कोरबा/बालकोनगर (पब्लिक फोरम)। वेदांता प्रबंधन की हालिया कार्रवाइयों को लेकर बालकोनगर में असंतोष लगातार बढ़ता जा रहा है। सेवानिवृत्त कर्मचारियों पर घर खाली कराने का दबाव, अंतिम भुगतान रोकने और आजीवन चिकित्सा सुविधा बंद करने जैसे कदमों ने स्थानीय समुदाय में गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है। इसके साथ ही छोटे दुकानदारों को भी दुकान खाली करने की नोटिस जारी होने से क्षेत्र का सामाजिक–आर्थिक माहौल और अधिक तनावग्रस्त हो गया है।
आंदोलनकारियों ने आरोप लगाया है कि कई सेवानिवृत्त कर्मचारियों के घरों की बिजली, पानी और शौचालय व्यवस्था बार-बार बाधित की जा रही है। कुछ मामलों में अधिकारियों द्वारा घरों में जाकर दबाव बनाने और डराने–धमकाने की भी शिकायतें सामने आई हैं।
इस संबंध में बालको बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति ने पुलिस में लिखित शिकायत दर्ज कराई है, लेकिन समिति का आरोप है कि पुलिस ने इसे हस्तक्षेप से बाहर बताते हुए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, जिससे पीड़ित परिवारों की चिंता लगातार बढ़ रही है।
40–50 वर्षों से दुकान चला रहे छोटे व्यापारी भी निशाने पर
विवाद अब केवल कर्मचारियों तक सीमित नहीं रहा है। संघर्ष समिति ने आरोप लगाया है कि प्रबंधन के अधिकारी कैप्टन धनंजय मिश्रा की ओर से 40–50 वर्षों से बालकोनगर में दुकान चला रहे छोटे व्यापारियों को भी नोटिस जारी हुए हैं, जिनमें उन्हें दुकानें खाली करने का निर्देश दिया गया है।
इस कदम ने स्थानीय व्यापारियों में गहरा असंतोष पैदा किया है। चैंबर ऑफ कॉमर्स और विभिन्न ट्रेड यूनियन संगठनों की चुप्पी पर भी सवाल उठ रहे हैं। व्यापारी समुदाय का कहना है कि दशकों तक क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करने वाले दुकानदारों के साथ इस तरह का व्यवहार अत्यंत अनुचित है।
जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर बढ़ते प्रश्न
स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि क्षेत्र के विधायक और राज्य के उद्योग एवं श्रम मंत्री वेदांता के कार्यक्रमों में उपस्थित तो रहते हैं, लेकिन विगत 17 अक्टूबर को शिकायत के बाद भी श्रमिकों, दुकानदारों और सेवानिवृत्त कर्मचारियों की गंभीर समस्याओं पर आज तक कोई ठोस हस्तक्षेप नहीं किया गया है।
संघर्ष समिति द्वारा कलेक्टर के माध्यम से मंत्री को विस्तृत ज्ञापन सौंपा गया था, लेकिन उसके बाद से न तो संवाद बढ़ा और न ही समाधान की दिशा में कोई स्पष्ट कदम उठाया गया।
बालको के स्थापना दिवस पर अनिल अग्रवाल के पुतला दहन की तैयारी
बढ़ती नाराजगी को देखते हुए बालको बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति ने घोषणा की है कि 27 नवंबर, बालको स्थापना दिवस के अवसर पर वेदांता समूह के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल के पुतले का दहन किया जाएगा। समिति का कहना है कि यह कदम श्रमिकों और स्थानीय समुदाय पर हो रहे “व्यवस्थित शोषण” के खिलाफ प्रतीकात्मक विरोध के रूप में होगा।
“जनता के लिए बनी परियोजना, कॉर्पोरेट शोषण का माध्यम नहीं”
संघर्ष समिति का कहना है कि बालको की स्थापना देश के पहले प्रधानमंत्री द्वारा स्थानीय विकास, रोजगार और औद्योगिक प्रगति के उद्देश्य से की गई थी। लेकिन निजीकरण के बाद लगातार बढ़ती कॉर्पोरेट मनमानी, प्रदूषण, विस्थापन और कर्मचारियों–व्यापारियों की उपेक्षा ने कोरबा के लोगों में गहरी पीड़ा उत्पन्न की है।
आज स्थिति यह है कि सेवानिवृत्त कर्मचारी, छोटे व्यापारी, श्रमिक और उनके परिवार प्रशासनिक और राजनीतिक उपेक्षा का गहरा दर्द महसूस कर रहे हैं।
आंदोलन के 23वें दिन भी संघर्ष जारी, जज़्बा कायम
लगातार 23 दिनों से चल रहे आंदोलन में लोग प्रतिदिन शामिल हो रहे हैं। कई परिवारों ने आंसुओं के साथ अपनी पीड़ा व्यक्त की—घर गंवाने का डर, चिकित्सा सुविधाओं पर संकट और भविष्य को लेकर अनिश्चितता।
संघर्ष समिति का कहना है कि जब तक सम्मानजनक और न्यायसंगत समाधान नहीं निकलता, वेदांता के खिलाफ विरोध आंदोलन जारी रहेगा।






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