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बुधवार, अक्टूबर 29, 2025
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पाली में मितानिन ब्लॉक समन्वयक ने जातिगत प्रताड़ना का लगाया आरोप: कलेक्टर से की न्याय की मांग

कोरबा/पाली (पब्लिक फोरम)।पाली विकासखंड के अंतर्गत मितानिन कार्यक्रम में कार्यरत ब्लॉक समन्वयक (स्वस्थ पंचायत) राधेश्याम खांडेय ने जातिगत भेदभाव और सार्वजनिक अपमान का गंभीर आरोप लगाते हुए कोरबा कलेक्टर सहित संबंधित अधिकारियों से न्याय की मांग की है। उन्होंने इस संबंध में लिखित शिकायत प्रस्तुत की है, जिसमें उन्होंने समीक्षा बैठक के दौरान अपने साथ हुए व्यवहार को न केवल असंवैधानिक बताया, बल्कि उसे मानसिक प्रताड़ना की श्रेणी में रखते हुए कार्रवाई की मांग की है।

श्री खांडेय ने अपनी शिकायत में उल्लेख किया है कि वे सतनामी समाज से आते हैं और मितानिन कार्यक्रम में लंबे समय से सेवा दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि दिनांक 25 जुलाई 2025 को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पाली में आयोजित एमटी समीक्षा बैठक में वे निर्धारित कुर्सी पर बैठे हुए थे, तभी बैठक में शामिल अन्य ब्लॉक समन्वयक विजय कश्यप और एमटीगण- शिव नारायण राठौर, प्रेमलता पंथ, उमा यादव एवं गायत्री विश्वकर्मा- ने उन्हें बैठक से बाहर जाने के लिए कहा।

शिकायत के अनुसार, इन कर्मचारियों ने उन्हें यह कहते हुए अपमानित किया कि “तुम हमारे संघ के नहीं हो”, “तुम सतनामी जाति से हो, तुम्हारा यहाँ क्या काम?”, और उन्हें जबरन हाल से बाहर कर दिया गया। इस व्यवहार से मानसिक रूप से आहत होकर वे बैठक बीच में ही छोड़कर घर लौट आए।

खांडेय ने यह भी आरोप लगाया है कि विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार, मितानिनों से अवैध उगाही और डराने-धमकाने की प्रवृत्ति का वे लगातार विरोध करते आए हैं, जिसके चलते उन्हें बार-बार अपमानित और बहिष्कृत किया गया। उन्होंने बताया कि हाल ही में एक मितानिन को कार्यक्रम में पुनः शामिल कराने के एवज में रिश्वत मांगे जाने की घटना में भी उन्होंने चुप्पी साधने से इनकार किया था, जिससे संबंधित कर्मचारियों में असंतोष बढ़ गया और उनके खिलाफ माहौल बनाया गया।

उन्होंने यह स्पष्ट रूप से कहा है कि बार-बार जाति का उल्लेख कर उन्हें अपमानित करना संविधान के मूल अधिकारों का उल्लंघन है और यह जातिगत अत्याचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत दंडनीय अपराध भी है।

राधेश्याम खांडेय ने प्रशासन से मांग की है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की जाए, दोषियों पर उचित वैधानिक कार्रवाई हो और कार्यस्थल पर समानता व गरिमा सुनिश्चित की जाए।

यह मामला न केवल एक कर्मचारी के व्यक्तिगत सम्मान से जुड़ा है, बल्कि कार्यस्थल पर व्याप्त जातीय भेदभाव और पदाधिकारियों के दुरुपयोग की प्रवृत्ति को भी उजागर करता है। यदि आरोप सही हैं, तो यह प्रशासन के लिए चेतावनी है कि निचले स्तर पर संवेदनशील योजनाओं में संलग्न कर्मचारियों के साथ किस तरह का व्यवहार किया जा रहा है।

इस मामले में कलेक्टर कार्यालय की ओर से अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन सामाजिक संगठनों ने प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की अपेक्षा जताई है।

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