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सोमवार, अक्टूबर 27, 2025
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हज़ार बहाने VS एक सफलता: जीतने वाली मानसिकता कैसे बनाएं?

मनुष्य जीवन की सबसे बड़ी सच्चाई है – सफलता और असफलता। हर व्यक्ति अपने जीवन में कुछ पाना चाहता है, कुछ हासिल करना चाहता है। लेकिन जब वह अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाता तो अक्सर उसके पास हजारों बहाने तैयार होते हैं। कोई कहता है – “मेरे पास साधन नहीं थे”, कोई कहता है – “लोगों ने साथ नहीं दिया”, कोई किस्मत को दोष देता है। पर सच यही है कि नाकामी के पीछे वास्तविक कारण कभी नहीं होता, केवल बहाने ही होते हैं।

प्रसिद्ध लेखक मार्क ट्वैन ने बिल्कुल सही लिखा था:
“नाकामी के लिए हजारों बहाने मौजूद हैं, लेकिन एक भी अच्छा कारण नहीं होता।”

यह कथन हमें गहराई से सोचने पर मजबूर करता है। आखिर क्यों? क्योंकि अगर हम जीवन में ईमानदारी से देखें, तो पाएंगे कि असफलता हमेशा हमारी कोशिशों की अधूरी गाथा होती है, न कि परिस्थितियों का दोष।

बहाने बनाना आसान है, जिम्मेदारी लेना कठिन
जब भी कोई कार्य अधूरा रह जाता है, तो हमारी आदत होती है कि हम किसी न किसी को दोष दें।
कभी समय का बहाना।
कभी साधनों का बहाना।
कभी किस्मत का बहाना।
कभी परिस्थितियों का बहाना।

परंतु जिम्मेदारी लेना कठिन होता है। क्योंकि जिम्मेदारी लेना मतलब है – स्वीकार करना कि गलती मेरी है। और यही स्वीकार करना इंसान को भीतर से मजबूत बनाता है।

असफलता का असली कारण क्या है?
सच्चाई यह है कि असफलता का कोई ठोस कारण नहीं होता।
यदि साधन नहीं हैं तो इंसान नए साधन खोज लेता है।
यदि सहयोगी नहीं हैं तो वह अकेले ही सफर शुरू कर देता है।
यदि किस्मत साथ नहीं देती, तो वह अपनी मेहनत से किस्मत का रुख मोड़ देता है।

इतिहास इसका साक्षी है। जिन महापुरुषों ने दुनिया को बदला, वे अक्सर बेहद कठिन परिस्थितियों से गुज़रे। उनके पास न संसाधन थे, न ही सहूलियतें। लेकिन उनके पास अटूट विश्वास और निरंतर कोशिश थी। यही उनकी सफलता का असली कारण बना।

बहाने बनाम प्रयास
मान लीजिए कोई विद्यार्थी परीक्षा में असफल हो गया।
वह कह सकता है कि “पढ़ाई के लिए समय नहीं मिला”।
या यह भी कह सकता है कि “पेपर कठिन था”।
या फिर “शिक्षक ने ठीक से नहीं पढ़ाया”।

लेकिन इन सब बहानों के बीच सच्चाई यही है कि अगर उसने निरंतर और ईमानदारी से मेहनत की होती, तो असफलता संभव ही नहीं थी।

बहाना बनाना सबसे आसान रास्ता है, लेकिन प्रयास करना सबसे सही रास्ता। प्रयास इंसान को असफलता से सफलता तक ले जाता है।

एक प्रेरक प्रसंग
एक बार एक गरीब लड़का रोज़ अखबार बेचकर अपने घर का खर्च चलाता था। लोग उसे अक्सर कहते – “तेरे हालात इतने खराब हैं, तू बड़ा आदमी कैसे बनेगा?”

लेकिन उस लड़के ने कभी बहाना नहीं बनाया। उसने यह नहीं कहा कि “मेरे पास पैसा नहीं है”, या “मेरा परिवार गरीब है”। उसने दिन-रात मेहनत की। पढ़ाई की, गलतियों से सीखा, और हार मानने की बजाय हर बार फिर से खड़ा हुआ।
वही अखबार बेचने वाला लड़का आगे चलकर भारत का राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम बना।
अगर वह भी बहाने बनाता, तो शायद इतिहास उसे याद न करता। लेकिन उसने जिम्मेदारी ली और मेहनत से अपने सपने पूरे किए।

बहाने से क्या मिलता है?

बहाने हमें क्षणिक सुकून देते हैं। लगता है कि हमने अपनी गलती छिपा ली। लेकिन भीतर से हमें पता होता है कि सच्चाई क्या है। बहाना हमारी आत्मा को छलता है और हमें कमजोर बनाता है।
वहीं, असफलता को स्वीकार करके उससे सीखना हमें और अधिक मजबूत बनाता है। यह आत्मा को शक्ति देता है।

सफलता की कुंजी: बहानों से दूर रहना
1. सच्चाई स्वीकारें – असफलता आई है तो कारण खुद में खोजें।
2. निरंतर प्रयास करें – सफलता एक बार की मेहनत से नहीं, बल्कि बार-बार की कोशिश से मिलती है।
3. सकारात्मक दृष्टिकोण रखें – हर कठिनाई को अवसर मानें।
4. जिम्मेदारी लें – अपने जीवन की गाड़ी का चालक खुद बनें।

भावनात्मक सच्चाई
सोचिए, जब हम बूढ़े होंगे और पीछे मुड़कर देखेंगे – तो क्या हमें अच्छा लगेगा कि हमने अपना जीवन बहाने बनाते हुए गुज़ार दिया? या फिर हमें गर्व होगा कि हमने कठिनाइयों के बावजूद पूरी ताकत से संघर्ष किया और सपनों को सच किया?

(Author)

बहाने हमें उस मंज़िल तक कभी नहीं पहुँचाते, जिसकी हमें सबसे ज्यादा चाह होती है। बहाना बनाकर हम दूसरों को धोखा दे सकते हैं, लेकिन खुद के दिल को नहीं।

मार्क ट्वैन का यह कथन हमें यही सिखाता है कि –
“असफलता का असली कारण हमारी कोशिशों की कमी है, और बहाने हमारी कमजोरी को छिपाने का तरीका।”
सफल वही बनता है, जो बहाने छोड़कर काम में लग जाता है।

याद रखिए—
अगर रास्ता कठिन है तो मेहनत बढ़ाइए।
अगर साधन कम हैं तो नए साधन खोजिए।
अगर कोई साथ नहीं है तो अकेले चलिए।
क्योंकि बहानों से मंज़िल नहीं मिलती, केवल मेहनत और आत्मविश्वास से ही मिलती है।
इसलिए, जब भी असफलता सामने आए तो बहाने मत खोजिए। खुद से कहिए –
“मुझे फिर से कोशिश करनी है, क्योंकि बहाने हजार हैं लेकिन कारण एक भी नहीं।”






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