– अखिल भारतीय पंचायत परिषद द्वारा कोरबा के बांगो गाँव में ग्राम विकास पर महत्वपूर्ण कार्यशाला का आयोजन।
– वरिष्ठ समाजसेवी सुनील सुना ने ग्राम विकास समिति को बताया विकास की धुरी।
– जिला अध्यक्ष लोकेश साहू ने कहा – गाँव के विकास के लिए स्वार्थ की भावना को त्यागना होगा।
– ग्रामीणों ने अपनी समस्याएँ रखीं, समाधान के लिए एकजुट होकर काम करने का संकल्प लिया।
कोरबा (पब्लिक फोरम)। पोड़ी उपरोड़ा ब्लॉक के शांत माने जाने वाले गाँव बांगो में बीते गुरुवार को एक नई ऊर्जा का संचार हुआ। अवसर था अखिल भारतीय पंचायत परिषद द्वारा आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला का, जिसका केंद्र बिंदु था ‘ग्राम विकास’। इस कार्यशाला ने न केवल गाँव के विकास से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला, बल्कि ग्रामीणों को स्वार्थ की राजनीति से ऊपर उठकर सामूहिक विकास के लिए प्रेरित भी किया।
ग्राम विकास समिति की भूमिका पर जोर
कार्यशाला के मुख्य वक्ता, वरिष्ठ समाजसेवी सुनील सुना ने अपने संबोधन में ‘ग्राम विकास समिति’ की भूमिका को विकास की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी बताया। उन्होंने सरल शब्दों में समझाया कि यह समिति कैसे गाँव की रीढ़ बन सकती है और इसके माध्यम से विकास योजनाओं को प्रभावी ढंग से कैसे लागू किया जा सकता है। उन्होंने समिति के गठन, उसके अधिकार और जिम्मेदारियों पर विस्तृत जानकारी दी, जिससे उपस्थित ग्रामीणों में एक नई समझ और उत्साह देखने को मिला।
“जब तक स्वार्थ रहेगा, विकास संभव नहीं” – लोकेश साहू
अखिल भारतीय पंचायत परिषद के जिला अध्यक्ष लोकेश साहू ने अपने उद्बोधन में एक ऐसी बात कही जो हर ग्रामीण के दिल को छू गई। उन्होंने कहा, “जब तक हमारे मन में व्यक्तिगत स्वार्थ का भाव रहेगा, तब तक गाँव का सच्चा विकास संभव नहीं है। हमें ‘मेरा-तेरा’ छोड़कर ‘हमारा’ की भावना से काम करना होगा।”
उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि कैसे अक्सर निजी हित गाँव की प्रगति में बाधक बन जाते हैं। श्री साहू ने ग्रामीणों से आह्वान किया कि वे अपनी समस्याओं को एकजुट होकर संबंधित अधिकारियों तक पहुँचाएँ, ताकि उनका समय पर समाधान हो सके। उन्होंने विश्वास दिलाया कि पंचायत परिषद हर कदम पर उनके साथ खड़ी है।

एक मंच पर जुटे ग्रामीण और पदाधिकारी
इस कार्यशाला की सफलता का एक बड़ा कारण था इसमें दिखी सामूहिकता। ब्लॉक अध्यक्ष श्रीमती अमर कुंवर सारथी, जिला उपाध्यक्ष परसराम मरकाम और प्रथम जिला सचिव लक्ष्मण सिंह जैसे पदाधिकारियों ने भी अपने विचार रखे और लोगों में जागरूकता लाने का प्रयास किया। सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि गाँव के लोगों ने भी खुलकर अपनी बात रखी। उनकी रोजमर्रा की समस्याओं को न केवल ध्यान से सुना गया, बल्कि उन्हें लिखित रूप में संकलित भी किया गया, ताकि भविष्य में उनके समाधान के लिए एक ठोस कार्ययोजना बनाई जा सके।
वरिष्ठ समाजसेवी मनराखन अगरिया के कुशल संचालन में आयोजित इस कार्यक्रम में समाज के हर वर्ग की उपस्थिति सराहनीय थी। इसमें श्री संतोष अगरिया, परस मरकाम, श्रीमती गीता बाई गोंड, बाबू सिंह कंवर, श्रीमती विनीता बाई अगरिया, सरिता बाई, कांति अगरिया, संतोषी बाई, लक्ष्मी बाई, संतोष अगरिया, अमृता बाई, इंद्रपाल अगरिया, मोहन सारथी, राकेश, मनीराम, ब्रिज कुंवर, शिव सिंह समेत बड़ी संख्या में महिलाएँ और पुरुष शामिल हुए, जो यह दिखाता है कि अब बांगो के लोग अपने गाँव के भविष्य को लेकर कितने सजग और गंभीर हैं।
यह कार्यशाला केवल एक बैठक नहीं, बल्कि एक उम्मीद की किरण थी। यह इस बात का प्रमाण थी कि जब लोग जागरूक होकर, आपसी मतभेद भुलाकर, एक नेक उद्देश्य के लिए एकजुट होते हैं, तो बड़े से बड़ा बदलाव संभव है। बांगो से उठी यह आवाज निश्चित ही पूरे क्षेत्र के लिए एक प्रेरणा बनेगी और ग्राम स्वराज की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगी।
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