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मंगलवार, अक्टूबर 14, 2025
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मुख्य न्यायाधीश का अपमान, सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी और दलित युवक की हत्या: संवैधानिक मूल्यों पर हमले के खिलाफ उठी आवाज

दुर्ग, छत्तीसगढ़ (पब्लिक फोरम)। हाल ही में देश में घटी तीन प्रमुख घटनाओं – सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का अपमान, लद्दाख में सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी और उत्तर प्रदेश में एक दलित युवक की पीट-पीटकर हत्या – ने संवैधानिक मूल्यों और मानवाधिकारों पर एक गंभीर बहस छेड़ दी है। इन घटनाओं के विरोध में छत्तीसगढ़ के दुर्ग में विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक संगठनों ने एकजुट होकर अपनी आवाज बुलंद की है।

अखिल भारतीय एससी-एसटी संयुक्त मोर्चा, सीपीआई, सीपीएम और सीपीआई (एमएल) लिबरेशन के पदाधिकारियों ने इन मामलों पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन दुर्ग के डिप्टी कलेक्टर हितेश पिस्दा को सौंपा। इन संगठनों ने इन घटनाओं को देश के लोकतांत्रिक ताने-बाने पर हमला करार दिया है।

मुख्य न्यायाधीश का अपमान बेहद निंदनीय: बृजेंद्र तिवारी

सुप्रीम कोर्ट में एक वकील द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की घटना की कड़ी निंदा की गई है। सीपीआई (एमएल) लिबरेशन के बृजेंद्र तिवारी ने इस कृत्य को बेहद निंदनीय बताते हुए कहा कि यह हमारे गणराज्य के संवैधानिक मूल्यों पर सीधा हमला है। यह घटना असहमति या विरोध जताने का उचित तरीका नहीं है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने भी इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए इसे न्यायिक गरिमा पर हमला बताया है।

फासीवादी विचारधारा देश के लिए घातक: अनिल मेश्राम

अखिल भारतीय एससी-एसटी संयुक्त मोर्चा के राष्ट्रीय सचिव अनिल मेश्राम ने कहा, “देश की मनुवादी फांसीवादी ताकतें राष्ट्रवाद की आड़ में देश की संस्थाओं को कमजोर करने, अराजकता फैलाने और समाज में जहर के बीज बोने का काम कर रही हैं, जो देश के लिए घातक व चिंताजनक है।” उन्होंने इन घटनाओं को इसी विचारधारा का परिणाम बताया।

सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी और दलित युवक की हत्या

ज्ञापन में लद्दाख के प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी को अलोकतांत्रिक बताया गया है और उनकी तत्काल बिना शर्त रिहाई की मांग की गई है। वांगचुक की पत्नी ने उनकी गिरफ्तारी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसके बाद अदालत ने केंद्र सरकार और लद्दाख प्रशासन को नोटिस जारी किया है।

इसके साथ ही, उत्तर प्रदेश के रायबरेली में राहुल गांधी का नाम लेने पर एक दलित युवक की पीट-पीटकर की गई हत्या को सरकार की दमनकारी नीतियों का घृणित परिणाम बताया गया है। इस घटना की देशव्यापी निंदा हो रही है और कांग्रेस नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे इंसानियत, संविधान और न्याय की हत्या करार दिया है।प्रदर्शनकारी संगठनों ने इस हत्याकांड के सभी आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार कर उनके खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की मांग की है।

ज्ञापन सौंपने वालों में अनिल मेश्राम और बृजेंद्र तिवारी के अलावा विनोद कुमार सोनी (सीपीआई), एस. शांतकुमार (सीपीएम), सुंदर लाल, शमीम कुरैशी, अर्चना ध्रुव, आर.पी. चौधरी, रोशन वर्मा, अरुण बघेल, पवन दिल्लीवार और दीनानाथ वर्मा सहित कई अन्य प्रतिनिधि उपस्थित थे।

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