रायपुर//पब्लिक फोरम// छत्तीसगढ़ किसान महासभा द्वारा 30 जुलाई को बंगोली, रायपुर में किसान संसद का आयोजन किया गया. किसान संसद के सभापति बिसहत कुर्रे तथा उपसभापति केशव साहू थे.संसद की शुरुआत चल रहे किसान आंदोलन में शहीद किसानों एवं कोविड महामारी मे मारे गए लोगों को एक मिनट का मौन धारण कर श्रध्दांजलि से हुई और मोदी सरकार की किसान मजदूर विरोधी नीतियों पर तीव्र रोष जाहिर किया गया.
संसद में तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने तथा फसलों के खरीद की न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गांरटी करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया. प्रस्ताव नरोत्तम शर्मा द्वारा रखा गया.संसद मे ऐक्टू से बृजेन्द्र तिवारी, छत्तीसगढ़ किसान महासभा से संजय कुमार,छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ से पारसनाथ साहू ,अ.भा.क्रांतिकारी किसान सभा से तेजराम विद्रोही आदि लोगों ने अपने विचार रखे.
संसद में कहा गया कि किसान विरोधी तीनों काला कानून वापस लो-वरना गद्दी छोड़ दो.कम्पनी राज नहीं चलेगा-कारपोरेट गुलामी नहीं सहेंगे. खेत खेती किसान बचाओ-कारपोरेट लूट का राज मिटाओ.किसानों की एकजुटता एवं समर्थन ने इसे आजादी के बाद छिड़े सबसे बड़े एवं व्यापक ऐतिहासिक आंदोलन में तब्दील कर दिया है कारपोरेट हितों से बंधी मोदी सरकार अपने जिद पर अड़ी है.
ग्राम मूरा मे 6 अगस्त और 7 अगस्त को ग्राम धनसुली मे किसान संसद आयोजन करने का निर्णय लिया गया.
संसद मे धनेश वर्मा, गुलाब कंड़रा, नारायण वर्मा, कन्हैया साहू,मनराखन लाल सांरग, पुष्कर नायक, धर्मेंद्र बैरागी, हीरालाल साहू,दुखलहा राम मांडले, खजन रात्रे आदि लोगों ने हिस्सा लिया।
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