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मंगलवार, अक्टूबर 14, 2025
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दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों को खांसी की सिरप देना अब पूर्णतः प्रतिबंधित: छत्तीसगढ़ में औषधि निरीक्षण और निगरानी कड़ी

रायपुर (पब्लिक फोरम)। भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने शिशुओं के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए एक बड़ा कदम उठाया है। मंत्रालय द्वारा जारी नई एडवाइजरी में स्पष्ट कहा गया है कि दो वर्ष से कम आयु के बच्चों को किसी भी प्रकार की खांसी की सिरप या सर्दी-जुकाम की दवाएं नहीं दी जानी चाहिए। साथ ही, यह भी अनुशंसा की गई है कि पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों को भी इन दवाओं से बचाना उचित रहेगा।

इस निर्णय का उद्देश्य छोटे बच्चों को दवाओं के दुष्प्रभावों से सुरक्षित रखना और उनके स्वास्थ्य की प्राकृतिक सुरक्षा प्रणाली को बनाए रखना है।

छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग की तत्पर कार्रवाई

एडवाइजरी जारी होने के तुरंत बाद, छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों (CMHO) तथा सिविल सर्जनों को स्पष्ट निर्देश भेजे हैं कि भारत सरकार की गाइडलाइन का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जाए।
स्वास्थ्य सेवाओं के आयुक्त ने इस विषय पर एक उच्चस्तरीय वीडियो कॉन्फ्रेंस आयोजित कर जिलास्तरीय अधिकारियों को चेताया कि बिना चिकित्सकीय परामर्श के बच्चों को कोई भी खांसी या सर्दी की दवा देना कानूनी उल्लंघन माना जाएगा।

विशेषज्ञों की राय: बच्चों में सामान्य जुकाम-खांसी के लिए दवा जरूरी नहीं

चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि अधिकांश मामलों में बच्चों का सर्दी-जुकाम अपने आप ठीक हो जाता है। ऐसे में, बिना डॉक्टर की सलाह दवा देना खतरनाक साबित हो सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, खांसी की सिरप या सर्दी की दवाएं शिशुओं में सांस लेने में कठिनाई, नींद अधिक आना या अन्य दुष्प्रभाव उत्पन्न कर सकती हैं।
इसी कारण आम जनता को भी जागरूक करने का अभियान चलाया जाएगा, ताकि अभिभावक डॉक्टर की सलाह के बिना बच्चों को दवा न दें।

औषधि आपूर्ति और निरीक्षण पर कड़ी निगरानी

छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन (CGMSC) ने जानकारी दी है कि जिन दो कंपनियों के विरुद्ध अन्य राज्यों में कार्रवाई हुई है, उनकी राज्य में किसी भी प्रकार की सरकारी आपूर्ति नहीं रही है।
ये कंपनियाँ सीजीएमएससी के डेटाबेस में पंजीकृत भी नहीं हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि राज्य की सरकारी औषधि आपूर्ति शृंखला पारदर्शी और सतर्क है।

औषधि निर्माण इकाइयों और मेडिकल स्टोर्स पर जांच तेज

भारत सरकार के स्वास्थ्य सचिव द्वारा 5 अक्टूबर को आयोजित बैठक के बाद, छत्तीसगढ़ के खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग (FDA) ने राज्यभर में जोखिम-आधारित निरीक्षण (Risk-Based Inspection) शुरू कर दिया है।
सभी सहायक औषधि नियंत्रकों और औषधि निरीक्षकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने-अपने क्षेत्रों के औषधि विक्रय संस्थानों और निर्माण इकाइयों का निरीक्षण करें।

साथ ही, निजी फार्मेसियों का आकस्मिक निरीक्षण भी जारी है, ताकि किसी भी स्तर पर एडवाइजरी का उल्लंघन न हो सके। इस कार्रवाई का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों को किसी भी स्थिति में खांसी या सर्दी की दवा न दी जाए।

स्वास्थ्य विभाग की अपील: “डॉक्टर की सलाह के बिना बच्चों को दवा न दें”

राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों ने अभिभावकों से विशेष आग्रह किया है कि वे बिना चिकित्सकीय परामर्श के बच्चों को कोई भी दवा न दें।
दवाओं के गलत उपयोग से बचने के लिए परिवारों को बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेने की आदत विकसित करने की सलाह दी गई है।

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