🔹बढ़े हुए बिजली बिल और हाफ योजना बंद करने के विरोध में प्रदेशव्यापी आंदोलन।
🔹कोरबा में 23 सितंबर को सुबह 10 बजे से आईटीआई रामपुर, तानसेन चौक पर विशाल धरना प्रदर्शन।
🔹जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी और छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना ने मिलकर बनाई रणनीति।
🔹ऊर्जाधानी कोरबा के निवासी ही जूझ रहे हैं महंगी बिजली और अनियमित आपूर्ति से।
कोरबा (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ में बिजली बिलों में हुई बेतहाशा वृद्धि और प्रदेश सरकार द्वारा बिजली बिल हाफ योजना को बंद करने के फैसले ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है। इसी के खिलाफ अब जनता की आवाज बनकर जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी ने राज्यव्यापी आंदोलन का बिगुल फूंक दिया है। पार्टी ने इसे ‘जबर गोहार’ आंदोलन का नाम दिया है, जिसके तहत 23 सितंबर 2025 को प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों में विशाल धरना-प्रदर्शन किया जाएगा। ऊर्जाधानी के नाम से विख्यात कोरबा में यह प्रदर्शन सुबह 10 बजे आईटीआई रामपुर स्थित तानसेन चौक पर आयोजित होगा, जिसके बाद राज्यपाल के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा जाएगा।
महंगाई की मार और सरकार का फैसला
हाल ही में राज्य सरकार ने बिजली बिल हाफ योजना में बड़ा बदलाव करते हुए 400 यूनिट तक मिलने वाली 50 प्रतिशत की छूट को मात्र 100 यूनिट तक सीमित कर दिया है। इस फैसले के बाद अगस्त माह से ही लोगों के घरों में दोगुने और तिगुने बिजली बिल आने लगे हैं, जिससे आम लोगों, खासकर गरीब, मध्यमवर्गीय परिवारों और किसानों में भारी आक्रोश है। यह विडंबना ही है कि जो कोरबा पूरे देश को रोशन करता है, वहीं के लोग आज महंगी बिजली, मीटर रीडिंग में गड़बड़ी और अघोषित बिजली कटौती की मार झेलने को विवश हैं।
आंदोलन की रणनीति और बुलंद होते स्वर
आगामी आंदोलन को सफल बनाने के लिए शुक्रवार को जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी ने एक महत्वपूर्ण जिला स्तरीय बैठक का आयोजन किया। पार्टी के जिलाध्यक्ष जैनेन्द्र कुर्रे के नेतृत्व और छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना के जिलाध्यक्ष सुरजीत सोनी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में बड़ी संख्या में पदाधिकारी और कार्यकर्ता शामिल हुए। सभी ने एक स्वर में इस आंदोलन को ऐतिहासिक बनाने का संकल्प लिया।

जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी के जिलाध्यक्ष जैनेन्द्र कुर्रे ने सरकार पर जनविरोधी होने का आरोप लगाते हुए कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बिजली उत्पादन में अग्रणी राज्य होने के बावजूद छत्तीसगढ़ की जनता बिजली बिलों की मार से त्रस्त है। सरकार का यह कदम सीधे-सीधे आम जनता की जेब पर डाका है। 23 सितंबर का ‘जबर गोहार’ आंदोलन सरकार को जनता की ताकत का एहसास कराएगा।”
वहीं, छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना के जिलाध्यक्ष सुरजीत सोनी ने कहा, “जनता के हक और इंसाफ की लड़ाई में हम हमेशा आगे रहे हैं। इस आंदोलन के माध्यम से हम सभी जिलों में एकजुट होकर अपनी आवाज बुलंद करेंगे। हम आम जनता से अपील करते हैं कि वे अपने अधिकारों के लिए इस लड़ाई में शामिल हों और इसे सफल बनाएं।”
क्या हैं प्रमुख मांगें?
पार्टी ने सरकार के समक्ष अपनी प्रमुख मांगें रखी हैं, जिनमें शामिल हैं:-
– बिजली बिल में की गई अनुचित वृद्धि को तत्काल वापस लिया जाए।
– लोकहितैषी बिजली बिल हाफ योजना को फिर से पूर्ण रूप से लागू किया जाए।
बिजली आपूर्ति और बिलिंग प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता सुनिश्चित हो।
– बिजली क्षेत्र में निजीकरण की किसी भी कोशिश पर रोक लगाई जाए।
– ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति की असमानता को खत्म किया जाए।
यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि 23 सितंबर को होने वाला यह प्रदेशव्यापी प्रदर्शन सरकार पर कितना दबाव बना पाता है और क्या जनता को महंगी बिजली के इस झटके से कोई राहत मिल पाएगी।
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