कोरबा (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष और जनता के बीच “बनवारी भैया” के नाम से प्रसिद्ध वरिष्ठ नेता स्व. बनवारी लाल अग्रवाल का अंतिम संस्कार गुरुवार को मोतीसागर पारा मुक्तिधाम में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया। उनके पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेटा गया और गार्ड ऑफ ऑनर के साथ ससम्मान सलामी दी गई।
उनकी अंतिम यात्रा में न केवल राजनीतिक हस्तियां बल्कि हजारों आम नागरिक, व्यापारी, सामाजिक कार्यकर्ता और शुभचिंतक भी शामिल हुए। हर किसी की आंखों में आंसू थे और एक ही स्वर गूंज रहा था—“बनवारी भैया अमर रहें।”
परिजनों ने बताया कि स्व. अग्रवाल पिछले कुछ समय से अस्वस्थ थे और घर पर ही उपचार चल रहा था। बुधवार रात लगभग 10:30 बजे उन्होंने कोरबा के दुरपा रोड स्थित पुरानी बस्ती निवास पर अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर फैलते ही पूरे कोरबा जिले में शोक की लहर दौड़ गई। सुबह से ही उनके निवास पर लोगों का तांता लगा रहा। जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों, व्यापारियों और आम नागरिकों ने नम आंखों से उनके दर्शन किए और अंतिम विदाई दी।

राजकीय सम्मान के साथ अंतिम यात्रा
स्व. बनवारी लाल अग्रवाल के पार्थिव शरीर को उनके निज निवास से अंतिम यात्रा के लिए निकाला गया। यात्रा के दौरान शहर की सड़कों पर हजारों लोग खड़े होकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते रहे। मुक्तिधाम में राज्य सरकार की ओर से पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार संपन्न हुआ। इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल, कटघोरा विधायक प्रेमचंद पटेल, भाजपा के वरिष्ठ नेता, पूर्व जनप्रतिनिधि और कई सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। सभी ने उनके पार्थिव शरीर को कंधा देकर अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

राजनीति और समाज, दोनों में छोड़ी अमिट छाप
78 वर्षीय बनवारी लाल अग्रवाल का जीवन छत्तीसगढ़ की राजनीति और समाज दोनों में एक प्रेरक अध्याय रहा। वे अविभाजित मध्यप्रदेश से लेकर छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण तक सक्रिय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे। अपनी सादगी, मिलनसार स्वभाव और जनता से जुड़ाव के कारण उन्हें लोग स्नेहपूर्वक “बनवारी भैया” कहकर पुकारते थे। उनकी पहचान एक ऐसे नेता के रूप में रही, जो दलगत सीमाओं से ऊपर उठकर आमजन के बीच कार्य करते थे। उन्होंने न केवल विधानसभा के उपाध्यक्ष के रूप में मर्यादापूर्ण भूमिका निभाई बल्कि कोरबा क्षेत्र के विकास में भी उल्लेखनीय योगदान दिया।
अपूर्णीय क्षति, श्रद्धांजलि संदेशों की बाढ़
स्व. अग्रवाल के निधन पर प्रदेशभर के नेताओं, समाजसेवियों और विभिन्न संगठनों ने गहरा शोक व्यक्त किया है। कई लोगों ने कहा कि बनवारी लाल अग्रवाल का जाना छत्तीसगढ़ की राजनीति के एक युग का अंत है। भाजपा नेताओं ने उन्हें संवेदनशील, सजग और जनसेवी व्यक्तित्व बताया, वहीं आम नागरिकों ने कहा कि “उन्होंने हमेशा जनता के साथ रहकर उनकी आवाज को शासन तक पहुंचाया।”
अंतिम संस्कार के दौरान वातावरण गमगीन था, लेकिन हर व्यक्ति के मन में यह दृढ़ विश्वास झलक रहा था कि “बनवारी भैया” का जीवन उनके कार्यों और मानवीय मूल्यों के रूप में हमेशा लोगों के बीच जीवित रहेगा। उनका सादगीपूर्ण जीवन, समाज के प्रति समर्पण और जनता से अटूट जुड़ाव उन्हें आने वाली पीढ़ियों के लिए एक आदर्श जननेता के रूप में स्थापित करता है।











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