🔹सेवानिवृत्त कर्मचारियों के आवास और अधिकारों को लेकर वेदांता बालको प्रबंधन और बालको बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति के बीच गतिरोध बरकरार।
🔹एसडीएम कार्यालय में हुई त्रिपक्षीय बैठक विफल रहने के बाद अनिश्चितकालीन आंदोलन की घोषणा।
🔻न्याय की गुहार और प्रशासनिक उदासीनता
कोरबा (पब्लिक फोरम)। कोरबा जिले की औद्योगिक भूमि पर शुक्रवार, 7 नवंबर 2025 को एक ऐसी बैठक हुई, जिसमें उम्मीद की किरण तो दिखी, लेकिन न्याय की राह और लंबी हो गई। अनुविभागीय दंडाधिकारी (एसडीएम) श्री महिलांगे की मध्यस्थता में आयोजित इस त्रिपक्षीय बैठक में वेदांता बालको प्रबंधन प्रशासन प्रमुख एवं कॉरपोरेट अफेयर्स धनंजय मिश्रा और बालको बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति के प्रतिनिधि मंडल शामिल हुए। लेकिन जो परिणाम सामने आया, वह संघर्ष समिति और सेवानिवृत्त कर्मचारियों एवं बालको श्रमिक परिवार के लिए बेहद निराशाजनक रहा।
बैठक बुलाने के लिए संयुक्त संघर्ष समिति ने प्रशासन का धन्यवाद भी किया, लेकिन जो कुछ वहां हुआ, वह श्रमिकों के हक की लड़ाई में एक और बाधा बनकर सामने आया। एसडीएम श्री महिलांगे का रुख संघर्ष समिति के अनुसार कंपनी के पक्ष में अधिक झुका हुआ प्रतीत हुआ। श्रमिकों की आवाज को सुनने के बजाय, उनसे “ठोस सबूत” मांगे गए।
आवास से बेदखली: परिवारों का दर्द
वेदांता बालको में सेवानिवृत्त हो चुके कर्मचारियों और उनके परिवारों के साथ जो कुछ हो रहा है, वह सिर्फ एक प्रशासनिक मुद्दा नहीं, बल्कि मानवीय संवेदनाओं से जुड़ा गहरा सवाल है। कंपनी के अधिकारियों द्वारा सेवानिवृत्त परिवारों को आवास खाली करने के नाम पर उनकी महिलाओं और बच्चों के साथ किए गए कथित अपमानजनक व्यवहार की शिकायतों को एसडीएम ने खारिज करते हुए “ठोस सबूत” की मांग की।
संघर्ष समिति का कहना है कि बालकोनगर के सेक्टर 5 क्षेत्र में बाढ़ और आपदा पीड़ित स्थानीय निवासियों को कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) के तहत आवंटित किए गए आवासों से भी बलपूर्वक बेदखली का अभियान जारी है। इन परिवारों की मांग है कि उन्हें बसाहट, पुनर्वास, मुआवजा और वैकल्पिक जमीन या आवास उपलब्ध कराया जाए। लेकिन इस मांग को भी “लिखित प्रमाण” के अभाव में खारिज कर दिया गया।
चिकित्सा सुविधा और अंतिम भुगतान का विवाद
सेवानिवृत्त कर्मचारियों की एक प्रमुख मांग आजीवन चिकित्सा सुविधा की भी है जिसको निबंध वेदांत प्रबंधन ने है हठधर्मिता पूर्वक बंद कर दिया है। लेकिन एसडीएम ने स्पष्ट कर दिया कि कंपनी केवल एक सीमित अवधि तक ही चिकित्सा सुविधा देने को बाध्य है, ताउम्र नहीं। उन्होंने सेवानिवृत्त कर्मचारियों से साफ शब्दों में कहा, “वेदांता कंपनी के क्वार्टर को छोड़ दीजिए।”
हालांकि एसडीएम ने वेदांता प्रबंधन को निर्देश दिया कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों का अंतिम भुगतान जल्द से जल्द किया जाए। इस पर वेदांता प्रबंधन का दावा है कि सभी सेवानिवृत्त कर्मचारियों का अंतिम भुगतान पूरा कर दिया गया है और किसी भी श्रमिक की कोई बकाया राशि नहीं है। लेकिन, संघर्ष समिति ने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया और निष्पक्ष जांच कराए जाने की बात कही।
“शोषण नहीं, पॉलिसी है”: प्रशासन का तर्क
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि एसडीएम ने कहा कि “वेदांता प्रबंधन जो भी कर रहा होगा, किसी पॉलिसी के तहत ही कर रहा होगा, इसमें शोषण जैसी कोई बात नहीं है।” यह बयान संघर्ष समिति और सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए एक गहरा आघात था। उनका कहना है कि यह रुख पूरी तरह से कंपनी के पक्ष में है और श्रमिकों के अधिकारों की अनदेखी करता है।
अनिश्चितकालीन आंदोलन की घोषणा
बैठक के बेनतीजा रहने के बाद बालको बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति ने अनिश्चितकालीन आंदोलन जारी रखने की घोषणा की है। संघर्ष समिति के प्रतिनिधिमंडल ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक बालको के श्रमिकों को न्याय नहीं मिल जाता, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा।
समिति ने कोरबा कलेक्टर को पुनः पत्र सौंपकर इस गंभीर समस्या का सम्मानजनक समाधान निकालने और न्याय दिलाने की अपील की है। बालको नगर प्रशासन के समक्ष धरना-प्रदर्शन अनिश्चितकाल तक जारी रहेगा।
सवाल जो अनुत्तरित हैं!
यह पूरा प्रकरण कई महत्वपूर्ण सवाल खड़े करता है। क्या सेवानिवृत्त कर्मचारी, जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी कंपनी को दे दी, आवास और चिकित्सा जैसी बुनियादी सुविधाओं के हकदार नहीं हैं? क्या कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व “CSR” केवल कागजों पर सिमटकर रह गया है? क्या प्रशासन की भूमिका सिर्फ मध्यस्थ की है या वह श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए भी जिम्मेदार है?
कोरबा की यह लड़ाई सिर्फ कुछ सेवानिवृत्त कर्मचारियों की नहीं है। यह देश भर में श्रमिक अधिकारों, कॉर्पोरेट जवाबदेही और प्रशासनिक संवेदनशीलता का सवाल है। अब देखना यह है कि प्रशासन वेदांता के कथित शोषण के खिलाफ बालको श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा किस तरह करता है।
फिलहाल, संघर्ष जारी है। और जब तक न्याय नहीं मिलता, यह आवाजें शांत नहीं होंगी। बालको बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक बीएल नेताम का स्पष्ट कथन है कि “वेदांता प्रबंधन के शोषण के खिलाफ हमारा बालको परिवार अपने हक के लिए लड़ेगा, हार नहीं मानेगा। उन्होंने जिले में सम्मान के साथ जीने के लिए संघर्ष करने वाले मेहनतकश नेतृत्वकारी साथियों को इस आंदोलन में नेतृत्वकारी योगदान एवं सहयोग करने की अपील की है।”





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