भिलाई नगर (पब्लिक फोरम)। 30 मार्च को शाम 7 बजे सड़क–30, सेक्टर–7 में विभिन्न जन-संगठनों के संयुक्त प्रयास से फासीवाद और उसके क्रियाकलापों से उभरती जन-समस्याओं के मद्देनज़र “शांति, सद्भावना, एकता, सामाजिक समरसता : वर्तमान और भविष्य” विषय पर विचार-गोष्ठी का आयोजन किया गया और विषय पर गंभीर चर्चा की गई। विचार-गोष्ठी में गुरू घासीदास सेवादार संघ के केंद्रीय संयोजक लखन सुबोध विशेष रूप से उपस्थित थे।
सेंटर ऑफ स्टील वर्कर्स ऐक्टू, भिलाई के महासचिव श्याम लाल साहू ने एक आधार-वक्तव्य का पाठ किया। तत्पश्चात गोष्ठी में भाग लेने वाले वक्ताओं ने अपने-अपने विचार रखे।रायपुर से आये एनजीओ कार्यकर्ता आलोक विमल प्रेमानंद ने अपने विचार रखते हुए कहा कि आज जिस तरह फासीज्म का नंगानाच हम देख रहे हैं वह बहुत ही डरावना है। उन्होंने इसके लिए समाज में फैली व्यापक आर्थिक असमानता और जातीयता को कारण बताया।
भाकपा-माले के राज्य प्रभारी बृजेंद्र तिवारी ने गोष्ठी को आगे बढ़ाते हुए कहा कि समाज में फैली मौजूदा समस्याओं को राजनीतिक नज़रिए से देखने–समझने व समाधान ढूँढ़ने की ज़रूरत है। साथ ही आपसी समझ व सहयोग बढ़ाने तथा एकता व भाईचारे के लिए काम करने की ज़रूरत है।
भिलाई स्टील मजदूर सभा– एटक के महासचिव और भाकपा के दुर्ग जिला कमेटी के सचिव विनोद सोनी ने कहा कि फासीवाद के इस नंगे खेल को रोकने के लिए हमें जातियों की संकीर्ण मानसिकता से उबरकर सोचना होगा और वर्ग-संघर्ष को बढ़ावा देना होगा। शोषणकारी तत्व और शोषित वर्ग के लोग सभी जातियों में मौजूद हैं, इसलिए हमें तमाम शोषित-पीड़ित-उपेक्षित लोगों तक पहुँचना होगा और उन्हें सच्चाई से अवगत कराते हुए उनकी समस्याओं को लेकर जूझना होगा। उसने समाजवाद को फासीवाद का एकमात्र विकल्प बताया।
चर्चा में भाग लेते हुए रूस्तम मलिक ने कहा कि मौजूदा समय में जाति-संप्रदायवाद को जिस तरह बढ़ावा दिया जा रहा है वह बहुत ही खतरनाक है। हमें समाज में शांति, सद्भावना और सामाजिक समरसता कायम करने के लिए जाति और संप्रदाय से ऊपर उठकर सोचने की ज़रूरत है। विनोद आचार्य ने शूडो नेशनलिज्म के नाम पर नफ़रत फैलाए जाने को घातक बताया, वहीं अजय पाल ने अल्पसंख्यकों को फासीवादी हमले का मुख्य निशाना बताते हुए इसके खिलाफ लंबी लड़ाई और व्यापक एकजुटता पर बल दिया। आर नंदा ने कहा कि सामाजिक और आर्थिक असमानता के खिलाफ अभियान तेज करने की ज़रूरत है। लोगों में अंधराष्ट्रवाद के उकसावे और नफरत से बचाना होगा।
गोष्ठी के आयोजक वी एन प्रसाद राव ने भिलाई को मिनी भारत की संज्ञा देते हुए भिलाई की सामाजिक समरसता को बेमिसाल बताया और इससे हम सभी को सीखने व इस साझी संस्कृति को आगे बढ़ाने पर जोर दिया।
अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता रविभूषण शर्मा ने धर्म को शोषण-दमन और लूट का मुख्य जरिया बताते हुए कहा कि शासक और शोषक वर्ग के गठजोड़ द्वारा अपने शोषणकारी कृत्यों को जायज ठहराने के लिए धर्म का सहारा लेकर फासीवाद को आगे बढ़ाया जाता है और उसके खेल से कोई जातिविशेष प्रभावित नही होता, बल्कि इसका दंश समूचा देश और समाज झेलता है, और आज वही हो रहा है।
सेंटर ऑफ स्टील वर्कर्स– ऐक्टू, भिलाई के महासचिव श्याम लाल साहू ने अपने विचार रखते हुए कहा कि आज हम बहुत ही खतरनाक दौर में पहुँच चुके हैं। जैसा कि फासीवाद अपने असली रूप में सामने आने से डरता है, सत्ता में आने के लिए बेताब फासीवाद और फासीवादी विचारधारा पूर्ववती कांग्रेस सरकार को भ्रष्टाचार, महंगाई व कालेधन के मुद्दों पर घेरकर तमाम लोक-लुभावन नारे उछालकर और अच्छे दिनों का झॉसा देकर 2014 में संसद के रास्ते से सत्ता में आई। और तभी से इसके जनाधार की गहराती जड़ें और फैलता प्रतिक्रियावादी आंदोलन 20वीं सदी के जर्मनी और इटली के फासीवादी शासन की तुलना में कम उग्र होते हुए भी अपने-आप में काफी भयावह बन चुका है। इसे रोकने का सबसे कारगर उपाय जनपक्षीय मुद्दों का उभार और वर्ग-संघर्ष ही हो सकता है।
विचार–गोष्ठी के मुख्य वक्ता लखन सुबोध ने तमाम वक्ताओं के विचारों का स्वागत् करते हुए कहा कि हमें मौजूदा परिस्थिति और उपस्थित चुनौतियों का सामना करने के लिए जातीय और दलगत भावनाओं से ऊपर उठकर एक साझा मोर्चा चलाने की ज़रूरत है और इसके लिए हमें नफ़रत फैलाने वाली तमाम बातों से बचते हुए कुछ बिंदुओं को रेखांकित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से समाजवाद ही फासीवाद का बेहतर विकल्प है, लेकिन रास्ता आसान नहीं है, बल्कि वहाँ तक पहुँचने के लिए हमारे सामने चुनौतियों की भरमार है। उन्होंने कहा कि आरएसएस जैसे फासीवादी संगठन को ताकतवर बनाने में हमारी जातीयता और रूढ़िवादी सोच की बड़ी भूमिका रही है। इसकी विकरालता इतनी बढ़ चुकी है कि इससे निपटने के लिए अपना ईगो छोड़कर हमें साझा मूवमेन्ट को आगे बढ़ाना होगा।
उपर्युक्त वक्ताओं के अतिरिक्त बिशप मिल्टन, दिलीप उमरे, विनोद आचार्य, पी एम देशमुख, चोवाराम साहू, राजेंद्र चंदाकर, अब्दुल अज़ीम, अभिषेक सावेल सहित अन्य लोगों ने भी अपने विचार रखे।
तमाम वक्ताओं के विचार आने के बाद सभी ने समवेत स्वर में कार्यक्रम की सराहना करते हुए इसे और वृहत पैमाने पर आगे बढ़ाने की बात कही। अंत में गोष्ठी के आयोजक वी एन प्रसाद राव ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कार्यक्रम का समापन किया।
Recent Comments