शुक्रवार, जुलाई 4, 2025
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कोरबा में पहली बारिश बनी आफत: निगम के दावों की खुली पोल, जलमग्न हुईं बस्तियां, जनता बेहाल

नेता प्रतिपक्ष कृपाराम साहू ने लगाया अव्यवस्था का गंभीर आरोप, घरों-दुकानों में घुसा पानी, नागरिक बोले – “हर साल का यही हाल, आखिर कब जागेगा प्रशासन?”

कोरबा (पब्लिक फोरम)। मानसून की पहली तेज बारिश ने ही नगर पालिक निगम कोरबा के उन तमाम दावों की पोल खोल दी है, जिनमें शहर को जलभराव से बचाने के पुख्ता इंतजाम का दम भरा जा रहा था। गुरुवार को हुई मूसलाधार वर्षा के बाद शहर के लगभग 67 वार्डों में कई इलाके टापू में तब्दील हो गए। सड़कों पर दरिया बहने लगा, नालियों का गंदा पानी उफनकर लोगों के घरों और दुकानों में जा घुसा, जिससे नागरिकों को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा और उनका जीवन अस्त-व्यस्त हो गया।

इस भयावह स्थिति को लेकर नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष कृपाराम साहू ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने निगम पर मॉनसून पूर्व तैयारी में लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि महापौर और अधिकारियों के निरीक्षण और दावे सिर्फ दिखावा साबित हुए हैं।

कॉलोनियों में हाहाकार, घरों में कैद हुए लोग
गुरुवार की बारिश के बाद शहर के निचले इलाकों जैसे अमरईया पारा, दादर खुर्द, राताखार, मोती सागर पारा और शांति नगर बालको की स्थिति सबसे दयनीय नजर आई। इन क्षेत्रों में नालियों की सफाई न होने के कारण पानी की निकासी पूरी तरह ठप पड़ गई। देखते ही देखते सड़कों पर घुटनों तक पानी भर गया और यह गंदा पानी लोगों के आशियानों में घुस गया।
राताखार की निवासी श्रीमती सुभांशी ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा, “सुबह से मैं घर से बाल्टी से पानी बाहर फेंक रही हूँ। हमारा कच्चा घर है, डर लग रहा है कि कहीं गिर न जाए। हर साल बारिश में यही हाल होता है, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। हमारी रोजी-रोटी का सवाल है, अगर घर गिर गया तो हम कहां जाएंगे?”

कई दुकानदारों को भी भारी नुकसान हुआ है। दुकानों में पानी भरने से उनका माल खराब हो गया। मुख्य मार्गों पर जलभराव के कारण घंटों तक जाम की स्थिति बनी रही, जिससे कामकाजी लोग और स्कूली बच्चे समय पर अपने गंतव्य तक नहीं पहुंच सके।

नेता प्रतिपक्ष ने निगम को घेरा, दावों को बताया खोखला
नेता प्रतिपक्ष कृपाराम साहू ने निगम प्रशासन पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, “यह बेहद शर्मनाक है कि हर साल की तरह इस साल भी निगम की नाकामी का खामियाजा कोरबा की जनता भुगत रही है। बरसात से पहले महापौर और अधिकारी बड़े-जोर-शोर से नालों की सफाई और जल निकासी के प्रबंधों का निरीक्षण कर अपनी पीठ थपथपा रहे थे। पहली बारिश ने ही इन खोखले दावों की हकीकत सामने ला दी है।”

उन्होंने आगे कहा, “कई परिवारों का घरेलू सामान पानी में डूबकर खराब हो गया है। लोगों का लाखों का नुकसान हुआ है। निगम प्रशासन की यह घोर लापरवाही अक्षम्य है। हम मांग करते हैं कि निगम तत्काल प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने के लिए ठोस कदम उठाए और भविष्य में ऐसी स्थिति दोबारा न बने, इसके लिए स्थायी समाधान पर काम करे।”

प्रशासन की चुप्पी और जनता के सवाल
हालांकि, 26 जून को ही निगम आयुक्त को शहर में सफाई व्यवस्था का जायजा लेते हुए देखा गया था, लेकिन पहली बारिश में जलभराव की इस स्थिति ने उन निरीक्षणों की प्रभावशीलता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। नागरिकों का आरोप है कि यह समस्या कोई नई नहीं है और हर साल उन्हें इसी तरह की परेशानी से दो-चार होना पड़ता है, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला जाता।

इस पूरे मामले पर नगर निगम के अधिकारियों या महापौर की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। शहर की जनता अब यह सवाल पूछ रही है कि आखिर कब तक उन्हें निगम की अव्यवस्था का दंश झेलना पड़ेगा और कब उनका शहर वास्तव में “स्मार्ट सिटी” के मानकों पर खरा उतरेगा, जहां नागरिक बिना किसी डर के मानसून का स्वागत कर सकें।

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