रायपुर (पब्लिक फोरम)।छत्तीसगढ़ के लाखों गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए एक चिंताजनक खबर सामने आई है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने घोषणा की है कि आगामी 1 सितंबर से प्रदेश के निजी अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड से कैशलेश इलाज की सुविधा बंद कर दी जाएगी।
आईएमए ने यह फैसला इसलिए लिया है क्योंकि बीते कई महीनों से अस्पतालों को आयुष्मान योजना के तहत किए गए इलाज का भुगतान नहीं किया गया है।
करीब 6 महीने से लंबित भुगतान नहीं मिलने से निजी अस्पतालों पर आर्थिक दबाव बढ़ गया है।
अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि बिना भुगतान के अब कैशलेश सुविधा जारी रखना संभव नहीं है।
यह फैसला सीधे उन गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों को प्रभावित करेगा, जो अब तक आयुष्मान कार्ड के जरिए मुफ्त या कैशलेश इलाज की सुविधा पा रहे थे।
गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को सबसे अधिक कठिनाई होगी।
निजी अस्पतालों में इलाज महंगा होने से आम लोगों पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा।
IMA के इस कदम के बाद राज्य सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। यदि समय रहते समाधान नहीं निकाला गया तो—
मरीजों की भीड़ सरकारी अस्पतालों पर और अधिक बढ़ सकती है।
ग्रामीण और दूरदराज़ इलाकों के मरीजों के लिए निजी अस्पतालों में इलाज कराना लगभग असंभव हो जाएगा।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि इस विवाद का समाधान सरकार और IMA के बीच संवाद से ही संभव है।
यदि लंबित भुगतान की समस्या सुलझा दी जाती है, तो निजी अस्पताल फिर से कैशलेश इलाज सुविधा बहाल कर सकते हैं।
सरकार पर दबाव बढ़ रहा है कि वह तुरंत हस्तक्षेप कर मरीजों को राहत दिलाए।
यह स्थिति केवल एक प्रशासनिक विवाद नहीं बल्कि जन-स्वास्थ्य का गंभीर प्रश्न है।
जिन परिवारों की आय सीमित है और जो गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए पूरी तरह आयुष्मान योजना पर निर्भर हैं, उनके सामने जीवन-मरण का संकट खड़ा हो सकता है।
अस्पतालों का पक्ष भी पूरी तरह से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता क्योंकि बिना भुगतान के वे सेवाएं कैसे जारी रखें, यह एक व्यावहारिक समस्या है।
1 सितंबर से लागू होने वाला यह फैसला लाखों मरीजों के लिए परेशानी का कारण बन सकता है। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि सरकार और IMA के बीच बातचीत से इस संकट का समाधान कब और कैसे निकलता है।
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