कोरबा (पब्लिक फोरम)। जिले के बालको थाना क्षेत्र अंतर्गत टापरा गांव में उस वक्त दहशत फैल गई जब जंगल में तेंदूपत्ता तोड़ने गई एक 65 वर्षीय बुजुर्ग महिला को खूंखार भालू ने अपना निशाना बना लिया। भालू के अचानक हुए हमले से महिला बुरी तरह घायल हो गई और खून से लथपथ जंगल में पड़ी रही। घटना की सूचना मिलते ही डायल 112 (ईआरवी कोरबा-01) की टीम तत्काल मौके पर पहुंची और गंभीर रूप से घायल महिला को फौरन जिला अस्पताल पहुंचाया, जहां उनका इलाज जारी है।
मिली जानकारी के अनुसार, यह हृदय विदारक घटना रविवार को बालको थाना क्षेत्र के टापरा, ग्राम पंचायत बेला के जंगल में हुई। टापरा गांव निवासी चंद्रमती राठिया (उम्र 65 वर्ष) सुबह के समय गांव के पास के जंगल में तेंदूपत्ता संग्रहण के लिए गई हुई थीं। इसी दौरान झाड़ियों में छिपे एक जंगली भालू ने अचानक उन पर हमला कर दिया। भालू ने चंद्रमती राठिया के बाएं हाथ पर बुरी तरह हमला किया, जिससे उन्हें गंभीर चोटें आईं और खून तेजी से बहने लगा। दर्द से कराहती हुई बुजुर्ग महिला जमीन पर गिर पड़ीं।
घटना के बाद आसपास तेंदूपत्ता तोड़ रहे अन्य ग्रामीणों ने भालू को देखकर शोर मचाया, जिसके बाद भालू जंगल की ओर भाग गया। ग्रामीणों ने तुरंत डायल 112 पर फोन कर घटना की सूचना दी।
सूचना मिलते ही डायल 112 कोरबा-01 टीम में तैनात आरक्षक हिमांचल सिंह कंवर और चालक सत्येंद्र सिंह गेंदले बिना देर किए घटनास्थल के लिए रवाना हुए। कॉलर ने टीम को बताया था कि चंद्रमती राठिया जंगल में खून से लथपथ पड़ी हैं। मौके पर पहुंचकर टीम ने देखा कि बुजुर्ग महिला की हालत अत्यंत गंभीर है और उनके हाथ से काफी खून बह रहा है। टीम ने तत्काल प्राथमिक सहायता देते हुए घायल महिला को उनके परिजनों के साथ डायल 112 वाहन में बिठाया और सीधे कोरबा जिला अस्पताल के लिए रवाना हो गए।
जिला अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने तत्काल घायल चंद्रमती राठिया को भर्ती कर उनका इलाज शुरू किया। डॉक्टरों के मुताबिक, भालू के हमले से उनके बाएं हाथ में गहरे घाव आए हैं और उनकी हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है।
गौरतलब है कि इन दिनों क्षेत्र में तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य जोरों पर है। ग्रामीण अपनी आजीविका के लिए जान जोखिम में डालकर जंगल के अंदर जाते हैं। ऐसे में जंगली जानवरों, हाथियों और खासकर भालुओं से सामना होने का खतरा लगातार बना रहता है। यह घटना एक बार फिर मानव और वन्यजीवों के बीच बढ़ते संघर्ष और ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों की सुरक्षा के प्रति चिंता को उजागर करती है।
जंगलों के सिकुड़ने और इंसानी आबादी के फैलाव से वन्यजीवों के रहवास क्षेत्र कम हो रहे हैं, जिससे वे भोजन और पानी की तलाश में अक्सर आबादी वाले इलाकों के करीब आ जाते हैं, जिसका खमियाजा बेकसूर ग्रामीणों को उठाना पड़ता है। इस मामले में डायल 112 टीम की त्वरित कार्रवाई से बुजुर्ग महिला की जान बचाई जा सकी, जो सराहनीय है। प्रशासन और वन विभाग को इस समस्या के समाधान के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और ऐसी दुखद घटनाओं की पुनरावृति रोकी जा सके।
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