कोरबा (पब्लिक फोरम)। रोजगार की आस में स्थानीय बेरोजगार युवाओं का संघर्ष रविवार को एक नए मुकाम पर पहुंच गया, जब भूविस्थपित कोयला कर्मचारी एसोसिएशन ने स्थानीय युवाओं को रोजगार देने की मांग को लेकर कलिंगा कंपनी के गेट के सामने धरना दिया। इस प्रदर्शन में स्थानीय युवाओं ने जमकर नारेबाजी की और अपनी आवाज़ बुलंद की, जिससे एक भावनात्मक माहौल पैदा हो गया।
स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार की मांग
भूविस्थपित कोयला कर्मचारी एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि स्थानीय बच्चों को नौकरी के अवसरों से वंचित किया जा रहा है। प्रदेश अध्यक्ष उषा विश्वकर्मा ने कहा, “यहाँ के युवाओं को रोजगार के लिए भटकना पड़ता है जबकि बाहरी लोगों को आसानी से नौकरियाँ मिल रही हैं। इस असमानता के विरोध में हमने यह प्रदर्शन किया है।”
बाहरी लोगों को हटाकर क्षेत्र के युवाओं को मिले प्राथमिकता: जिलाध्यक्ष संतोष पटेल
जिलाध्यक्ष संतोष पटेल ने इस आंदोलन के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए कहा, “हम चाहते हैं कि बाहरी लोगों को नौकरी से हटाकर हमारे क्षेत्र के बेरोजगार युवाओं को रोजगार दिया जाए। यहाँ की कंपनियों को स्थानीय युवाओं को रोजगार में प्राथमिकता देनी चाहिए।”
प्रबंधन की ओर से आश्वासन पर समाप्त हुआ धरना
प्रदर्शन के दौरान भूविस्थपित कोयला कर्मचारी एसोसिएशन के पदाधिकारियों और कंपनी प्रबंधन के बीच बातचीत हुई। कलिंगा कंपनी के विकास दुबे ने स्थानीय युवाओं को रोजगार देने का आश्वासन दिया, जिसके बाद एसोसिएशन ने धरना समाप्त किया। इस आश्वासन के बाद प्रदर्शनकारी युवाओं में आशा की किरण जगी है।
धरने में बड़ी संख्या में पदाधिकारी और ग्रामीण मौजूद
धरने में एसोसिएशन के महत्वपूर्ण पदाधिकारी, जैसे डारेक्टर जनकू दास दीवान, प्रदेश अध्यक्ष कुमारी उषा विश्वकर्मा, जिलाध्यक्ष संतोष पटेल, प्रदेश उपाध्यक्ष नादेश्वरी साहू, रामेश्वर यादव और विद्यानंद राठौर सहित अन्य पदाधिकारी, सदस्य और आसपास के गाँवों से आए युवाओं ने भाग लिया। महिलाओं ने भी बड़ी संख्या में इस आंदोलन में अपनी भागीदारी दी, जिनमें महिला मोर्चा जिला सचिव राजीम कर्ण, मीना, दुर्गा यादव, जानकी बाई श्याम, मंजू यादव, गौरी यादव, सुशीला, रजनी, राज ओग्रे, दुर्गेश साहू प्रमुख रूप से शामिल रहीं।
समाज में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद
यह प्रदर्शन केवल रोजगार के मुद्दे तक सीमित नहीं था; यह स्थानीय समुदाय की आशाओं और उनके अधिकारों की लड़ाई को भी दर्शाता है। यह धरना स्थानीय युवाओं के मनोबल को बढ़ाते हुए उनके अधिकारों के लिए संघर्ष का प्रतीक बन गया है। अब सभी की निगाहें कंपनी प्रबंधन पर हैं कि वे अपने वादे को कब और कैसे पूरा करेंगे।
यह धरना स्थानीय युवाओं की रोजगार पाने की हसरत और उनके अधिकारों की आवाज को बुलंद करता है। यह खबर इस इलाके की जमीनी सच्चाई को उजागर करती है और लोगों की जिंदगी में एक सकारात्मक बदलाव लाने की उम्मीद जगाती है।
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