🔹कोरबा के अडानी पावर प्लांट परिसर में बस में मिला चालक का शव।
🔹मृतक की पहचान बिहार निवासी 37 वर्षीय राजेश महतो के रूप में हुई।
🔹रोजी-रोटी की तलाश में कुछ महीने पहले ही आया था कोरबा।
🔹पुलिस ने शुरू की जांच, मोबाइल जब्त, आत्महत्या की आशंका।
कोरबा (पब्लिक फोरम)। सपनों और उम्मीदों का बोझ लेकर सैकड़ों मील दूर बिहार के वैशाली से छत्तीसगढ़ के कोरबा आए एक नौजवान की जिंदगी का सफर एक बस के भीतर खामोशी से खत्म हो गया। उरगा थाना क्षेत्र स्थित अडानी पावर प्लांट के परिसर में रविवार की सुबह उस वक्त हड़कंप मच गया, जब कर्मचारियों ने एक बस के अंदर चालक का शव लटकता हुआ देखा। मृतक की पहचान 37 वर्षीय राजेश महतो के रूप में हुई है, जो बेहतर भविष्य की आस में अपने घर-परिवार को छोड़कर यहां रोजी-रोटी कमाने आया था।
घटना की सूचना मिलते ही प्लांट के अधिकारियों और पुलिस के बीच अफरा-तफरी मच गई। उरगा थाना प्रभारी राजेश तिवारी अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। शुरुआती जांच में पता चला कि राजेश, रोहन बिल्डकॉन नाम की कंपनी में बतौर चालक कार्यरत था। यह कंपनी अडानी पावर प्लांट में कर्मचारियों को लाने-ले जाने के लिए बसें संचालित करती है। राजेश इसी में से एक बस का चालक था।
हैरानी की बात यह है कि जो बस उसकी रोजी-रोटी का जरिया थी, वही उसका आशियाना भी थी। सहकर्मियों ने बताया कि राजेश ज्यादातर समय अपनी बस में ही गुजारता था। उसी में खाना बनाता और रात को उसी की सीटों पर सोकर अपनी थकान मिटाता था। रविवार सुबह जब अन्य कर्मचारी काम पर पहुंचे और बस के पास गए, तो अंदर का मंजर देख उनके होश उड़ गए। राजेश का शव बस के अंदर एंगल से लटका हुआ था।
पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पंचनामा कार्रवाई के बाद पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। थाना प्रभारी राजेश तिवारी ने बताया कि मृतक के पास से एक मोबाइल फोन बरामद किया गया है। पुलिस को अंदेशा है कि राजेश ने अपनी मौत से पहले किसी से बात की होगी, जो इस दुखद घटना के पीछे की वजह पर से पर्दा उठा सकती है। पुलिस ने मृतक के परिजनों को इस हृदयविदारक घटना की सूचना दे दी है और उनके कोरबा पहुंचने का इंतजार किया जा रहा है।
प्रारंभिक तौर पर पुलिस इसे आत्महत्या का मामला मानकर चल रही है, लेकिन अन्य पहलुओं से भी जांच की जा रही है। सहकर्मियों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं ताकि यह पता चल सके कि राजेश पिछले कुछ दिनों से किसी तनाव में तो नहीं था।
विकास की चकाचौंध के पीछे का अंधेरा
यह घटना औद्योगिक नगरी कोरबा में दूर-दराज के इलाकों से आने वाले उन हजारों प्रवासी मजदूरों की कहानी को एक बार फिर सामने लाती है, जो अपने परिवार का पेट पालने के लिए अक्सर अमानवीय परिस्थितियों में काम करने और रहने को मजबूर होते हैं। राजेश की मौत कई गंभीर सवाल खड़े करती है – क्या उस पर कोई आर्थिक दबाव था? क्या वह अकेलेपन और मानसिक तनाव से जूझ रहा था? क्या ठेका कंपनियों में काम करने वाले मजदूरों के मानसिक स्वास्थ्य और उनकी रहने की परिस्थितियों पर ध्यान दिया जाता है?
फिलहाल, इन सवालों का जवाब पुलिस की जांच के बाद ही मिल पाएगा। राजेश महतो की मौत सिर्फ एक व्यक्ति की मौत नहीं है, बल्कि यह उन अनगिनत मजदूरों के संघर्ष और उनकी अनकही पीड़ा का प्रतीक है, जो बड़े-बड़े औद्योगिक संयंत्रों की नींव तो बनते हैं, लेकिन अक्सर उनकी अपनी जिंदगी का धागा बेहद कच्चा और कमजोर होता है। पूरे मामले की जांच जारी है और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट व मोबाइल जांच के बाद ही मौत के असली कारणों का खुलासा हो सकेगा।










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