नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। ‘बुली बाई’ ऐप पर ‘नीलामी’ के लिए मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरें अपलोड किए जाने के मामले में ऐपवा ने बयान जारी करते हुए कहा है कि “सुल्ली डील्स” नामक ऐप के मामले में पुलिस की असफलता और संवेदनहीनता ने इस तरह का कार्य करने का साहस प्रदान किया है।
ऐपवा की अध्यक्ष रति राव, महासचिव मीना तिवारी और सचिव कविता कृष्णन ने बयान जारी कर कहा कि हम ‘हिंदुओं की सर्वश्रेष्ठतावादी’ पथभ्रष्ट पुरुषों द्वारा मुस्लिम महिलाओं की हो रही ऑनलाइन “नीलामी” को लेकर आक्रोश में हैं और उन महिलाओं के साथ एकजुटता मे खड़े हैं।
कुछ दिन पहले “सुल्ली डील्स” नामक ऐप पर भी ऐसा ही हुआ था। उस समय इसके कुकर्मियों की पहचान करके उन्हें दंडित करने में पुलिस की संवेदनहीनता और असफलता ने इस ऐप के एक नए अवतार “बुल्ली डील्स” को दुबारा उभार देने का साहस प्रदान कर दिया है
इस ऐप में मुस्लिम महिला पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया गया है। यह सच है कि इसके कुकर्मियों की बेशर्मी और क्रूरता की कोई सीमा नहीं है- परंतु इस बार यह संभवतः सबसे अधिक घृणास्पद है कि उन्होंने एबीवीपी के गुंडों द्वारा की गई मार-पीट के कुछ ही घंटों में गायब हो गए नजीब की माँ, फातिमा अम्मी को “नीलामी” के लिए चुना है।
भारत के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने अपनी चुप्पी से मुस्लिम महिलाओं को लक्ष्य बनाती हुई इस इस्लाम-विरोधी हिंसा को अपनी मौन सहमति प्रदान की है। याद रखें, ये गृहमंत्री वही व्यक्ति हैं जिन्होंने कई बार मुसलमानों को “माँ-बहनों की अस्मत लूटनेवाली जमात” बताते हुए प्रधानमंत्री के लिए वोट मांगे हैं और इस कपोल कल्पना को संदर्भित किया है कि मुसलमान एक योजनाबद्ध तरीके से हिन्दू महिलाओं का सतीत्व नष्ट कर रहे हैं। इस मामले में उनके अपने अनुयायी मुस्लिम माओं और महिलाओं को खुले-आम यौन वस्तु बता रहे हैं जिनकी खरीद और बिक्री हिन्दू सर्वश्रेष्ठतावादी पुरुष करते हैं।
हम इन बेशर्म हिन्दू सर्वश्रेष्ठतावादियों के खिलाफ पूरे देश को उठ खड़े होने का आह्वान करते हैं जिनका बेलगाम पौरुष उन्हें मुस्लिम महिलाओं की “नीलामी” के लिए प्रेरित करता है।
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