गुरूवार, सितम्बर 11, 2025
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कलम की शक्ति और एकजुटता का पर्व: पीपुल्स मीडिया समूह ने मनाया अपना स्थापना दिवस

कोरबा के पत्रकारों का संकल्प – जनहित की पत्रकारिता और निर्भीक सच की खोज

कोरबा (पब्लिक फोरम)। जब कलम में सच कहने का जुनून हो और दिल में जनता की सेवा का जज्बा हो, तो वह सिर्फ शब्द नहीं बल्कि बदलाव की आवाज बन जाता है। कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला जब कोरबा जिले के मीडिया कर्मियों के संगठन ‘पीपुल्स मीडिया समूह’ ने मंगलवार को अपना स्थापना दिवस सादगी और गहरी भावनाओं के साथ मनाया।

यह केवल एक औपचारिक समारोह नहीं था, बल्कि उन लोगों का मिलना था जो हर दिन सच को समाज तक पहुंचाने के लिए संघर्ष करते हैं। यह उन पत्रकारों का एक साथ आना था जो मानते हैं कि पत्रकारिता सिर्फ पेशा नहीं, बल्कि समाज के प्रति एक पवित्र जिम्मेदारी है।

शहीदों को श्रद्धांजलि: जब खामोशी में छुपी थी हजारों बातें

समारोह की शुरुआत एक मार्मिक क्षण से हुई। दिवंगत पत्रकार मुकेश चंद्राकर को श्रद्धांजलि अर्पित की गई, जिन्होंने सच की खातिर अपनी जान तक न्योछावर कर दी। दो मिनट का मौन सिर्फ एक रस्म नहीं था – यह उन सभी बहादुर लोगों के लिए कृतज्ञता का इजहार था जिन्होंने अपने संघर्षों को तलवार बनाकर अन्याय से लड़ाई लड़ी।

उस खामोशी में हर पत्रकार के दिल में यह संकल्प गूंज रहा था कि वे उन शहीदों के सपनों को पूरा करने के लिए निरंतर काम करते रहेंगे।

एकजुटता का प्रतीक: केक काटकर बांधे रिश्ते

स्थापना दिवस के अवसर पर केक काटा गया, लेकिन यह सिर्फ मिठास बांटना नहीं था। यह एक-दूसरे के साथ खड़े रहने का वादा था। यह उस भावना का प्रतीक था जो कहती है – “अकेले चलना आसान है, लेकिन साथ चलना सार्थक है।”

हर चेहरे पर खुशी थी, लेकिन आंखों में संकल्प की चमक भी थी। यह समझ थी कि पत्रकारिता के इस कठिन रास्ते पर एक-दूसरे का साथ ही सबसे बड़ी ताकत है।

गहरी बातचीत: “तेजी से बदलते दौर में मीडिया की नई चुनौतियां”

समारोह का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा था विशेष परिचर्चा, जिसका विषय था “तेजी से बदलते दौर में मीडिया: चुनौतियों के बीच संघर्ष और उसकी नई भूमिका।” यह कोई शुष्क बहस नहीं थी, बल्कि दिल से निकली बातों का आदान-प्रदान था।

संयोजक का संदेश: जब कलम जनता की आवाज बने

संयोजक भुवन नेताम ने भावुक होकर कहा, “पीपुल्स मीडिया समूह की स्थापना का मकसद सिर्फ पत्रकारों को एकजुट करना नहीं है। हमारा उद्देश्य है कि हर कलम जनता की आवाज बने। आज जब सत्ता और पूंजी का दबाव बढ़ रहा है, तब हमें और भी मजबूती से खड़ा होना है।”

उनकी आवाज में वह दृढ़ता थी जो कहती थी – “जब कलम जनता की आवाज बनती है, तो वही लोकतंत्र की असली ताकत होती है।”

वरिष्ठ पत्रकारों ने बहाए अपने अनुभवों के झरने

वरिष्ठ पत्रकार राजेश मिश्रा ने अपने लंबे अनुभव से कहा, “पत्रकारिता महज पेशा नहीं, समाज के प्रति जिम्मेदारी है। आज जब खबरें टीआरपी की दौड़ में खो रही हैं, तब हमें जमीन की सच्चाई को सामने लाना है।” उनके चेहरे पर वह चिंता साफ दिख रही थी जो हर सच्चे पत्रकार के मन में होती है।

दिव्येंदु मृधा का कहना था, “यदि कलम डर जाएगी तो इतिहास मौन हो जाएगा। लेकिन यदि मीडिया सच के साथ खड़ा रहेगा तो कोई ताकत लोकतंत्र को कमजोर नहीं कर सकती।” उनकी आवाज में वह आत्मविश्वास था जो कहता था कि सच की जीत होकर रहेगी।

प्रदीप मिश्रा ने दर्द भरे शब्दों में कहा, “आज पत्रकारों पर आर्थिक, मानसिक और सामाजिक दबाव बढ़ गया है। लेकिन इन सबके बीच हमारा दायित्व और बढ़ जाता है कि हम सच का आईना बनकर खड़े हों।”

युवाओं की आवाज: नई उम्मीदों का सवेरा
कुश शर्मा ने युवा पत्रकारों के दिल की बात कही, “मीडिया की सबसे बड़ी ताकत उसकी ईमानदारी और जनता का विश्वास है। जब पत्रकार निर्भीकता से सच कहता है, तो जनता उसके साथ खड़ी होती है।”

संगम दुबे ने उम्मीद से भरे शब्दों में कहा, “युवा पत्रकारों के लिए यह मीडिया समूह एक उम्मीद है। डिजिटल युग की चुनौतियों से निपटने के लिए हमें तकनीक और नैतिकता दोनों पर ध्यान देना होगा।”

जमीनी हकीकत की आवाजें
गणेश राम सूर्यवंशी ने गांवों की बात की, “गांवों की सच्चाई और आमजन की पीड़ा को उजागर करना ही पत्रकारिता का असली काम है। यही हमारी जिम्मेदारी है।”

भोलाराम केवट ने समाज के वंचित तबके की बात उठाई, “आदिवासी और वंचित समाज की आवाज अक्सर दब जाती है। मीडिया को उनकी पीड़ा और अधिकारों को सामने लाना होगा।”

तकनीक और कानून की नई चुनौतियां
मनीष साहू ने डिजिटल युग की जरूरत को समझाया, “डिजिटल रिपोर्टिंग अब जरूरी है। डेटा और फैक्ट्स को आधार बनाकर हमें मजबूत पत्रकारिता करनी होगी।”

दिलेश उईके ने कानूनी सुरक्षा पर जोर दिया, “पत्रकारों को कानूनी रूप से मजबूत होना चाहिए। इस समूह का दायित्व है कि अपने साथियों को कानूनी सुरक्षा और जानकारी उपलब्ध कराए।”

संकल्प और संघर्ष का मिश्रण
विजय सहीस ने भावनाओं से भरकर कहा, “आज का दिन जश्न का ही नहीं, बल्कि संघर्ष का भी है। पीपुल्स मीडिया समूह एक नया अध्याय है। आइए हम सब मिलकर इसे और मजबूत बनाएं।”

मुकेश चौहान ने दर्शन की गहराई से कहा, “संघर्षों में ही तपकर पत्रकारिता सोना बनती है और निखार आता है। तमाम चुनौतियों के बावजूद हमें अपनी मंजिल की तरफ निरंतर बढ़ते रहना होगा।”

सिर्फ संगठन नहीं, एक परिवार
श्रमिक नेता रामजी शर्मा ने सभी को बधाई देते हुए कहा, “एकता और संघर्ष के बिना कुछ भी हासिल नहीं हो सकता। हर हाल में इस चुनौती को स्वीकार करना ही पड़ता है।”

सभी पत्रकारों ने एक स्वर में कहा कि पीपुल्स मीडिया समूह केवल संगठन नहीं बल्कि एक परिवार है। यहां सभी एक-दूसरे के सुख-दुख के साथी बनते हैं और पत्रकारिता की सच्चाई को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हैं।

समापन: नए संकल्पों के साथ
कार्यक्रम के अंत में सभी ने मिलकर एक संकल्प लिया – मीडिया को निष्पक्ष, निर्भीक और जनहितैषी बनाए रखेंगे। सत्ता या बाजार के दबावों से ऊपर उठकर सच को समाज के सामने लाएंगे।

मनीष साहू के आभार प्रकटन और दिलेश उईके के कुशल संचालन के साथ यह भावनाओं से भरा कार्यक्रम समाप्त हुआ। लेकिन जो संकल्प और जज्बा दिखा, वह हमेशा के लिए हर दिल में बस गया।

आशा की नई किरण
पीपुल्स मीडिया समूह का यह स्थापना दिवस सिर्फ एक समारोह नहीं था। यह था उस उम्मीद का जश्न जो कहता है कि सच्ची पत्रकारिता अभी भी जिंदा है। यह था उस विश्वास का प्रमाण जो कहता है कि जब पत्रकार एकजुट होकर खड़े होते हैं, तो कोई भी ताकत उन्हें झुका नहीं सकती।

आने वाले वर्षों में यह समूह न केवल कोरबा जिले बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा। क्योंकि जब कलम में सच्चाई हो और दिल में जनता का प्रेम हो, तो वह सिर्फ शब्द नहीं बल्कि क्रांति की शुरुआत बन जाता है।

कार्यक्रम में पीपुल्स मीडिया समूह के संयोजक भुवन नेताम, राजेश मिश्रा, दिव्येंदु मृधा, प्रदीप मिश्रा, कुश शर्मा, गणेश राम सूर्यवंशी, भोलाराम केवट, संतोष सारथी, संगम दुबे, मनीष साहू, दिलेश उईके, नरेंद्र राठौड़, विजय सहीस, प्रवीण कुमार गुप्ता, मुकेश चौहान सहित कोरबा जिले के सोशल मीडिया, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े पत्रकार साथी उपस्थित थे।

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