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शुक्रवार, दिसम्बर 27, 2024
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23-24 फरवरी की देशव्यापी हड़ताल को सफल बनायें: ट्रेड यूनियनों का संयुक्त मंच

ट्रेड यूनियनों का संयुक्त मंच छत्तीसगढ़ का संयुक अपील: जनता बचाओ, देश बचाओ

छत्तीसगढ़/रायपुर (पब्लिक फोरम)। देश के 10 से अधिक केंद्रीय ट्रेड यूनियनों, केन्द्र- राज्य सरकार, बैंक, बीमा, दूरसंचार, रक्षा, संगठित, असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों व मजदूर संगठनों ने 11 नवम्बर को नई दिल्ली में आयोजित खुले राष्ट्रीय सम्मेलन के जरिए केंद्र की वर्तमान सरकार की श्रमिक, किसान एवं आम जनता विरोधी नीतियों के खिलाफ 23- 24 फरवरी को दो दिन की देशव्यापी हड़ताल का निर्णय किया है । हम छत्तीसगढ़ के समस्त मजदूर, किसान, कर्मचारी साथियों, आम नागरिकों से इस हड़ताल की कार्यवाही का समर्थन करते हुए इसे प्रदेश में पुरजोर ढंग से सफल बनाने की अपील करते हैं ।

हम देश के अन्नदाता किसान साथियों और किसान संगठनों की अभूतपूर्व एकता को सलाम करते हैं जिन्होंने केंद्र सरकार द्वारा उनकी मर्जी के विपरीत उनके समर्थन मूल्य पर उपज की खरीदी के अधिकार समाप्त कर, बड़े पैमाने पर खेती की जमीन को भी कारपोरेट के हवाले करने वाले तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए एकताबद्ध ऐतिहासिक संघर्ष को कुचलने के लिए सरकार के द्वारा चलाए गए तमाम घृणित दुष्प्रचार और हमलों का मुकाबला करते हुए 700 से अधिक साथियों की शहादत के बाद मोदी सरकार को इन काले कानून को वापस लेने के लिए बाध्य कर एक एतिहासिक जीत दर्ज की । ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने किसानों के इस आंदोलन के साथ प्रत्येक कदम पर एकजुटता की कार्यवाहियां भी संगठित की निश्चय ही इससे भारत का निर्माण करने वाले मजदूर, किसान की एकता का नया अध्याय लिखा गया । किसानों की एक तानाशाही सरकार पर हासिल हुई इस जबरदस्त जीत ने देश के सभी जनवादी आंदोलन को एक नई ताकत दी है , निश्चचय ही हम इसके लिए किसान आंदोलन का अभिनंदन करते हैं ।

केंद्र की वर्तमान सरकार ने जिस तरह से किसानों के विरोध के बाद भी काले कृषि कानून पारित किए थे ठीक उसी तरह देश के श्रमिक वर्ग के कड़े विरोध के वावजूद मजदूरों द्वारा लंबे संघर्ष के बाद हासिल किए गए 29 श्रम कानूनों को 4 श्रम संहिता में बदलकर , संसदीय बहुमत का दुरुपयोग कर, विपक्ष की आवाज को कुचलकर संसद में इसे पारित करा लिया । इस कदम के जरिए मजदूरों के सारे अधिकार छीनकर केंद्र सरकार ने वास्तव में श्रमिको को फिर एक बार गुलामी की जंजीरों में जकड़ने और मालिकों के हाथों बदहाली की ओर धकेल दिया । यह सब, करोना के महामारी के दौर में अर्थव्यवस्था की बदहाली, कारखाना बंदी, चरम बेरोजगारी, आम जनता और मजदूरी के अभाव में घटती क्रयशक्ति, प्रवासी मजदूरों की दयनीय स्थिति के दौर में आपदा को अवसर में बदलने के नाम पर किया जा रहा है। पेट्रोल, डीजल, घरेलू गैस, आवश्यक खाद्य वस्तुओं की बेलगाम कीमतों ने स्थिति को और भयावह बना दिया है ऐसे समय लोगों को नकद सहायता देकर उनकी आजीविका और साथ ही अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने सरकारी हस्तक्षेप की बजाय सरकार आत्मनिर्भर भारत के नारे पर आत्मनिर्भरता की बुनियाद देश के सभी सार्वजनिक क्षेत्र की नीलामी कर रही है ।बैंक, बीमा, कोयला, रक्षा, इस्पात, ऊर्जा, रेल, भेल, सेल, डाक, पोर्ट, दूरसंचार आदि हर क्षेत्र की सार्वजानिक संस्था जिनका देश की जनता के गाढ़े कमाई से निर्माण हुआ है, उसे अपने पूंजीपति मित्रों को विनिवेशीकरण और निजीकरण के नाम पर कौड़ियों के मोल बेचने केंद्र की सरकार देशविरोधी अभियान चला रही है ।

श्रमिक वर्ग के बहुसंख्य हिस्से, जो असंगठित मजदूर हैं जिनमे योजना कर्मियों के साथ ही अन्य व ठेका श्रमिक शामिल है उन्हे तो अमानवीय स्थिति में जीने के लिएं मजबूर कर दिया गया है और सरकार उनके लिए कोई सामाजिक सुरक्षा की सुविधा और इस हेतु श्रम सम्मेलन की सर्वसम्मत अनुशंसा को भी लागू करने तैयार नहीं है । सरकार की ओर से उल्टे मजदूर हो या आम जनता, विरोध के हर जनवादी अधिकारों को ही कुचलकर, हर किस्म के विरोध को देशद्रोह की संज्ञा दे दी जा रही है । यह संविधान और लोकतंत्र के मूल आधार पर ही हमला है । अपने पूंजीपति आकाओ के हितों के लिए चलाई जा रही केंद्र सरकार की इन नीतियों के खिलाफ मजदूरों की एकता को कमजोर करने के लिए धार्मिक भावनाएं भड़काकर केंद्र की सत्ताधारी पार्टी द्वारा जहरीला सांप्रदायिक विभाजन और घृणा का प्रचार अभियान चलाया जाता है । देश के मजदूर वर्ग ने इसलिए ही सरकार की इन नीतियों का न केवल पुरजोर विरोध करने बल्कि इस “देश विरोधी नीतियों को वापस लेने की मांग को लेकर जनता बचाओ, देश बचाओ” अभियान चलाने और 23- 24 फरवरी 2022 को केंद्र सरकार के बजट सत्र के पहले दो दिन की देशव्यापी हड़ताल का फैसला लिया है ।

हमे खुशी है कि देश के किसान संगठनों ने भी इस हड़ताल का समर्थन करते हुए इस दिन ग्रामीण हड़ताल का आव्हान किया है ।

इंटक , एच एम एस, एटक, सीटू, ऐक्टू तथा
बैंक, बीमा, बी एस एन एल, केंद्र, राज्य कर्मचारी व अन्य सभी श्रमिक संगठन छत्तीसगढ़ का संयुक्त अपील

हम छत्तीसगढ़ के मजदूर, किसान साथियों से इस हड़ताल को सफल बनाने की अपील करते हैं । आइए निम्न मांगों को लेकर आयोजित इस हड़ताल में आप भी शामिल हों।

1. श्रम संहिता रद्द करो, EDSA ( आवश्यक प्रतिरक्षा सेवा अधिनियम ) समाप्त करो ।
2. कृषि कानून वापसी के बाद संयुक्त किसान मोर्चा के 6 सूत्रीय मांगपत्र को पूरा करो ।
3. नेशनल मोनिटाइजेशन नीति को रद्द करो, सभी सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण की नीति पर तत्काल रोक लगाओ, हर किस्म का निजीकरण बंद करो
4. गैर आयकरदाता परिवार को प्रतिमाह 7500 रुपए की नगद और खाद्य सहायता प्रदान करो
5. मनरेगा के आबंटन में वृद्धि करो , शहरी गरीबों को भी रोजगार गारंटी कानून के लाभ दो
6. सभी अनौपचारिक क्षेत्र के मजदूरों को सार्वभौम सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराओ
7. आंगनवाड़ी, मितानिन, मध्यान्ह भोजन और अन्य योजना कर्मियों के लिए वैधानिक न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराओ
8. महामारी के दौरान जनता की सेवा करने वाले अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं को सुरक्षा और बीमा सुविधा उपलब्ध कराओ।
9. राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थां को पुनर्जीवित करने और सुधारने के लिए सम्पदा कर आदि के माध्यम से अमीरों पर कर लगा कर कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य सार्वजनिक आवश्यकताओं में सार्वजनिक निवेश बढ़ाओ।
10. पेट्रोलियम उत्पाद पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में पर्याप्त कटौती करो और मूल्य वृद्धि को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं ।
11. ठेका श्रमिक, योजना कर्मियों का नियमितीकरण करो और सभी को समान काम का सामान वेतन दो ।
12. नई पेंशन योजना को रद्द कर, पुरानी पेंशन योजना बहाल करो, कर्मचारी पेंशन योजना के तहत न्यूनतम पेंशन में पर्याप्त वृद्धि करो ।
23- 24 फरवरी की देशव्यापी दो दिन की हड़ताल को सफल बनाओ।

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