बुधवार, नवम्बर 26, 2025
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श्रम संहिताओं की अधिसूचना पर ट्रेड यूनियनों का तीखा विरोध: 26 नवंबर को देशभर में ‘अवज्ञा और प्रतिरोध’ की घोषणा

नई दिल्ली (पब्लिक फोरम)। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने केंद्र सरकार द्वारा चारों श्रम संहिताओं को 21 नवंबर से लागू करने की अधिसूचना को “मजदूरों के साथ कपटपूर्ण धोखा” और “लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की खुली अवहेलना” करार देते हुए कड़े शब्दों में निंदा की है। संयुक्त मंच ने साफ कहा कि यह फैसला भारत के कल्याणकारी राज्य की मूल भावना को नष्ट करता है और मेहनतकश तबके के अधिकारों पर सीधा हमला है।

2019 से जारी विरोध को नज़रअंदाज़ कर आगे बढ़ी सरकार

ट्रेड यूनियनों ने याद दिलाया कि 2019 में वेतन संहिता लागू होने के साथ ही देशभर में व्यापक विरोध शुरू हो गया था। जनवरी 2020 की राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल, 2020 में शेष तीन श्रम संहिताओं—औद्योगिक संबंध संहिता, सामाजिक सुरक्षा संहिता, तथा व्यावसायिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य संहिता—के खिलाफ आंदोलन और 26 नवंबर 2020 की ऐतिहासिक हड़ताल, किसानों के ‘दिल्ली चलो’ आंदोलन के साथ संयुक्त प्रतिरोध का प्रमाण है। इसके बाद भी कई बड़े विरोध कार्यक्रम हुए, जिनमें 9 जुलाई 2025 की ऐतिहासिक हड़ताल शामिल है, जिसमें 25 करोड़ से अधिक श्रमिकों ने भाग लिया।

बैठकों में उठी मांगें, लेकिन सरकार रही मौन

संयुक्त मंच ने आरोप लगाया कि श्रम शक्ति नीति 2025 पर 13 नवंबर को बुलाई गई बैठक में श्रम संहिताओं को खत्म करने और भारतीय श्रम सम्मेलन (ILC) को तुरंत बुलाने की मांग की गई, जो 2015 के बाद से आयोजित नहीं हुआ है। यही मांग 20 नवंबर को वित्त मंत्रालय की बजट-पूर्व परामर्श बैठक में भी दोहराई गई। संगठनों का कहना है कि सरकार ने इन सभी मांगों को नज़रअंदाज़ करते हुए नियोक्ता संगठनों और अपने समर्थक समूहों के दबाव में श्रम संहिताओं को लागू कर दिया।

“यह मजदूर-विरोधी और मालिक-परस्त हमला है” – संयुक्त मंच

ट्रेड यूनियनों ने श्रम संहिताओं को “सबसे अलोकतांत्रिक, प्रतिगामी और मजदूर-विरोधी” बताते हुए कहा कि इससे देश के कामगार वर्ग के अधिकार समाप्त हो जाएंगे और यह व्यवस्था श्रमिकों को “गुलाम” बनाने की ओर बढ़ रही है। संयुक्त वक्तव्य में कहा गया कि यदि ये संहिताएँ लागू रह गईं, तो आने वाली पीढ़ियों तक के रोजगार, अधिकार और सुरक्षा पर गहरा संकट खड़ा हो जाएगा।

26 नवंबर को राष्ट्रव्यापी प्रतिरोध, आज से काला बैज अभियान

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और स्वतंत्र औद्योगिक महासंघों के संयुक्त मंच ने सभी सेक्टरों के श्रमिकों से 26 नवंबर को देशभर में किसान संगठनों के साथ संयुक्त प्रतिरोध और अवज्ञा कार्रवाई में उतरने की अपील की है।

इसके तहत:—
आज से काला बैज पहनकर विरोध। सोमवार से गेट मीटिंग, नुक्कड़ सभाएँ और बस्तियों में अभियान।
श्रम संहिताओं को रद्द करने और श्रम शक्ति नीति 2025 वापस लेने की मांग।
मंच ने कहा है कि सरकार के “पूंजीवादी मित्रों” के प्रभाव में लिए जा रहे फैसलों को जनता स्वीकार नहीं करेगी।

“यह मेहनतकश जनता के खिलाफ युद्ध की घोषणा है”

ट्रेड यूनियनों ने चेतावनी दी कि बेरोज़गारी और महंगाई के गहराते संकट के बीच श्रम संहिताओं की अधिसूचना श्रमिक समुदाय के खिलाफ युद्ध की घोषणा है। संयुक्त मंच ने साफ कहा कि:—
“कामकाजी लोग इन श्रम संहिताओं की वापसी तक संघर्ष जारी रखेंगे।”

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