कोरबा (पब्लिक फोरम)। जिले के शासकीय बाल संप्रेक्षण गृह (बालक) कोरबा से 31 अगस्त की सुबह चार अपचारी बालकों के फरार होने की घटना सामने आई है। इस गंभीर मामले को देखते हुए कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी अजीत वसंत ने दण्डाधिकारी जांच के आदेश जारी किए हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, सुबह लगभग 08:10 बजे चारों किशोर बाथरूम की वेंटिलेशन खिड़की तोड़कर संस्था परिसर से फरार हो गए। घटना के बाद जिला प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच की जिम्मेदारी संयुक्त कलेक्टर कोरबा कौशल प्रसाद तेंदुलकर को सौंपी है। उन्हें 30 दिनों के भीतर विस्तृत प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।
जांच के प्रमुख बिंदु
दण्डाधिकारी जांच के लिए कलेक्टर ने कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न तय किए हैं, जिनमें शामिल हैं:—
🔹घटना किन परिस्थितियों में घटित हुई?
बालकों के फरार होने के वास्तविक कारण क्या थे?
🔹क्या संस्था में दाखिले के पूर्व या पश्चात बच्चों को किसी प्रकार की शारीरिक यातना दी गई?
🔹घटना की सूचना पुलिस को कब और किसके द्वारा दी गई?
🔹अन्य कोई तथ्य जो जांच के दौरान सामने आएं।
प्रशासन की सख्ती
कलेक्टर ने यह भी स्पष्ट किया है कि जांच प्रक्रिया में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। दोषी पाए जाने पर संबंधित जिम्मेदार अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
यह घटना सिर्फ चार बच्चों के भागने की कहानी नहीं है, बल्कि संस्थागत ढांचे और बाल संरक्षण व्यवस्था की कमजोरी का संकेत है। बाल संप्रेक्षण गृहों का उद्देश्य सुधार, शिक्षा और पुनर्वास है, न कि भय और दमन। यदि वहां बच्चे सुरक्षित महसूस नहीं करते या उन्हें बुनियादी अधिकार और गरिमा नहीं मिलती, तो ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति होना तय है।
“प्रशासन की जांच और संभावित कार्रवाई महत्वपूर्ण कदम हैं, परंतु साथ ही यह भी जरूरी है कि बाल सुधार गृहों की सुरक्षा, पारदर्शिता और मानवाधिकार मानकों को मजबूत किया जाए। आखिरकार, ये वही बच्चे हैं जिनका भविष्य समाज के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है। यदि हम उन्हें खो देते हैं, तो सिर्फ कानून-व्यवस्था ही नहीं, बल्कि हमारी सामाजिक जिम्मेदारी भी सवालों के घेरे में आ जाती है।”
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