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ऑपरेशन सिन्दूर से भड़की भारत-पाक तनातनी: शांति और कूटनीति पर ज़ोर क्यों ज़रूरी है? 

आपसी तनाव घटाने और कूटनीति पर जोर हो, एक और युद्ध से बचा जाय!

भाकपा (माले) की केन्द्रीय कमेटी का ऑपरेशन सिन्दूर पर बयान: आपसी तनाव कम करने और कूटनीति को प्राथमिकता दें, एक और युद्ध से बचाव ही एकमात्र विकल्प!

नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। भारतीय सुरक्षा बलों ने 06 मई की रात्रि में सीमा पार स्थित पाकिस्तान के नौ आतंकी प्रशिक्षण शिविरों को नष्ट करने की कार्रवाई को “ऑपरेशन सिन्दूर” का नाम दिया है। भारत सरकार के अनुसार, यह अभियान खुफिया जानकारी के आधार पर सटीक, सुनियोजित और सीमित दायरे में अंजाम दिया गया। हालाँकि, पाकिस्तानी प्रशासन ने इस कार्यवाही में निर्दोष नागरिकों, जिनमें महिलाएं और बच्चे शामिल हैं, के हताहत होने का आरोप लगाया है। इसके बाद से जम्मू-कश्मीर सीमा पर दोनों देशों के बीच गोलीबारी की घटनाएं और नागरिक हताहतों की खबरें सामने आ रही हैं। 

वर्तमान परिदृश्य में भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध के बढ़ते खतरे को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। दोनों परमाणु संपन्न देशों के बीच टकराव की स्थिति वैश्विक सुरक्षा के लिए गंभीर संकट पैदा कर सकती है। भाकपा (माले) का मानना है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और तनाव को कम करने के लिए सैन्य कार्रवाई के बजाय कूटनीतिक प्रयासों, राजनीतिक संवाद और अंतर्राष्ट्रीय दबाव को प्राथमिकता देनी चाहिए। 

इस बीच, भारत सरकार ने देश के 200 से अधिक जिलों में नागरिक सुरक्षा मॉक ड्रिल आयोजित करने की घोषणा की है। 1971 के युद्ध के बाद यह पहली बार है जब इतने बड़े पैमाने पर ऐसी तैयारियां की जा रही हैं। हालाँकि, सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह अभ्यास जनजागरूकता तक सीमित रहे और इसके नाम पर देश के भीतर युद्ध की हवा न बने या लोकतांत्रिक अभिव्यक्ति को दबाने का माध्यम न बनाया जाए। 

पहलगाम हमले से जुड़े पीड़ितों को न्याय और राजनीतिक दुर्व्यवहार
ऑपरेशन सिन्दूर का नामकरण पहलगाम आतंकी हमले में विधवा हुई महिलाओं के संघर्ष को समर्पित है। हिमांशी नरवाल और शैला नेगी जैसी साहसी महिलाओं के प्रति नफरत फैलाने वाले ट्रोल अभियानों और राजनीतिक हमलों की निंदा करते हुए पार्टी ने मांग की है कि ऐसे तत्वों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए। साथ ही, पीड़ित परिवारों की चिंताओं—खासकर सुरक्षा व्यवस्था की खामियों और न्याय प्रक्रिया में देरी—को गंभीरता से संबोधित किया जाना चाहिए। 

फेक न्यूज का संकट और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला
ऑपरेशन सिन्दूर के बाद सोशल मीडिया पर फर्जी खबरों और दुष्प्रचार का बाज़ार गर्म हो गया है। भोजपुरी गायिका नेहा सिंह राठौर, लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रोफेसर माद्री काकोटी, डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म 4पीएम नेटवर्क और पत्रकार पुण्यप्रसून बाजपेयी के यूट्यूब चैनल के विवादास्पद बंद होने जैसी घटनाएं सत्ता द्वारा विरोधी स्वरों को दबाने की रणनीति का हिस्सा प्रतीत होती हैं। भाकपा (माले) ने स्पष्ट किया है कि फेक न्यूज पर अंकुश ज़रूरी है, लेकिन इस बहाने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। 

भाकपा (माले) की मांगें: 
1. भारत-पाकिस्तान सरकारों से तनाव कम करने और कूटनीतिक समाधान पर ध्यान केंद्रित करने की अपील। 
2. पाकिस्तान से आतंकी शिविरों को समाप्त करने और भारत से नागरिक अधिकारों का सम्मान करने की मांग। 
3. फर्जी मुकदमों, ऑनलाइन दमन और नागरिक स्वतंत्रताओं पर हमले को रोकने का आग्रह। 

“युद्ध नहीं, शांति और संवाद ही समाधान है। आतंकवाद, साम्प्रदायिक घृणा और सत्ता के दमन के खिलाफ एकजुट होकर लोकतंत्र, मानवाधिकार और सौहार्द की रक्षा करें!” 

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