मंगलवार, दिसम्बर 10, 2024
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जिले के सरकारी अस्पताल में कोरवा आदिवासी महिला के हाथ के फ्रैक्चर का इलाज नहीं

प्राइवेट हॉस्पिटल में आदिवासी महिला ने गंवाई अपनी जान

कोरबा (पब्लिक फोरम)। कोरबा के जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहतरी के लिए लंबे वर्षों से प्रयास तो किया जा रहा है लेकिन स्थानीय उदासीनता की वजह से यहां आने वाले अनेक मरीज उपचार लाभ की बजाय निजी अस्पतालों में रेफर किए जा रहे हैं। दलालों के हावी होने से जिला अस्पताल को रेफरल सेंटर बनाकर रख दिया गया है जिसका खामियाजा राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र/पुत्री घोषित एक पहाड़ी कोरवा आदिवासी महिला को अपनी जान गंवाकर भुगतना पड़ा है। महज हाथ में फैक्चर आने की तकलीफ का इलाज जिला अस्पताल में संभव नहीं हो पाया और निजी अस्पताल में 3 दिन से ऑपरेशन की राह तक रही महिला की मौत गई। यह गंभीरता और घोर लापरवाही पूर्ण मामला है जिसे भी लीपापोती कर निपटाने की कोशिश होने लगी है।

कोरबा जिले के ग्राम सतरेंगा के आश्रित मोहल्ला कोराईपारा निवासी सुनीबाई कोरवा 50 वर्ष हाथ में फ्रैक्चर के इलाज के लिए 9 फरवरी को अपने बेटे के साथ जिला अस्पताल आई थी। परिजनों का कहना है कि महिला को यहां से कुछ दलाल उन्हें बकायदा गाड़ी में बिठा कर निजी अस्पताल गीता देवी मेमोरियल ले आए जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने ऑपरेशन की बात कही लेकिन 3 दिन तक ऑपरेशन नहीं हुआ। ऑपरेशन की तिथि को लगातार आगे बढ़ाया गया। आपरेशन के नाम पर महिला को 3 दिनों तक भूखे-प्यासे रखा गया और शुक्रवार और शनिवार की दरम्यानी रात लगभग 1 बजे महिला ने आखिरकार दम तोड़ दिया।

डॉक्टर ने बताया यह कारण

इस मामले में गीता देवी मेमोरियल अस्पताल के मुख्य चिकित्सक बृजलाल कवाची ने बताया कि 09 फरवरी को महिला एडमिट हुई थी। उसमें बाद खून की कमी के कारण ऑपरेशन नहीं किया गया। परिजनों ने खून का इंतजाम कर दिया लेकिन ऑपरेशन के पहले दो और केस आ गये जिनका तत्काल इलाज करना जरूरी था। उस ऑपरेशन में 4 घंटे लग गए। अगले दिन जब महिला के ऑपरेशन की तैयारी की गई तब और कुछ जरूरी केस आ गए, जिसके कारण महिला का ऑपरेशन नहीं हो सका। इस बीच महिला क्रिटिकल कंडीशन में आ गयी। संभवत: जो हड्डी टूटी थी उसकी वजह से खून का थक्का जम जाने से रक्त प्रवाह बाधित होने या आपरेशन के नाम से हार्ट अटैक के कारण महिला की मौत हुई होगी।

डॉक्टर के इस कथन से यह बात साफ है कि अस्पताल में एक साथ दो ऑपरेशन करने के लिए ना तो चिकित्सक मौजूद है ना ही उनके पास पर्याप्त संसाधन हैं। महिला के इलाज लिए 3 दिन तक रोककर रखा गया। इस दौरान भूखे-प्यासे रहने के कारण महिला की स्थिति गंभीर हो गई जिसके कारण उसकी मौत हो गई। मृतका के पति सुख सिंह पहाड़ी कोरवा का अस्पताल प्रबंधन पर सीधा-सीधा आरोप है कि चिकित्सकों ने लापरवाही पूर्वक इलाज करते हुए उनके पत्नी की हत्या की है।

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