आंदोलनकारी और असामाजिक तत्व में अंतर नही जानता कोयला प्रबंधन
कोरबा (पब्लिक फोरम)। कोरबा जिले में कई दशकों से अपने पुरखों की जमीनों के बदले में, जिसे देश के विकास के नाम पर मूलनिवासी किसानों ने औने-पौने दाम पर कोयला कारखाने के लिए सौंप दिया था किंतु नौकरी, मुआवजा, बसाहट आदि अपने मूलभूत अधिकारों के लिए लगातार आंदोलनरत हैं। उन भूविस्थापित आंदोलनकारियों को असामाजित तत्व करार देने वाले एस.ई.सी.एल प्रबंधन के गैर जिम्मेदाराना एवं भड़काऊ बयान को श्रमिक संगठनो ने बहुत गंभीरता से लिया है।
भूविस्थापित आंदोलन के खिलाफ कोयला प्रबंधन के अधिकारियों की ऐसी बयानबाज़ी की तीखी आलोचना करते हुए ऑल इंडिया सेंट्रल कौंसिल ऑफ़ ट्रेड यूनियंस (ऐक्टू) के राज्य कार्यवाहक अध्यक्ष बीएल नेताम तथा राजमिस्त्री मजदूर रेजा कुली एकता यूनियन के राज्य अध्यक्ष सुखरंजन नंदी ने कहा है कि एसईसीएल प्रबंधन को आंदोलनकारी और असामाजिक तत्व के बीच का अंतर ही नही पता है।
श्रमिक नेताओं ने कोयला प्रबंधन के द्वारा भूविस्थापितों के आंदोलन पर रोक लगाये जाने के पहल को अलोकतांत्रिक और तानाशाहीपूर्ण बताया है।उन्होंने कहा है कि लोकतंत्र में हर नागरिक को अपनी मांगों को लेकर शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन करने का अधिकार है। एसईसीएल प्रबंधन का यह कदम जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों पर ही सीधा-सीधा हमला है।
श्रमिक नेताओं ने कहा है कि एसईसीएल प्रबंधन के द्वारा पुलिस प्रशासन पर जिस तरह आंदोलनकारियों पर रोक नहीं लगाये जाने का आरोप लगाया गया है। उससे प्रबंधन की दमनात्मक सोच, चरित्र और एक नया चेहरा भी सामने आया है। इससे स्पष्ट हो जाता है कि एसईसीएल प्रबंधन भू विस्थापितों के आंदोलन को पुलिस प्रशासन के माध्यम से कुचलना चाहती है। जिले के यूनियन नेताओं ने एसईसीएल प्रबंधन के द्वारा ऐसी अलोकतांत्रिक कदम को वापस लेने की मांग की है।
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