं होता।
भारत सरकार ने युक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को समय रहते स्वदेश लाने में आपराधिक लापरवाही बरती है जिसका नतीजा है कि रूसी हमले में एक भारतीय छात्र मारा गया है और कई छात्र लापता बताए जा रहे हैं. हम मांग करते हैं कि सरकार अपने नागरिकों को सुरक्षित वापस लाने का इंतजाम करे।

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