जांजगीर-चांपा/सक्ती (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ किसान सभा ने ग्रामीण परिवारों को वित्तीय वर्ष में 150 दिवस रोजगार प्रदान करने की मांग की हैं। आज जारी एक प्रेस वयान में संगठन के अध्यक्ष आशाराम पटेल ने कहा कि जब देश में रोजगार का भयावह संकट हो ऐसे स्थिति में मनरेगा ग्रामीण परिवारों को तात्कालिक राहत प्रदान कर सकता है लेकिन शासन-प्रशासन की लापरवाही और भ्रष्टाचार के कारण रोजगार देने के इस कानून का लाभ ग्रामीण परिवारों को नहीँ मिल रहा हैं।
श्री पटेल ने बताया कि देश में बेरोजगारी दर 8% हैं प्रति वर्ष 1 करोड़ 70 लाख लोग बेरोजगार की कतार पर खड़ा हो रहा हैं। बेरोजगारी की विषम स्थिति का मुकाबला मनरेगा के जरिये किया जा सकता है लेकिन मोदी सरकार ने बजट में मनरेगा के आबंटन में पिछले वर्ष के 98हजार करोड़ रूपये अपेक्षा इस वर्ष 73 हजार करोड़ रूपये आबंटित किया गया है यानि मनरेगा में 25% की कटौती कर दिया गया है।
किसान नेता ने राज्य सरकार पर भी आरोप लगाते हुए कहा प्रदेश में मनरेगा में कार्य कर रहे परिवारों को अगर साल में 50 दिन रोजगार देने के राज्य सरकार की आबंटित राशि अपर्याप्त है।
उन्होंने कहा कि किसान सभा जिला में वर्ष में 150 दिन रोजगार देने, मनरेगा कानून के तहत समय पर मजदूरी भुगतान करने, टास्क रेट का पालन कर अतिरिक्त कार्य के अतिरिक्त मजदूरी का भुगतान करने की मांग पर अभियान व आंदोलन चलायेगी।
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