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एसईसीएल भूविस्थापित किसानों का जबरदस्त प्रदर्शन: 6 घंटे के घेराव के बाद 10 दिन में रोजगार प्रकरणों के निराकरण का आश्वासन

बिलासपुर/कोरबा (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ किसान सभा और भूविस्थापित रोजगार एकता संघ के संयुक्त नेतृत्व में एसईसीएल की खदानों से प्रभावित भूविस्थापित किसानों ने मंगलवार को कुसमुंडा महाप्रबंधक कार्यालय का घेराव किया। प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगें लंबित रोजगार प्रकरणों का तत्काल निराकरण, उचित बसावट और प्रभावित गांवों में मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता थी।

आंदोलन की शुरुआत और व्यापकता

सुबह 10 बजे से शुरू हुए इस घेराव में प्रदर्शनकारियों ने कार्यालय के मुख्य गेट को पूर्णतः बंद कर दिया, जिससे कर्मचारियों का प्रवेश रुक गया। नारेबाजी करते हुए रैली निकालकर भूविस्थापित किसान कार्यालय परिसर में पहुंचे, जिससे माहौल तनावपूर्ण हो गया। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया।

प्रारंभिक वार्ता में समस्याओं का संतोषजनक समाधान नहीं मिलने पर आंदोलनकारी कॉन्फ्रेंस हॉल में 4 घंटे तक धरने पर बैठ गए। अंततः कुसमुंडा महाप्रबंधक ने 3 रोजगार फाइलों को बिलासपुर भेजने की सहमति दी और बिलासपुर मुख्यालय के साथ संयुक्त बैठक का आयोजन कर निराकरण का लिखित आश्वासन दिया।

नेतृत्व के मुख्य बयान

किसान सभा के नेता प्रशांत झा ने स्पष्ट रूप से कहा कि “भूमि अधिग्रहण के बाद जन्म के नाम पर भूविस्थापितों को रोजगार से वंचित नहीं किया जा सकता। जिनकी भी जमीन का अधिग्रहण हुआ है, उन्हें रोजगार देना अनिवार्य है।” उन्होंने आरोप लगाया कि एसईसीएल के अधिकारी भूविस्थापितों की समस्याओं के निराकरण में कोई ठोस पहल नहीं कर रहे हैं, जिससे प्रभावितों में व्यापक आक्रोश है।

किसान सभा के अन्य नेता जय कौशिक और सुमेंद्र सिंह कंवर ने बताया कि विकास के नाम पर 40-50 वर्ष पहले हजारों एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था, लेकिन विस्थापित परिवारों का जीवन स्तर सुधरने के बजाय और भी बदतर हो गया है। उन्होंने कहा, “जमीन किसानों का स्थायी रोजगार का साधन होती है। सरकार ने जमीन लेकर किसानों की जिंदगी का एक अहम हिस्सा छीन लिया है।”

उल्लेखनीय है कि 31 अक्टूबर 2021 को लंबित प्रकरणों पर रोजगार देने की मांग को लेकर कुसमुंडा क्षेत्र में 12 घंटे खदान बंद करने के बाद दस से अधिक गांवों के किसान 1307 दिनों से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं। छत्तीसगढ़ किसान सभा इस आंदोलन के समर्थन में निरंतर खड़ी है।

भूविस्थापित रोजगार एकता संघ के नेता दामोदर श्याम, रेशम यादव और रघु यादव ने दृढ़ता से कहा कि भूविस्थापितों को बिना किसी शर्त के जमीन के बदले रोजगार देना होगा और वे अपने इस अधिकार के लिए अंतिम सांस तक संघर्ष करेंगे।

प्रबंधन का रुख और भविष्य की रणनीति

लगभग 6 घंटे तक चले इस घेराव प्रदर्शन के दौरान कार्यालय में माहौल अत्यधिक तनावपूर्ण रहा। भूविस्थापितों द्वारा बिना ठोस निर्णय के आंदोलन समाप्त करने से मना करने पर अधिकारियों में हड़कंप मच गया। बिलासपुर मुख्यालय से वार्ता के बाद अधिकारियों ने सीएमडी कार्यालय में 10 दिनों के भीतर बैठक आयोजित कर तत्काल रोजगार प्रकरणों के निराकरण का आश्वासन दिया।

किसान सभा ने चेतावनी देते हुए घोषणा की है कि यदि भूविस्थापितों की समस्याओं पर सकारात्मक पहलकदमी नहीं की गई तो कोल परिवहन को 15 दिनों के भीतर बार-बार बंद किया जाएगा।

इस घेराव में सूरज बाई, सुनीला, राजेश्वरी कौशिक, बंधन बाई, तेरस, दीना नाथ, हरिहर, चंद्रशेखर, होरी, रघुनंदन, मुनीराम, डुमन, राजकुमार, गणेश, विजय कंवर, नरेंद्र, हेमलाल, नारायण, जितेंद्र, उत्तम, फीरत, नंदकुमार, रविकांत, के लाल, अजय, हेमंत बंजारे सहित बड़ी संख्या में भूविस्थापित किसान शामिल थे।

यह आंदोलन छत्तीसगढ़ में कोयला खनन से प्रभावित किसानों की दशकों पुरानी समस्याओं को उजागर करता है और विकास की कीमत पर विस्थापित हुए लोगों के न्यायसंगत अधिकारों की मांग को दर्शाता है।

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