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मंगलवार, सितम्बर 30, 2025
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छत्तीसगढ़ हाफ बिजली बिल योजना में बदलाव: 100 यूनिट तक मिलेगी 50% छूट, 31 लाख परिवारों को राहत जारी

रायगढ़ (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य की लोकप्रिय हॉफ बिजली बिल योजना में एक महत्वपूर्ण संशोधन किया है. अब उपभोक्ताओं को 400 यूनिट के बजाय मासिक 100 यूनिट तक की बिजली खपत पर 50 प्रतिशत की छूट मिलेगी.[1][2] हालांकि, सरकार का कहना है कि इस बदलाव के बावजूद प्रदेश के लगभग 70 प्रतिशत उपभोक्ताओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा और उन्हें पहले की तरह ही योजना का लाभ मिलता रहेगा.

राज्य सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश में कुल 45 लाख घरेलू बिजली उपभोक्ता हैं. इनमें से लगभग 31 लाख परिवारों की मासिक बिजली की खपत 100 यूनिट से कम है.[4][5] इस बड़े उपभोक्ता वर्ग में सामान्य और आर्थिक रूप से कमजोर परिवार शामिल हैं, जिन्हें इस संशोधन के बाद भी हॉफ बिजली बिल का पूरा लाभ मिलता रहेगा.

बीपीएल परिवारों की सुविधा रहेगी बरकरार
इस संशोधन से प्रदेश के 15 लाख बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) के परिवारों को मिल रही सुविधाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. इन परिवारों को पहले की ही तरह 30 यूनिट तक मुफ्त बिजली मिलती रहेगी. इसके अतिरिक्त, वे 100 यूनिट तक की खपत पर 50 प्रतिशत छूट के लिए भी पात्र बने रहेंगे, जिससे उन पर दोहरी मार नहीं पड़ेगी.

सौर ऊर्जा से आत्मनिर्भरता की ओर कदम
हॉफ बिजली बिल योजना में संशोधन के साथ ही, राज्य सरकार उपभोक्ताओं को बिजली के मामले में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक ठोस कदम उठा रही है. प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना को प्रदेश में तेजी से लागू किया जा रहा है. इस योजना का उद्देश्य उपभोक्ताओं को सब्सिडी पर निर्भर रहने के बजाय अपनी छत पर बिजली पैदा करने वाला ‘ऊर्जादाता’ बनाना है.

क्या है प्रधानमंत्री सूर्यघर योजना और सब्सिडी का गणित?

इस योजना के तहत, छत पर सोलर प्लांट लगाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर आकर्षक सब्सिडी दे रही हैं.

1 किलोवॉट प्लांट: इससे हर महीने औसतन 120 यूनिट बिजली बनती है. इस पर कुल ₹45,000 की सब्सिडी (₹30,000 केंद्र + ₹15,000 राज्य) मिलती है. उपभोक्ता को अपनी जेब से लगभग ₹15,000 ही लगाने पड़ते हैं.

2 किलोवॉट प्लांट: इससे महीने में औसतन 240 यूनिट बिजली का उत्पादन होता है. इस पर कुल ₹90,000 की सब्सिडी (₹60,000 केंद्र + ₹30,000 राज्य) का प्रावधान है, जिससे उपभोक्ता का खर्च लगभग ₹30,000 आता है.

3 किलोवॉट प्लांट: यह प्लांट महीने में लगभग 360 यूनिट बिजली बना सकता है. इसके लिए सरकार कुल ₹1,08,000 की भारी सब्सिडी (78,000 केंद्र + 30,000 राज्य) दे रही है. उपभोक्ता को लगभग 72,000 का वहन करना होता है, जिसके लिए बैंक से आसान ऋण की सुविधा भी उपलब्ध है.

खास बात यह है कि 2 किलोवॉट का प्लांट लगाने वाला उपभोक्ता भी हर महीने 200 यूनिट से ज्यादा बिजली बना सकता है. यह मात्रा पुरानी हॉफ बिजली बिल योजना के तहत 400 यूनिट की खपत पर मिलने वाली 200 यूनिट की अधिकतम छूट के बराबर है. सोलर प्लांट की उम्र 25 साल होती है, जिसका मतलब है कि एक बार के निवेश से लंबे समय तक बिजली बिल से मुक्ति मिल सकती है. इतना ही नहीं, उपभोक्ता अपनी जरूरत से ज्यादा बिजली ग्रिड को बेचकर अतिरिक्त आय भी अर्जित कर सकते हैं.

सरकार की यह दोहरी रणनीति न केवल कमजोर वर्ग के उपभोक्ताओं को तत्काल राहत सुनिश्चित करती है, बल्कि सभी प्रदेशवासियों को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाकर एक स्थायी और पर्यावरण-अनुकूल भविष्य की ओर ले जाती है.

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