
गोविंदा गोपाला की मधुर धुन में थिरके श्रोतागण
कृष्ण रुक्मणी विवाह की रही धूम

खरसिया(पब्लिक फोरम)। बिंदल परिवार द्वारा आयोजित संगीतम श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन 14 अगस्त से चल रहे 19 अगस्त को कृष्ण रुक्मणी विवाह एवं सुदामा चरित्र की कथा का वर्णन करते हुए महाराज जी ने बड़ी अच्छी बात कही जो मानव कल्याण के लिए
महाराज जी कहते हैं कि जो सक्षम होकर भी माता-पिता की सेवा नहीं करता वह नरक में जाता है जो व्यक्ति सभी धन वैभव से परिपूर्ण है और माता-पिता की सेवा नहीं कर रहा है तो वह नरक में जाएगा सबसे बड़ी सेवा माता-पिता की सेवा है कथा वाचक देशमुख वरिष्ठ महाराज जी कहते हैं कि बच्चों को शिक्षा ग्रहण में कोई सुविधा न दें बाल्यावस्था में शिक्षा ग्रहण में कठिनाई के होना बहुत जरूरी है जब तक बच्चे तपती धूप,बरसात, ठंड और शिष्य जीवन का कठिनाइयों का सामना नहीं करेगा तब तक शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाएगा आप सभी बच्चों की सुविधा के लिए त्याग करें और बच्चों को भी सुविधाओं से दूर रखें ताकि आपका बच्चा आने वाला समय में हीरा की तरह चमके और चमकता रहे
महाराज की मधुर वाणी से भजन गोविंद गोपाल की मधुर धुन ने भागवत श्रोताओं की गहराइयों को छुआ बहुत ही सुंदर मधुर वाणी से गोविंद गोपाल धुन में सभी श्रोताओं ने भजन में मग्न हुए और प्रभु की भक्ति में लीन हो गए श्रीमद्भागवत कथा में बीती रात कथावाचक देशमुख वरिष्ठ महाराज ने श्रीकृष्ण-रुक्मणी के विवाह की कथा का वर्णन किया। कथा सुनकर पंडाल में मौजूद श्रद्धालु भावविभोर हो उठे। कार्यक्रम के दौरान कृष्ण-रुक्मणी विवाह से जुड़ी झांकी प्रस्तुत की गई। जिसे देख पूरा पंडाल श्रीकृष्ण के जयकारे से गुंजायमान हो उठा। भजन गीतों से सुरों में सभी श्रोता झूमने लगे। कथा व्यास ने कहा कि भगवान पर अटूट विश्वास होना चाहिए, यदि अटूट विश्वास है तो भगवान हर स्थिति में अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।
साक्षात लक्ष्मी माता हैं रुक्मणी
कथा व्यास पूज्य देशमुख वरिष्ठ महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण के विवाह का प्रसंग सुनाते हुए बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का प्रथम विवाह विदर्भ देश के राजा की पुत्री रुक्मणी के साथ संपन्न हुआ। लेकिन रुक्मणी को श्रीकृष्ण द्वारा हरण कर विवाह किया गया। इस कथा में समझाया गया कि रुक्मणी स्वयं साक्षात लक्ष्मी हैं और वह नारायण से दूर रह ही नहीं सकती हैं। रुक्मणी ने जब देवर्षि नारद के मुख से श्रीकृष्ण के रूप, सौंदर्य एवं गुणों की प्रशंसा सुनी तो बहुत प्रभावित हुईं और मन ही मन श्रीकृष्ण से विवाह करने का निश्चय किया।
रुक्मणी का बड़ा भाई रुक्मी श्रीकृष्ण से शत्रुता रखता था और अपनी बहन का विवाह राजा दमघोष के पुत्र शिशुपाल से कराना चाहता था। इसीलिए श्रीकृष्ण ने हरण कर रुक्मणी से विवाह किया। कथा व्यास के मुख से विवाह का विस्तार वर्णन सुनकर श्रद्धालु गदगद हो उठे।
देर रात तक भक्ति का माहौल
कथा के दौरान संगीतमय भजन गीतों से देर रात तक माहौल भक्तिमय बना रहा। ओ प्रेम दीवानी है ओ प्रेम दीवाना भजन सुन सभी झूमने लगे। आरती में भारी भीड़ उमड़ पड़ी। बीच बीच मे जयघोष से वातावरण गुंजायमान होता रहा।
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