गुरूवार, नवम्बर 21, 2024
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मृदा को स्वस्थ बनाने जैविक और प्राकृतिक खेती को अपनाना आवश्यक-डॉ. राजपूत


मृदा स्वास्थ्य दिवस पर कृषि विज्ञान केन्द्र में कृषक संगोष्ठी का हुआ आयोजन
रायगढ़ (पब्लिक फोरम)। निकरा ग्राम नवापारा विकास खण्ड खरसिया में विश्व मृदा स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर 05 दिसम्बर को कृषक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख, डॉ. बी.एस. राजपूत, ग्राम के सरपंच प्रतिनिधि प्रेमसिंह सिदार, इफको प्रबंधक भूपेन्द्र पाटीदार एवं कृषि विभाग के अनिल भगत, वैज्ञानिक डॉ.के.के पैकरा, डॉ. के.डी. महंत, डॉ. मनोज साहू, निकरा समिति के अध्यक्ष रामगोपाल पटेल एवं ग्राम के 70 से अधिक प्रगतिशील किसान एवं विद्यार्थीगण उपस्थित रहें। इस अवसर पर डॉ.राजपूत ने कहा कि अधिकाधिक एवं अनावश्यक रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से मिट्टी की गुणवत्ता प्रभावित होती जा रही है। इसकी देख-रेख हेतु मृदा परीक्षण अनुसार जैविक खाद एवं जीवाष्म पदार्थो का समावेश करना चाहिए। डॉ.के.के.पैकरा ने अपने उद्बोधन में कहा कि खेतों में उर्वरकों की सही मात्रा वैज्ञानिकों द्वारा अनुशंसित मात्रा के अनुसार ही करना चाहिए साथ ही जैव उर्वरकों का प्रयोग पोषकतत्व की उपलब्धता हेतु बहुत आवश्यक है। मृदा वैज्ञानिक डॉ. महंत ने कहा 2023 का विश्व मृदा दिवस मिट्टी एवं पानी जीवन के स्त्रोत के थीम पर आधारित है कृषकों द्वारा असंतुलित मात्रा में रासायनिक उर्वरक कीटनाशक खरपतवार नाशक के उपयोग से मृदा स्वास्थ्य में गिरावट आ रही है, उन्होंने फसल कटाई के पश्चात फसल अवशेष न जलाने हेतु किसानों को प्रेरित किया। उन्होंने कहा प्रतिटन फसल अवशेष जलाने से 5-5 किलोग्राम नाईट्रोजन, 2.3 कि.ग्रा.फास्फोरस, 2.5 कि.ग्रा. पोटाश व 1.2 कि.ग्रा. सल्फर तत्व की हानि होती है। फसल अवशेष जलाने से कार्बन डाईऑक्साइड, मोनो आक्साइड, ब्लैक कार्बन आदि गैस उत्सार्जित होते है। इसका मृदा व मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इस समस्या का अंतिम उपाय जैविक एवं प्राकृतिक खेती को अपनाना आवश्यक बन गया है। निकरा ग्राम नवापारा के किसानों को डॉ. मनोज साहू ने बीज उपचार, कतार बोनी एवं जैव उर्वरकों के महत्व को विस्तार से बताया। इस अवसर पर उपस्थित किसानों को घुलनशील जैव उर्वरक, ट्राईकोडर्मा तथा वृहद प्रदर्शन हेतु सरसों के बीज वितरित किये गये।

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