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गुरूवार, सितम्बर 11, 2025
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कोरबा में अशोक वाटिका प्रवेश शुल्क पर बवाल: विपक्ष का विरोध, जनता की नाराजगी तेज

कोरबा (पब्लिक फोरम)। नगर पालिक निगम कोरबा के नेता प्रतिपक्ष कृपाराम साहू ने एक बार फिर अशोक वाटिका के संचालन और प्रवेश शुल्क व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था आम जनता के अधिकारों और सुविधाओं के खिलाफ है।

कृपाराम साहू ने बताया कि अशोक वाटिका में सुबह 5 बजे से 9 बजे तक लोगों के लिए मॉर्निंग वॉक और योगा की सुविधा नि:शुल्क है। लेकिन सवाल यह उठता है कि शाम को व्यायाम और वॉक करने वाले लोगों का क्या होगा?

नगर निगम ने इस वाटिका का संचालन अर्बन पब्लिक सोसायटी के माध्यम से एक ठेका कंपनी को सौंप दिया है। अब वहां न केवल प्रवेश शुल्क, बल्कि वाहन पार्किंग शुल्क भी वसूला जा रहा है। साहू का कहना है कि निगम प्रशासन को चाहिए था कि पूरे समय जनता के लिए प्रवेश और उपयोग पूरी तरह नि:शुल्क रहे।

नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि यह व्यवस्था आम जनता को भ्रमित करने की एक सोची-समझी साजिश है। उन्होंने कहा –
“सुबह मुफ्त और शाम को शुल्क, यह वैसा ही खेल है जैसा राजनीति में जनता को बहलाने के लिए किया जाता है।”

उन्होंने उदाहरण देते हुए एक फिल्म का जिक्र किया, जिसमें अभिनेता राजेश खन्ना मुख्यमंत्री की भूमिका में थे। फिल्म में व्यापारियों ने रोटी के दाम बढ़ाने की मांग की, तब मुख्यमंत्री ने पहले दाम दस रुपये कर दिए और बाद में घटाकर पांच रुपये कर दिए। इससे व्यापारी भी खुश और जनता भी शांत हो गई।
साहू ने कहा कि अशोक वाटिका का मामला भी ठीक वैसा ही है।

कृपाराम साहू ने कहा कि कोरबा की जनता पहले से ही पानी शुल्क, मकान कर, बिजली बिल, सफाई शुल्क, शिक्षा शुल्क, वाहन कर, सड़क कर और मनोरंजन कर जैसे अनेक बोझ झेल रही है। अब हवा और स्वास्थ्य के लिए भी शुल्क देना पड़ रहा है।

उन्होंने तंज कसते हुए कहा –
“कोरोना काल में पहली बार लोगों को ऑक्सीजन के लिए पैसे देने पड़े थे। आज हालत यह है कि कोरबा की जनता को पार्क में टहलने और सांस लेने तक के लिए शुल्क देना पड़ रहा है।”

साहू ने बताया कि कोरबा के बुका पर्यटन स्थल और नौका बिहार पर पहले से ही भारी शुल्क लिया जा रहा है। वाहन प्रवेश शुल्क 60 रुपये और नौका विहार पर मोटा किराया वसूलने के बाद अब व्यक्ति के प्रवेश पर भी 25 रुपये शुल्क लगा दिया गया है। महंगाई के इस दौर में जनता का जीवन और कठिन होता जा रहा है।

नेता प्रतिपक्ष ने जिला प्रशासन से मांग की है कि अशोक वाटिका सहित अन्य स्थलों पर लगे प्रवेश शुल्क नियम को तत्काल वापस लिया जाए। उन्होंने कहा कि यदि शुल्क नहीं हटाया गया तो आम जनता को जागरूक कर इन स्थलों का बहिष्कार किया जाएगा।

“जब लोग जाएंगे ही नहीं, तो ठेका कंपनी अपने आप घाटे में आकर नौ-दो-ग्यारह हो जाएगी, जैसे कोरोना काल में सीटी बस का ठेका कंपनी छोड़कर भाग गई थी।”

इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या जनता के लिए बने सार्वजनिक स्थल पर शुल्क वसूलना उचित है? क्या निगम और प्रशासन का यह कदम जनता के मौलिक अधिकारों और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप है?

किसी सार्वजनिक पार्क या स्वास्थ्य केंद्र पर शुल्क लगाया जाता है, तो यह आर्थिक रूप से कमजोर तबके को प्राकृतिक और स्वास्थ्य संबंधी अधिकारों से वंचित करता है। यह न केवल सामाजिक असमानता को बढ़ाता है, बल्कि प्रशासन की नीतियों पर भी सवाल खड़े करता है।

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