कोरबा (पब्लिक फोरम)। बच्चों के भविष्य को संवारने और शिक्षा के प्रकाश को हर कोने तक पहुंचाने के लिए कोरबा जिले में एक नई उम्मीद की किरण जगी है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व और कलेक्टर अजीत वसंत के कुशल मार्गदर्शन में जिला खनिज संस्थान न्यास (डीएमएफ) ने 568 शिक्षकों को अतिथि शिक्षक के रूप में नियुक्त किया है। यह कदम न सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति ला रहा है, बल्कि सैकड़ों परिवारों के लिए रोजगार और सम्मान का जरिया भी बन गया है।
शिक्षा के मंदिर में नए सितारे
इस पहल के तहत जिले के स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए ठोस कदम उठाया गया है। प्राथमिक शालाओं में 343 सहायक शिक्षक, माध्यमिक शालाओं में 107 शिक्षक और हाई एवं हायर सेकंडरी स्कूलों में 118 लेक्चरर बच्चों को पढ़ाने के लिए तैनात किए गए हैं। खास बात यह है कि इनमें 41 शिक्षक विशेष रूप से संवेदनशील जनजातीय समूह (पीवीटीजी) से हैं, जो अपने समुदाय के बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
मानदेय से मिली सम्मानजनक जिंदगी
इन शिक्षकों को उनकी मेहनत का पूरा सम्मान दिया जा रहा है। डीएमएफ फंड से हर महीने मानदेय के रूप में प्राथमिक शाला के शिक्षकों को 10 हजार रुपये, माध्यमिक शाला के शिक्षकों को 12 हजार रुपये और हाई एवं हायर सेकंडरी स्कूलों के शिक्षकों को 14 हजार रुपये दिए जा रहे हैं। यह राशि न सिर्फ उनके परिवारों का सहारा बन रही है, बल्कि उन्हें बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए और प्रेरित कर रही है।
बच्चों के सपनों को मिली उड़ान
यह योजना केवल शिक्षकों की नियुक्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उन हजारों बच्चों की जिंदगी में बदलाव का सबब बन रही है, जो शिक्षकों की कमी के कारण पढ़ाई से वंचित थे। कोरबा के गाँव-गाँव में अब स्कूलों की रौनक बढ़ गई है। माता-पिता की आँखों में अपने बच्चों के लिए एक सुनहरे भविष्य की चमक साफ दिखाई दे रही है। एक अभिभावक ने भावुक होते हुए कहा, “अब हमारे बच्चे भी बड़े सपने देख सकते हैं, क्योंकि अब उनके पास पढ़ाने वाले गुरुजी हैं।”
डीएमएफ का अनूठा योगदान
जिला खनिज संस्थान न्यास (डीएमएफ) खनन क्षेत्रों के विकास के लिए जाना जाता है, लेकिन कोरबा में यह शिक्षा के क्षेत्र में भी मिसाल कायम कर रहा है। कलेक्टर अजीत वसंत का कहना है, “हमारा लक्ष्य हर बच्चे तक शिक्षा पहुंचाना और हर शिक्षक को सम्मान देना है। डीएमएफ इस दिशा में एक मजबूत कड़ी साबित हो रहा है।” यह पहल न सिर्फ शिक्षा को बढ़ावा दे रही है, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार देकर सामाजिक-आर्थिक तरक्की में भी योगदान दे रही है।
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