रायपुर (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने शुक्रवार को रिश्वतखोरी के दो अलग-अलग मामलों में कार्रवाई करते हुए तीन अधिकारियों और कर्मचारियों को रंगे हाथ गिरफ्तार किया। इन मामलों में राजस्व निरीक्षक, प्रधान आरक्षक और आरक्षक शामिल हैं। एसीबी की यह कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूत संदेश देती है।
पहला मामला: सीमांकन के लिए रिश्वत की मांग
पीड़ित भरतलाल, निवासी ग्राम भातमाहूल (तहसील हसौद, जिला सक्ती), ने एसीबी बिलासपुर में शिकायत दर्ज कराई थी। भरतलाल ने बताया कि उसके और उसके माता-पिता के नाम की जमीन का सीमांकन करने का आदेश तहसीलदार ने राजस्व निरीक्षक बद्रीनारायण (कुटराबोठ) को दिया था। सीमांकन के लिए संपर्क करने पर आरोपी राजस्व निरीक्षक ने 1 लाख रुपये रिश्वत की मांग की। शिकायत की जांच के बाद एसीबी ने योजना बनाई और पहली किश्त के रूप में 30,000 रुपये लेते हुए राजस्व निरीक्षक को रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 के तहत कार्यवाही जारी है।
दूसरा मामला: शिकायत निपटारे के लिए रिश्वत
दूसरा मामला सारंगढ़ का है, जहां महेंद्र साहू, निवासी ग्राम गिरसा (थाना सरसींवा), ने एसीबी में शिकायत दर्ज कराई। महेंद्र के अनुसार, उसके और उसके पिता के बीच विवाद के समाधान के लिए प्रधान आरक्षक सुमत डहरिया और आरक्षक कमल किशोर ने 18,000 रुपये की रिश्वत मांगी थी। इन दोनों ने 1,500 रुपये पेटीएम के माध्यम से और 5,000 रुपये नगद पहले ही ले लिए थे। बची हुई राशि के लिए बार-बार दबाव बनाया जा रहा था।
महेंद्र ने रिश्वत देने के बजाय एसीबी से संपर्क किया और मामले की सच्चाई सामने लाने में मदद की। एसीबी ने ट्रैप लगाकर आरोपी कर्मचारियों को 10,000 रुपये की बची हुई राशि लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया।
भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम
दोनों मामलों में एसीबी ने न केवल दोषियों को पकड़ा बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि कानून का पालन करते हुए पीड़ितों को न्याय मिले। यह कार्रवाई सरकारी अधिकारियों द्वारा की जा रही भ्रष्टाचार को उजागर करने और इसे रोकने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
एसीबी ने नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी प्रकार की रिश्वतखोरी का सामना करने पर तुरंत शिकायत करें। यह पहल भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन की ओर एक सकारात्मक कदम है।
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