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शुक्रवार, फ़रवरी 21, 2025
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बजट 2025-26 पर वाम दलों का प्रहार: जनता को राहत देने के लिए वैकल्पिक प्रस्ताव पेश

0वाम दलों ने बजट को बताया आम जनता की जरूरतों से ‘विश्वासघात’।
0रोजगार, न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा पर खास ज़ोर।
0धनी वर्ग और कॉर्पोरेट सेक्टर पर अधिक कर लगाकर संसाधन जुटाने की मांग।

14 से 20 फ़रवरी तक चलाएंगे देशव्यापी जन-अभियान

नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। वाम दलों-भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन, रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और ऑल इंडिया फ़ॉरवर्ड ब्लॉक—ने 3 फ़रवरी 2025 को बैठक के बाद केंद्र सरकार के पेश किए बजट 2025-26 पर कड़ा विरोध जताया है। उनका कहना है कि यह बजट देश के आम लोगों की बुनियादी ज़रूरतों को अनदेखा करता है और अमीर तबकों को रियायत देकर असमानता बढ़ाने का काम करता है। वाम दलों ने बजट को “जनता की तुरंत ज़रूरतों के साथ विश्वासघात” बताते हुए कई वैकल्पिक प्रस्ताव पेश किए हैं, जिनके ज़रिए वे रोज़गार, न्यूनतम मज़दूरी तथा सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करना चाहते हैं।

बजट पर वाम दलों का रुख

वाम दलों का कहना है कि देश में ख़पत (डिमांड) की कमी, बेरोज़गारी और घटती मज़दूरी जैसी गंभीर चुनौतियाँ हैं। उनके मुताबिक़, इन समस्याओं का समाधान करने के बजाय सरकार ने बजट में धनी वर्ग और कॉर्पोरेट क्षेत्र को रियायतें देकर उम्मीद की है कि अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटेगी। हालाँकि, उनका आरोप है कि इससे असमानता बढ़ेगी और आम जनता को कोई ठोस राहत नहीं मिलेगी।

1. रोज़गार और मज़दूरी
बजट में मनरेगा (MNREGA) के लिए आवंटन 86,000 करोड़ रुपये पर सीमित रखा गया है, जबकि काम की माँग बढ़ी है।
बेरोज़गारी दूर करने के लिए ठोस प्रावधान न होने से असंतोष जताया गया है।

2. सार्वजनिक सेवाओं पर कटौती का आरोप
शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, ग्रामीण विकास और खाद्य सब्सिडी के बजट आवंटन को अपर्याप्त या कमतर बताया गया है।
बजट में विद्युत क्षेत्र के निजीकरण एवं अन्य सार्वजनिक सुविधाओं की बिक्री (निजीकरण) की आशंका जताई गई है।

3. कर-नीतियों पर सवाल
12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर इनकम टैक्स छूट से मध्यम वर्ग को कुछ राहत मिली है, पर वाम दलों का मानना है कि यह छूट गरीबों और ग़ैर-आयकरदाता तबकों के लिए पर्याप्त नहीं।
उनका तर्क है कि धनी और कॉर्पोरेट वर्ग पर अधिक टैक्स लगाकर जुटाए गए संसाधनों से आम लोगों पर बढ़ रहे जीएसटी (GST) जैसे अप्रत्यक्ष करों का बोझ कम किया जा सकता था।

वाम आश्रम का वैकल्पिक प्रस्ताव

वाम दलों ने बजट को “जनविरोधी” करार देते हुए कई वैकल्पिक और सुधारात्मक कदम उठाने की मांग की है, जिन्हें वित्त विधेयक (फाइनेंस बिल) में शामिल करने पर ज़ोर दिया गया है:

1. कर-प्रणाली में बदलाव
देश के 200 डॉलर-अरबपति उद्योगपतियों पर 4% धनकर (वेल्थ टैक्स) लगाया जाए।कॉर्पोरेट सेक्टर पर कर की दरें बढ़ाई जाएँ।
2. कृषि क्षेत्र को सुरक्षा
कृषि उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की क़ानूनी गारंटी दी जाए।
कृषि विपणन संबंधी प्रस्तावित राष्ट्रीय नीति के मसौदे को वापस लिया जाए।
3. निजीकरण पर रोक
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को निजी क्षेत्र के हवाले करने वाली नीतियों और राष्ट्रीय मोनेटाइज़ेशन पाइपलाइन पर रोक लगाई जाए।
बीमा क्षेत्र में 100% एफडीआई को फ़ौरन वापस लिया जाए।
4. रोज़गार गारंटी
मनरेगा के लिए बजट आवंटन में 50% की वृद्धि की जाए।
शहरी रोज़गार गारंटी क़ानून लागू किया जाए।
वृद्धावस्था पेंशन और अन्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में केंद्र का योगदान बढ़ाया जाए।
5. स्वास्थ्य एवं शिक्षा
स्वास्थ्य क्षेत्र का बजट जीडीपी के 3% तक बढ़ाया जाए।
शिक्षा पर खर्च जीडीपी के 6% तक ले जाया जाए।
6. खाद्य सुरक्षा
खाद्य सब्सिडी बढ़ाकर सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) को मजबूत बनाया जाए।
7. समाज कल्याण और विकास
अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और महिलाओं व बच्चों के विकास के लिए आवंटन बढ़ाया जाए।
बाल विकास सेवाओं (ICDS) के लिए बढ़ा हुआ बजट रखा जाए तथा स्कीम वर्कर्स के मानदेय में केंद्र का अंश बढ़ाया जाए।
8. राज्यों को अधिक वित्तीय शक्ति
राज्यों के हिस्से में अधिक वित्तीय स्थानांतरण किया जाए।
पेट्रोलियम उत्पादों पर लगने वाले उपकर (सेस) और अधिभार (सरचार्ज) को समाप्त किया जाए ताकि राज्यों के साथ बंटवारे में पारदर्शिता रहे।

जन-अभियान की योजना

वाम दलों ने स्पष्ट किया है कि वे अपने इन प्रस्तावों को वित्त विधेयक में शामिल कराने के लिए 14 से 20 फ़रवरी तक देशव्यापी जन-अभियान चलाएँगे। इस दौरान:-
घर-घर संपर्क, सड़क सभाएँ, प्रदर्शन और रैलियाँ आयोजित की जाएँगी।
आम जनता तक वाम दलों के संदेश और मांगें पहुँचाने की कोशिश की जाएगी।
वाम नेताओं का मानना है कि इन कदमों से आम लोगों की क्रय शक्ति (Purchasing Power) और रोज़गार के अवसर दोनों बढ़ाए जा सकते हैं, जिससे अर्थव्यवस्था में सुधार होगा और सामाजिक सुरक्षा मज़बूत होगी।

प्रेस विज्ञप्ति पर हस्ताक्षरकर्ता:
प्रकाश करात, कोऑर्डिनेटर, पोलित ब्यूरो, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)
डी. राजा, महासचिव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
दीपंकर भट्टाचार्य, महासचिव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन
मनोज भट्टाचार्य, महासचिव, रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी
जी. देवराजन, महासचिव, ऑल इंडिया फ़ॉरवर्ड ब्लॉक
(वाम दलों के साझा बयान और प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)

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