नफरत की कोई सीमा नहीँ होती। धर्म से नफरत शुरू होकर अब तो गार्डन के फूल तक नफरत फैल चुकी है। क्या वृंदावन गार्डन के फूल खुशबू बिखेरतीं है और नफरत की राजनीति करने वालों को मुगल गार्डन की फूलों से खुशबू का अहसास नहीं होता?
मुगल शब्द से ही जिनको नफरत हो वह किसी भी सचाई को स्वीकार नही कर सकते हैं।
हमारे देश के कट्टरवादी हिन्दू संगठनों के नेता मुगलों के आगमन की शुरुआत 1526 ई. में बाबर के हमले से करते हैं। लेकिन हमारे इस देश में इस्लाम अपने जन्म के कुछ माह बाद 669 ई. में दक्षिण भारत में प्रवेश कर चुका था। मुगलों के खिलाफ कट्टरपंथियों का प्रचार कितना सच हैं?
बाबर तुर्किस्तान का मशहूर योद्धा था।भारतीय राजा महाराणा सांगा ने अपनी जानी दुश्मन इब्राहिम लोदी, जो कि दिल्ली का सशक्त सुल्तान था। जिसके पास एक लाख सेना और एक हजार हाथी थे, को धूल चाटने के लिए गुजरात के शासक महावतार खां से परामर्श करने के बाद बाबर को आमंत्रित किया। दोनो भारतीय राजाओं ने उसका स्वागत किया और इब्राहिम लोदी के खिलाफ बाबर को पूरी मदद की।इब्राहिम लोदी मारा गया। भारतीय राजाओं ने बाबर को खजाना लूट कर अपने देश ले जान की सलाह दी, किन्तु बाबर ने इससे इनकार कर दिया।जिसके बाद पानीपत में बाबर और राणा सांगला के बीच युद्ध हुआ और बाबर विजयी हुए।
अकबर सभी धर्मों के आचार्यों से बात करते थे और उनके सिद्धांतों में रूचि रखते थे। वे हर धर्म की अच्छी बातों को ग्रहण करते और बुरी बातों को त्याग कर देने में विश्वास करते थे। उन्होने सम्प्रदाय की दृष्टि से किसी धर्मों को नही अपनाया।
अपने विचारों के अनुरूप अकबर ने हिन्दुओं पर जांघिया माफ किया, मांस भक्षण पर पाबंदी लगायी।राजकाज में उन्होने हिन्दू-मुसलमान में कोई भेंट नही समझा और हिन्दूओं को काफी ऊंचे पद दिये।मानसिंह, बीरबल,टोडरमल आदि उनके साम्राज्य के मेरूदण्ड थे।
अकबर के काल से ही धर्मग्रंथों को एक भाषा से दूसरी भाषा में अनुवाद करने की प्रवृत्तिको बहुत प्रोत्साहन मिला।महाभारत, अथर्ववेद,रामायण,हरिवंश,भागवद आदि के फारसी अनुवाद कराये गये।
शाहजहाँ का सबसे बड़ा बेटा दारा रूझान से अद्वैता और सूफी था ,जो धर्मगुरूओं से विचार-विमर्श कर काशी के ब्राह्मणों की सहायता से उसने फारसी में गीता का अनुवाद किया था।उन्होने वेदों के श्लोकों का संकलन कर जिसकी प्रस्तावना में दारा ने वेदों को “कालक्रम में दैवी ग्रंथ ” करार दिया था।
नफरती लोग सिर्फ नफरत फैलाने के उद्देश्य से मुगलों को बदनाम कर इतिहास को विकृत कर अपनी राजनैतिक हितों को पूरा करना चाहते हैं। पूछिए उनसे कि ये किसने सिखाया है आपस में बैर रखना? (आलेख : सुखरंजन नंदी)
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