कोरबा (पब्लिक फोरम)। माकपा राज्य सम्मेलन के दौरान 22 दिसम्बर को कुसमुंडा खदान परियोजना के भूविस्थापितों ने माकपा पोलिट ब्यूरो सदस्य और पूर्व सांसद तपन सेन को ज्ञापन सौंपकर अपनी समस्याओं से अवगत कराया। माकपा नेता ने उन्हें जमीनी और कागजी दोनों लड़ाई तेज करने की सलाह दी और कहा कि उनके संघर्ष में माकपा का पूरा सहयोग-समर्थन मिलेगा। उनकी समस्या को उन्होंने मंत्रालय स्तर पर भी उठाने का आश्वासन दिया।
रोजगार के लिए पिछले दो माह से चल रहे धरने और दो बार की गई खदान बंदी आंदोलन की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि विस्थापन के खिलाफ और रोजगार के लिए संघर्ष इस देश में चल रहे व्यापक राजनैतिक संघर्ष का एक हिस्सा है और सरकार की कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों को बदलकर ही इसे जीता जा सकता है। देशव्यापी किसान आंदोलन का उदाहरण सामने रखते हुए उन्होंने कहा कि आप लोग दमन और गिरफ्तारियों से डरें नहीं और दूसरे इलाकों के भूविस्थापितों को भी इस संघर्ष में शामिल कर इसे व्यापक बनाएं। भूविस्थापितों को रोजगार और पुनर्वास की मांग स्थानीय नहीं, देशव्यापी मांग है और स्थानीय संसाधनों की लूट और असमानता के खिलाफ चल रहे संघर्ष का हिस्सा है। तपन सेन ने भूविस्थापितों की समस्याओं से संबंधित दस्तावेज़ों के साथ कोल इंडिया के अधिकारियों के साथ इस मामले में हस्तक्षेप करने का भी आश्वासन दिया है।
उल्लेखनीय है कि एसईसीएल कुसमुंडा मुख्यमहाप्रबंधक कार्यालय के सामने रोजगार एकता संघ के बेनर तले 10 से ज्यादा गांवों के भूविस्थापित किसान पिछले दो महीने से लगातार नियमित रोजगार पाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं। इनकी जमीन 1978-2004 के बीच अधिग्रहित की गई थी, लेकिन तब की पुनर्वास नीति के तहत उन्हें रोजगार नहीं दिया गया था। खदान बंदी के बाद यहां के स्थानीय अधिकारियों ने उन्हें एक माह में रोजगार देने का लिखित वादा किया था, लेकिन एसईसीएल प्रबंधन इसे पूरा करने में असफल रहा। प्रबंधन ने उन्हें ठेका देने की भी पेशकश की, जिसे प्रभावितों ने ठुकरा दिया है। प्रभावित लोग वर्ष 2012 की पुनर्वास नीति भी मानने को तैयार नहीं है, क्योंकि उनकी जमीन इसके पूर्व में औने-पौने मुआवजे पर अधिग्रहित की गई है।
तपन सेन से मिलने वालों में दीपक साहू,जवाहर सिंह कंवर, जय कौशिक, राधेश्याम, दामोदर श्याम,रेशम लाल,बजरंग सोनी,मोहन कौशिक,रामप्रसाद, अशोक मिश्रा, दीपक,रघु,पुनीत,सनत कश्यप, बलराम कश्यप, दीनानाथ,अनिल बिंझवार,गणेश बिंझवार आदि भूविस्थापित शामिल थे। उन्होंने माकपा नेता के सुझाव के अनुसार अपना आंदोलन और तेज करने का निर्णय लिया है।
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