रायपुर (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ की राजनीति में उस समय एक बड़ा सियासी भूचाल आ गया, जब भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज आदिवासी नेता और पूर्व गृहमंत्री ननकी राम कंवर ने अपनी ही पार्टी की सरकार और प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उन्होंने कोरबा के कलेक्टर अजीत वसंत पर “हिटलरशाही” का गंभीर आरोप लगाते हुए, उन्हें हटाने के लिए सरकार को तीन दिन का अल्टीमेटम दिया है। श्री कंवर ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांग पूरी नहीं हुई, तो वे शासन और प्रशासन के खिलाफ धरने पर बैठेंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी।
इस घोषणा ने प्रदेश की सियासत में हलचल मचा दी है, क्योंकि कंवर अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ खड़े हो गए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, भाजपा प्रदेश संगठन, मुख्य सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को इस संबंध में नोटिस भेजकर अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं।
क्यों नाराज हैं ननकी राम कंवर? कलेक्टर पर आरोपों की लंबी फेहरिस्त
ननकी राम कंवर ने कोरबा कलेक्टर अजीत वसंत पर तानाशाही तरीके से काम करने और गंभीर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाया है। वरिष्ठ आदिवासी नेता कंवर के अनुसार, वे लंबे समय से इन मुद्दों को उठा रहे हैं, लेकिन कलेक्टर को प्रदेश सरकार का संरक्षण प्राप्त है, जिसके कारण कोई कार्रवाई नहीं हो रही।
मुख्य आरोप
कार्यकर्ताओं का उत्पीड़न: कंवर का आरोप है कि कलेक्टर भाजपा कार्यकर्ताओं को निशाना बना रहे हैं, जिसके तहत राइस मिल और पेट्रोल पंप जैसी संपत्तियों को सील किया गया है।
पत्रकार से दुर्व्यवहार: एक वरिष्ठ पत्रकार के घर को तोड़ने और उनका सामान जब्त करने का भी गंभीर आरोप कलेक्टर पर है।
अरबों की ठगी का मामला: श्री कंवर ने आरोप लगाया कि कलेक्टर की मिलीभगत से स्व-सहायता समूहों की 40,000 महिलाओं के साथ अरबों रुपये की धोखाधड़ी हुई है।
मुआवजा घोटाला और भू-विस्थापन: मालगांव और रलिया जैसे क्षेत्रों में वास्तविक भू-विस्थापितों को बिना मुआवजा दिए उनकी जमीन और घर छीनने का आरोप है।
DMF फंड का दुरुपयोग: जिला खनिज न्यास (DMF) फंड का दुरुपयोग कर बालको जैसी कंपनियों को फायदा पहुंचाने का आरोप भी लगाया गया है।
अवैध खनन और परिवहन: कोरबा में अवैध रेत खनन और राखड़ परिवहन में कलेक्टर की मिलीभगत का भी दावा किया गया है।
एक पुरानी तस्वीर और सम्मान का सवाल
कलेक्टर अजीत वसंत और ननकी राम कंवर के बीच का विवाद पहले भी सुर्खियों में रहा है। कुछ समय पहले एक तस्वीर वायरल हुई थी, जिसमें एक कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल के साथ सोफे पर कलेक्टर बैठे हुए थे, जबकि वरिष्ठ आदिवासी नेता कंवर खड़े होकर उन्हें ज्ञापन सौंप रहे थे। इस तस्वीर पर काफी विवाद हुआ था और इसे एक वरिष्ठ नेता के अपमान के रूप में देखा गया था। इस घटना के बाद कंवर ने कलेक्टर के व्यवहार पर तीखी टिप्पणी की थी।
सरकार की चुप्पी और विपक्ष का तंज
पूर्व मंत्री कंवर का कहना है कि उन्होंने इन सभी मामलों की शिकायत राज्य से लेकर केंद्र सरकार तक की है। केंद्र ने जांच के निर्देश भी दिए, लेकिन राज्य सरकार की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया, जो यह साबित करता है कि कलेक्टर को राजनीतिक संरक्षण मिल रहा है। इस पूरे प्रकरण पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि इस घटना से पता चलता है कि भाजपा में वरिष्ठ नेताओं की क्या स्थिति है।
इस मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए सामाजिक संगठन आदिनिवासी गण परिषद ने भी टिप्पणी किया है कि अविभाजित मध्य प्रदेश के प्रथम प्रखर बीजेपी विधायक वरिष्ठ आदिवासी नेता हीरासिंह मरकाम (संस्थापक: गोंडवाना गणतंत्र पार्टी) से लेकर छत्तीसगढ़ भाजपा के वरिष्ठ आदिवासी नेता ननकी राम कंवर तक ऐसे कई उदाहरण हैं, जो यह बताते हैं कि भाजपा आदिवासी नेतृत्व को महज़ एक मोहरे के रूप में ही उपयोग करती है।
श्री कंवर के इस अल्टीमेटम के बाद भी अब तक राज्य सरकार या कलेक्टर अजीत वसंत की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। सभी की निगाहें अब इस पर टिकी हैं कि क्या सरकार अपने ही वरिष्ठ नेता की नाराजगी दूर करने के लिए कोई कदम उठाती है, या ननकी राम कंवर अपने ऐलान के मुताबिक धरने पर बैठेंगे, जो सरकार के लिए एक बड़ी असहज स्थिति पैदा कर सकता है।
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