नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। ‘नई धारा’ पटना द्वारा आयोजित राइटर्स रेज़िडेन्स में घटित यौन उत्पीड़न की घटना को लेकर साहित्यिक जगत में उबाल आ गया है। जनवादी लेखक संघ ने इस मामले पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए संबंधित कवि कृष्ण कल्पित और आयोजक संस्था ‘नई धारा’ की कड़ी निंदा की है।
संघ के पदाधिकारी संजीव कुमार, महासचिव, बजरंग बिहारी तिवारी, संयुक्त महासचिव, नलिन रंजन सिंह, संयुक्त महासचिव, संदीप मील, संयुक्त महासचिव के द्वारा जारी संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, यह प्रकरण सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है। यदि यह सत्य है कि कवि कृष्ण कल्पित ने बिना औपचारिक जांच के माफ़ी माँगकर रेज़िडेन्स छोड़ दिया, तो यह स्वयं में आरोपों की गंभीरता और सत्यता की ओर संकेत करता है। संघ का कहना है कि ऐसे मामलों में आयोजक संस्था की जिम्मेदारी होती है कि वह पारदर्शी जांच कराए, लेकिन ‘नई धारा’ का रवैया घटनाक्रम को दबाने वाला और उत्पीड़क का संरक्षण करने वाला प्रतीत होता है।
जनवादी लेखक संघ ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि ‘नई धारा’ को इस प्रकरण में जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। यदि संस्था खुद निष्पक्ष जांच की पहल नहीं करती है, तो लेखक-समुदाय को कानूनी पहल करके दोनों—संस्था और संबंधित व्यक्ति—को न्यायिक दायरे में लाना चाहिए।
संघ ने यह भी आश्वासन दिया है कि यदि पीड़िता इस मामले को कानूनी रास्ते पर ले जाना चाहती हैं, तो संगठन हर स्तर पर उनके साथ खड़ा रहेगा और आवश्यक विधिक सलाह भी उपलब्ध कराएगा।
साथ ही, जनवादी लेखक संघ ने उन लोगों की भी कड़ी आलोचना की है जिन्होंने सोशल मीडिया पर पीड़िता की पहचान उजागर करने या उनके आचरण पर टिप्पणी करने का दुस्साहस किया है। संगठन ने कहा कि यह न केवल संवेदनहीनता है, बल्कि सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की स्वतंत्र उपस्थिति को बाधित करने की मानसिकता का परिचायक भी है।
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