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रविवार, सितम्बर 28, 2025
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कोरबा: सोए हुए परिवार को करैत सांप ने डसा, पिता-पुत्र की दर्दनाक मौत, मां की हालत गंभीर

कोरबा (पब्लिक फोरम)। इंदिरा नगर में शुक्रवार की सुबह एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया। एक ही परिवार के तीन सदस्य, जो रात में एक साथ सो रहे थे, एक जहरीले करैत सांप का शिकार हो गए। इस दर्दनाक हादसे में पिता और मासूम बेटे की मौत हो गई, जबकि मां जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रही है। घटना के बाद स्वास्थ्य सेवाओं पर भी गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं, परिजनों ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर लापरवाही का आरोप लगाया है।

एक ही बिस्तर पर मौत बनकर रेंगा सांप

बालको प्लांट में ठेका मजदूर के तौर पर काम करने वाले 52 वर्षीय चूड़ामणि भारद्वाज, अपनी 41 वर्षीय पत्नी रजनी और 10 वर्षीय बेटे प्रिंस के साथ कमरे में सो रहे थे। उन्हें इस बात का जरा भी अंदेशा नहीं था कि यह रात उनके परिवार के लिए आखिरी रात साबित होगी। सुबह करीब चार बजे के आसपास, जब पूरा परिवार गहरी नींद में था, एक करैत सांप उनके बिस्तर में घुस आया और तीनों को एक-एक कर डस लिया।

नींद खुलने पर रजनी ने जब बिस्तर पर सांप को रेंगते देखा तो उसके होश उड़ गए। उसकी चीख-पुकार से घर में कोहराम मच गया। घटना की सूचना तुरंत अन्य स्वजनों को दी गई।

अस्पताल का बंद दरवाजा और लापरवाही का आरोप

पीड़ितों के परिजन बिना कोई समय गंवाए, तीनों को पास के गोपालपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर भागे। चूड़ामणि के भाई द्वारिका ने बताया कि जब वे अस्पताल पहुंचे तो वहां अंदर से ताला लगा हुआ था। करीब आधा घंटा तक दरवाजा पीटने और आवाज लगाने के बाद एक महिला स्वास्थ्य कर्मचारी बाहर आई।

परिजनों का आरोप है कि कर्मचारी ने मरीजों की गंभीर हालत को देखते हुए भी उन्हें प्राथमिक उपचार देने की बजाय सीधे मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाने को कह दिया। यह आरोप भी लगाया गया है कि अस्पताल में एंटी-स्नेक वेनम उपलब्ध होने के बावजूद उन्हें नहीं लगाया गया।

अस्पताल पहुंचने से पहले ही हो गई देर

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से निराशा हाथ लगने के बाद, परिजन तीनों को एक ऑटो में लेकर जिला मेडिकल अस्पताल के लिए रवाना हुए। लेकिन तब तक शायद बहुत देर हो चुकी थी। अस्पताल में इलाज के दौरान 52 वर्षीय चूड़ामणि और उनके 10 वर्षीय बेटे प्रिंस ने दम तोड़ दिया।वहीं, रजनी की हालत बेहद गंभीर बनी हुई है और डॉक्टर उसकी जान बचाने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं।

प्रशासन ने मानी लापरवाही, जांच के आदेश

इस पूरे मामले ने स्वास्थ्य विभाग के दावों की पोल खोल दी है। घटना के बाद जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) एसएन केसरी ने माना है कि यह लापरवाही का मामला है। उन्होंने बताया कि एनएचएम स्वास्थ्य कर्मियों की हड़ताल के कारण वैकल्पिक व्यवस्था के तहत एक कर्मचारी की नियुक्ति की गई थी। उनके अनुसार, कर्मचारी को पीड़ितों को देखे बिना रेफर नहीं करना चाहिए था, बल्कि एंटी-स्नेक वेनम लगाकर आगे भेजना था।सीएमएचओ ने मामले की जांच कर उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

इस घटना ने न केवल एक हंसता-खेलता परिवार उजाड़ दिया है, बल्कि सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी एक गंभीर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। अब देखना यह है कि जांच के बाद इस लापरवाही के दोषियों पर क्या कार्रवाई होती है और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।

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