कोरबा (पब्लिक फोरम)। बालको नगर में पूर्व कर्मचारियों के आवास अधिकारों को लेकर जारी संघर्ष को अब समाज के विभिन्न वर्गों का समर्थन मिलने लगा है। इसी क्रम में छत्तीसगढ़ सशक्त दिव्यांगजन संघ ने बालको बचाओ संयुक्त अभियान समिति के आंदोलन को अपना पूर्ण समर्थन देने की घोषणा की है। संघ ने बालको प्रबंधन द्वारा पूर्व कर्मचारियों के साथ की जा रही अमानवीय और अनुचित कार्रवाइयों की कड़ी निंदा करते हुए प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।
अमानवीय कार्रवाई पर गहरी नाराज़गी
छत्तीसगढ़ सशक्त दिव्यांगजन संघ के महासचिव संतोष प्रसाद बंजारे ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि बालको प्रबंधन द्वारा जिन कर्मचारियों ने वर्षों तक कंपनी की सेवा की, उन्हें अब उनके ही आवासों से बेदखल किया जा रहा है। यह न केवल अन्यायपूर्ण है बल्कि मानवीय संवेदनाओं के खिलाफ भी है।
श्री बंजारे ने कहा कि बालको जैसे औद्योगिक उपक्रमों का निर्माण श्रमिकों के परिश्रम और समर्पण पर खड़ा हुआ है। ऐसे में उन लोगों को घर से निकालने जैसी कार्रवाई श्रमिक अधिकारों पर सीधा प्रहार है। उन्होंने कहा कि संघ इस तरह के किसी भी अन्याय के खिलाफ संघर्षरत श्रमिकों के साथ मजबूती से खड़ा है।
प्रशासन से त्वरित हस्तक्षेप की मांग
संघ ने जिला प्रशासन से आग्रह किया है कि बालको प्रबंधन द्वारा की जा रही इन अमानवीय कार्रवाइयों पर शीघ्र रोक लगाई जाए। साथ ही संबंधित अधिकारियों पर कड़ी कार्यवाही की जाए ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं दोहराई न जाएं।
बंजारे ने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन निष्क्रिय बना रहा तो दिव्यांगजन संघ भी आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल होगा। उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय की रक्षा के लिए सभी वर्गों को मिलकर आवाज उठानी होगी।
संघर्ष को मिल रहा व्यापक सामाजिक समर्थन
बालको बचाओ संयुक्त अभियान समिति के नेतृत्व में चल रहा यह आंदोलन अब एक जनआंदोलन का रूप लेता जा रहा है। श्रमिक संगठनों, सामाजिक संस्थाओं, बुद्धिजीवियों और स्थानीय नागरिकों का समर्थन लगातार बढ़ रहा है। समिति के संयोजक बीएल नेताम ने बताया कि यह संघर्ष केवल आवास का नहीं, बल्कि सम्मान और अस्तित्व की रक्षा का संघर्ष है।
सामाजिक एकजुटता की मिसाल
बालको नगर की यह लड़ाई धीरे-धीरे सामाजिक एकता और मानवाधिकारों की रक्षा का प्रतीक बनती जा रही है। दिव्यांगजन संघ जैसे संगठनों का समर्थन इस संघर्ष को नई ऊर्जा और नैतिक बल प्रदान कर रहा है। आंदोलनकारी उम्मीद जता रहे हैं कि समाज के हर वर्ग की यह एकजुटता अंततः सत्य और न्याय की जीत सुनिश्चित करेगी।
बालको के पूर्व कर्मियों के आवास अधिकारों को लेकर जारी यह आंदोलन अब श्रमिकों की सीमाओं से निकलकर एक मानवीय अधिकार संघर्ष बन चुका है। समाज के विभिन्न वर्गों से मिल रहा समर्थन इस बात का संकेत है कि जब अन्याय बढ़ता है, तब समाज की संवेदना और एकता ही सबसे बड़ा हथियार बनती है।





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