मोदी सरकार 100 करोड़ लोगो का टीकाकरण करने का प्रचार जोर-शोर से कर रहा है। दुनियां में चीन ने भी यह आंकड़ा को पहले ही पार कर चुका था और अब वे 200 करोड़ के आंकड़ों को हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ रहे है।
संपूर्ण टीकाकरण का संबंध दोनो डोज (खुराक) से है। भारत में वयस्क आबादी का महज 29 करोड़ लोगों को ही टीका के दोनो खुराक मिल पाया हैं।यानि सिर्फ 21 %लोगों ही टीका के दोनों खुराक हासिल कर पाये हैं।
जिस उत्तरप्रदेश में सबसे अधिक संपूर्ण टीकाकरण होने की दावा सरकार कर रही है उसी उत्तरप्रदेश में कुल आबादी का महज 15 %आबादी ही संपूर्ण टीकाकरण के दायरे में आ पाया है। केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी थी कि आगामी 31 दिसम्बर 2021 तक देश के सभी वयस्क नागरिकों में संपूर्ण टीकाकरण का कार्य को पूरा कर लिया जायेगा।वर्तमान स्थिति को देखते हुये जो पूरी तरह से असंभव प्रतीत होता हैं।
सरकारी तथ्य के ही अनुसार देश में 25 % वयस्क नागरिक को टीकाकरण के एक भी खुराक अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है। दुरुस्त इलाकों के भारी संख्या में गरीब-आदिवासी टीकाकरण की इस प्रक्रिया से अभी भी बाहर है।
देश में औसतन दैनिक 70 लाख लोगों का टीकाकरण हो रहा है। लेकिन प्रधानमंत्री के जन्मदिन 17 सितंबर को अचानक एक ही दिन में किस तरह से ढाई करोड़ लोगों का टीकाकरण हो जाता है और उस बिशेष दिन के बाद फिर घटकर दैनिक 70 लाख लोगों का टीकाकरण होने लगता है यह तो अभी भी पूरी तरह से रहस्य बना हुआ है।पूरे एक साल से टीकाकरण की जो ढाचा बना हुआ है। उसमें दैनिक 70 लाख से अधिक लोगों का टीकाकरण नही हो रहा हो वही एक निर्दिष्ट दिन में इसी ढांचा के अंतर्गत ढाई करोड़ लोगों का टीकाकरण कैसे हो सकता है?
अभी भी हमारे देश में 18 वर्ष के कम उम्र वाले बच्चे और किशोरों में टीकाकरण की प्रक्रिया प्रारंभ नही हुई है और कब से यह प्रक्रिया शुरू होगी इसकी कोई जानकारी भी किसी के पास नहीं है।
सरकार अपनी खुद की पीठ थपथपाने के बदले टीकाकरण के लिये अधिक कारगर पहल करे। टीकाकरण की इस पूरी प्रक्रिया में जिन कर्मचारियों ने सामान्य वेतन में अपनी जान को जोखिम में डालकर इस काम को अंजाम दे रहे हैं। सरकार उनको पूरी तरह से उपेक्षित कर अपनी ही वाहवाही लूटने पर तुली हुई है। (आलेख : सुख रंजन नंदी)
Recent Comments