रायगढ़(पब्लिक फोरम) । महिलाआंे का कार्यस्थल पर लैगिंक उत्पीडन (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम 2013 के क्रियान्वयन के संबंध में तथा महिलाओं के सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए जिला प्रशासन सजग है। ऐसे सभी विभाग, संगठन, उपक्रम, प्रतिष्ठान, उद्यम, संस्थान, कार्यालय, शाखा अथवा इकाई जो प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से सरकार, स्थानीय प्राधिकरण, सरकारी कम्पनी, निगम, सहकारी सोसाइटी द्वारा प्रदत्त निधियों द्वारा स्थापित, स्वामित्वाधीन, नियंत्रणाधीन अथवा वित्त पोषित हो।
निजी क्षेत्र का संगठन, उपक्रम, उद्यम संस्थान, प्रतिष्ठान, सोसाईटी, न्यास, गैर-शासकीय संगठन, इकाई अथवा सेवा प्रदाता जो वाणिज्यिक, व्यावसायिक, शैक्षिक, मनोजरंजन, औद्योगिक, स्वास्थ्य सेवाएं अथवा वित्तीय क्रियाकलाप कर रहा हो, जिसमें उत्पादन, आपूर्ति, विक्रय, वितरण, अस्पताल अथवा नर्सिंग होम, खेलकूद का संस्थान, स्टेडियम, खेल परिसर, प्रतियोगिता अथवा खेल का स्थान आदि निजी क्षेत्र जहां 10 या 10 से अधिक अधिकारी-कर्मचारी कार्यरत है वहां अधिनियम के धारा 04 के अनुसार आंतरिक शिकायत समिति का गठन किया जाना अनिवार्य है। समिति में महिला जो कार्यस्थल के कर्मचारियों में से वरिष्ठ स्तर के हो अध्यक्ष होगी, कर्मचारियों में से महिलाओं के लिए प्रतिबद्ध अथवा सामाजिक कार्य में अनुभव रहने वाली 02 सदस्य व गैर शासकीय संगठन, संघ से 01 सदस्य होगें, आधे से अधिक महिलाएं सदस्य हो सकती है। समिति का कार्यकाल 03 वर्ष का होगा। समिति का गठन नही होने पर अधिनियम की धारा 26 के अंतर्गत 50,000 रूपये का जुर्माने का प्रावधान है।
उल्लेखनीय है कि महिलाओं सुरक्षा एवं संरक्षण हेतु माननीय उच्चतम न्यायालय में प्रकरण क्रमांक 22553/2023 में नियमित सुनवाई की जा रही है। प्रशासन द्वारा इस पर सभी कार्यालय, व्यवसायिक प्रतिष्ठान जहां 10 या 10 से अधिक कर्मचारी कार्यरत है वहां समिति का गठन अनिवार्य है। अतः जिले के सभी व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में समिति गठन कर उसे ऑनबोर्ड कर आंतरिक शिकायत समिति के पदाधिकारियों का विवरण एण्ट्री करना अनिवार्य है।
व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में भी आंतरिक शिकायत समिति गठन करना अनिवार्यसमिति गठित नही होने पर 50 हजार रूपये जुर्माने का प्रावधान
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