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मंगलवार, फ़रवरी 4, 2025
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सिलगेर की आदिवासी सभा में बादल सरोज का संदेश: हिटलर, तोजो, मुसोलिनी हारे हैं, भूपेश बघेल भी हटेंगे पीछे

“आंदोलनकारियों ने शहीदों का जो स्मारक पीठ बनाया है, वह केवल ईंट, सीमेंट और कंक्रीट का ढांचा नहीं है, बल्कि इतिहास का वह जीवंत दस्तावेज है, जो हमारी आने वाली पीढ़ियों को बताएगा कि उनके पुरखों ने अपनी जमीन, जंगल, जीवन और समाज के जनतंत्र को बचाने के लिए किस तरह की कुर्बानियां दी थीं.”

बीजापुर (पब्लिक फोरम)। इस देश की केंद्र और राज्य की सरकारें कॉरपोरेट लूट के लिए रास्ता आसान बनाने के लिए दलितों, आदिवासियों और गरीबों के खिलाफ जंग छेड़े हुए हैं। लेकिन उनके जुल्म के खिलाफ संघर्ष जारी है। यदि आप दृढ़तापूर्वक इसी प्रकार जमे रहेंगे और देश के किसानों की ताकत आपसे जुड़ेगी, तो हिटलर, तोजो, मुसोलिनी की तरह ही नरेंद्र मोदी की सरकार को झुकना पड़ेगा और भूपेश बघेल की सरकार को अपनी गलती स्वीकार करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

उक्त बातें अखिल भारतीय किसान सभा के संयुक्त सचिव बादल सरोज ने सिलगेर के आंदोलनकारियों को भेजे एक ऑडियो संदेश में कही। उन्हें मूलवासी बचाओ मंच ने सिलगेर शहीदों की बरसी पर आयोजित कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया था। यह संदेश जन सभा में सुनाया गया। अपने संदेश में उन्होंने कहा कि आंदोलनकारियों ने शहीदों का जो स्मारक पीठ बनाया है, वह केवल ईंट, सीमेंट और कंक्रीट का ढांचा नहीं है, बल्कि इतिहास का वह जीवंत दस्तावेज है, जो हमारी आने वाली पीढ़ियों को बताएगा कि उनके पुरखों ने अपनी जमीन, जंगल, जीवन और समाज के जनतंत्र को बचाने के लिए किस तरह की कुर्बानियां दी थीं।

किसान सभा नेता ने कहा कि पिछली साल नवंबर में जब वे यहां आए थे, तो उन्होंने अपनी आंखों से खुद देखा था कि यहां की सरकार और सत्ता में बैठे धन्नासेठ पूंजीपतियों ने स्कूल और अस्पताल बनाने के बजाए यहां सेना की छावनियां खोल कर रखी है। इन छावनियों के अलोकतांत्रिक बर्ताव और आदिवासी नौजवानों-नवयुवतियों के साथ इनके घिनौने व्यवहार और दमन के खिलाफ आप शांतिपूर्ण तरीके से लगातार लड़ रहे हैं। इस लड़ाई का किसान सभा समर्थन करती है।

उन्होंने कहा कि इस देश का सबसे बड़ा किसान संगठन अखिल भारतीय किसान सभा और 550 संगठनों से बना संयुक्त किसान मोर्चा आपकी लड़ाई को अपनी लड़ाई मानता है। देश भर के किसानों और सिलगेर आंदोलन की एकता के दम पर मोदी सरकार को मजबूर किया गया और उन्हें उन तीनों किसान विरोधी कानून वापस लेने पड़े, जो इस देश की खेती-किसानी और आम जनता को बर्बाद करने वाले थे। सिलगेर आंदोलन की भी इसी तरह जीत होगी।

अपने संदेश में उन्होंने विस्तार से बताया कि सिवनी में दो आदिवासियों की बजरंग दल और श्रीराम सेना के गौ-गुंडों ने किस तरह निर्मम हत्या कर दी है। इन गुंडों को मध्यप्रदेश की भाजपा की शिवराज सरकार का संरक्षण प्राप्त है। इसके खिलाफ 9 मई को विरोध कार्यवाहियां की गई हैं। उन्होंने बताया कि वे देश और प्रदेश के किसान संगठनों को एकजुट करने में व्यस्त है, इसलिए उनका सिलगेर आना संभव नहीं हुआ।

बादल सरोज ने कहा कि आप देश की राजधानी से कितनी भी दूर क्यों न हो, लेकिन ऐसी लड़ाईयां आप की आवाज़ को राजधानी तक पहुंचाने की ताकत रखती है। यदि आप दृढ़तापूर्वक इसी प्रकार जमे रहेंगे और देश के किसानों की ताकत आपसे जुड़ेगी, तो हिटलर, तोजो, मुसोलिनी की तरह ही नरेंद्र मोदी की सरकार को झुकना पड़ेगा और भूपेश बघेल की सरकार को अपनी गलती स्वीकार करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

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