नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। संचार की दुनिया में एक युग का अंत होने जा रहा है। 171 वर्षों तक देशवासियों के भरोसे का प्रतीक रही भारतीय डाक विभाग की प्रतिष्ठित रजिस्टर्ड पोस्ट सेवा 1 सितंबर, 2025 से इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएगी। यह सेवा अब स्पीड पोस्ट के साथ एकीकृत कर दी जाएगी, जिसके बाद सभी जरूरी दस्तावेज़ या पार्सल भेजने के लिए केवल स्पीड पोस्ट का ही विकल्प उपलब्ध रहेगा। सरकार का दावा है कि यह कदम डाक सेवाओं के आधुनिकीकरण और उन्हें अधिक कारगर बनाने की दिशा में एक बड़ा फैसला है।
यह बदलाव महज़ एक सेवा का अंत नहीं, बल्कि उन लाखों लोगों की खट्टी-मीठी यादों का समापन है, जिनके लिए रजिस्टर्ड डाक कभी खुशी तो कभी गम का पैगाम लेकर आती थी।
क्यों लिया गया यह ऐतिहासिक फैसला?
डिजिटल क्रांति के इस युग में जहाँ ईमेल और व्हाट्सएप ने संचार को बेहद तेज़ और आसान बना दिया है, वहीं पारंपरिक डाक सेवाओं का उपयोग लगातार कम हो रहा है। डाक विभाग के आँकड़ों के अनुसार, 2011-12 में जहाँ 24.44 करोड़ रजिस्टर्ड लेख भेजे गए थे, वहीं 2019-20 तक यह संख्या घटकर 18.46 करोड़ रह गई। कोविड-19 महामारी के बाद इस गिरावट में और तेज़ी आई। इसके अलावा, निजी कूरियर कंपनियों और ई-कॉमर्स लॉजिस्टिक्स से बढ़ती प्रतिस्पर्धा भी इस बदलाव का एक बड़ा कारण है।
डाक विभाग के अनुसार, दोनों सेवाओं का विलय परिचालन को सुव्यवस्थित करने, संसाधनों का बेहतर उपयोग करने और ग्राहकों को एक ही छत के नीचे बेहतर सुविधाएँ प्रदान करने के लिए किया जा रहा है।

क्या होगा आम आदमी पर असर?
इस बदलाव का सबसे सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ेगा। रजिस्टर्ड पोस्ट एक किफायती सेवा थी, जिसकी शुरुआती दर लगभग 25.96 रुपये थी। वहीं, स्पीड पोस्ट 50 ग्राम तक के पार्सल के लिए 41 रुपये से शुरू होती है, जो लगभग 20-25% महंगी है। इससे विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले किसानों, छोटे व्यापारियों और उन लोगों पर आर्थिक बोझ बढ़ सकता है जो सस्ती डाक सेवाओं पर निर्भर थे।
हालांकि, विभाग का कहना है कि स्पीड पोस्ट के माध्यम से ग्राहकों को बेहतर और तेज़ सेवाएँ मिलेंगी। इसमें ऑनलाइन रियल-टाइम ट्रैकिंग, तेज़ डिलीवरी और डिलीवरी की पुष्टि जैसी सुविधाएँ शामिल होंगी, जो रजिस्टर्ड पोस्ट में सीमित थीं।
मुख्य अंतर: रजिस्टर्ड पोस्ट बनाम स्पीड पोस्ट
सुविधा रजिस्टर्ड पोस्ट स्पीड पोस्ट
प्राथमिकता सुरक्षित डिलीवरी, केवल नामित व्यक्ति को तेज़ डिलीवरी, पते पर मौजूद किसी भी व्यक्ति को
गति धीमी तेज़ (आमतौर पर 2-3 दिन)
ट्रैकिंग सीमित रियल-टाइम ऑनलाइन ट्रैकिंग
लागत सस्ती (लगभग 26 रुपए से शुरू) महंगी (लगभग 41 रुपए से शुरू)
एक भरोसे का अंत
रजिस्टर्ड पोस्ट की शुरुआत 1854 में ब्रिटिश शासन के दौरान लॉर्ड डलहौजी ने की थी। तब से लेकर आज तक यह सेवा कानूनी नोटिस, अदालती समन, नियुक्ति पत्र और महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों को भेजने के लिए सबसे विश्वसनीय माध्यम मानी जाती रही है। इसकी कानूनी मान्यता होने के कारण अदालतों में इसे सबूत के तौर पर भी पेश किया जाता था।रक्षाबंधन पर भेजी जाने वाली राखियों से लेकर बैंक ड्राफ्ट तक, यह सेवा आम भारतीय के जीवन का एक अभिन्न हिस्सा रही है।
इस सेवा का बंद होना एक युग के अंत जैसा है, खासकर उस पीढ़ी के लिए जिसने संचार के लिए पूरी तरह से डाक विभाग पर भरोसा किया है।डाक विभाग ने सभी पोस्टमास्टरों को 31 जुलाई तक आवश्यक संशोधन करने के निर्देश दिए हैं, ताकि 1 सितंबर से यह बदलाव सुचारू रूप से लागू हो सके।सभी सरकारी कार्यालयों, न्यायालयों और अन्य संस्थानों को भी अपने संचार माध्यमों में इस बदलाव को अपनाने के लिए कहा गया है।
डाक विभाग ने सभी पोस्टमास्टरों को 31 जुलाई तक आवश्यक संशोधन करने के निर्देश दिए हैं, ताकि 1 सितंबर से यह बदलाव सुचारू रूप से लागू हो सके।सभी सरकारी कार्यालयों, न्यायालयों और अन्य संस्थानों को भी अपने संचार माध्यमों में इस बदलाव को अपनाने के लिए कहा गया है।
यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि डाक विभाग इस नई एकीकृत सेवा को आम लोगों, विशेषकर ग्रामीण और दूर-दराज के क्षेत्रों में, कितना सुलभ और किफायती बना पाता है। तकनीक और परंपरा के इस संगम की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि ग्राहकों की पुरानी अपेक्षाओं और नई सुविधाओं के बीच कितना बेहतर संतुलन स्थापित किया जा सकता है।
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