कवर्धा (पब्लिक फोरम)। छत्तीसगढ़ के कवर्धा में मसीही समुदाय के खिलाफ हो रहे कथित अन्याय और हिंसा के विरोध में बुधवार, 25 जून को मूल निवासी संघ के बैनर तले सैकड़ों लोग सड़कों पर उतरे। शहर के नेहरू चौक से अंबेडकर चौक तक एक विशाल रैली निकाली गई, जिसमें प्रदर्शनकारियों ने एक महीने पुराने चर्च हमले के आरोपियों की अब तक गिरफ्तारी न होने पर गहरा रोष व्यक्त किया और प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
रैली के बाद अंबेडकर चौक पर एक आम सभा का आयोजन किया गया और अंत में सिटी कोतवाली थाने में एक ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें न्याय की तत्काल गुहार लगाई गई है।

क्या है पूरा मामला?
यह विरोध प्रदर्शन 18 मई, 2025 को कवर्धा कलेक्ट्रेट के समीप स्थित एक चर्च में हुई घटना से जुड़ा है। यह चर्च पिछले 30 वर्षों से यहां संचालित है। आरोपों के अनुसार, उस दिन कुछ कट्टरपंथी हिंदू संगठन के सदस्यों ने चर्च में जबरन घुसकर प्रार्थना कर रहे लोगों के साथ मारपीट और तोड़फोड़ की थी। घटना के दौरान वहां मौजूद महिलाओं और बच्चियों के साथ बदसलूकी और छेड़छाड़ का भी गंभीर आरोप लगाया गया है। इस घटना ने पूरे मसीही समुदाय में भय और असुरक्षा का माहौल पैदा कर दिया है।

पुलिस पर पक्षपातपूर्ण कार्रवाई का आरोप
पीड़ित पक्ष का आरोप है कि इस गंभीर घटना के बाद पुलिस ने न्यायसंगत कार्रवाई करने के बजाय दबाव में आकर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया। उन्होंने हमलावरों पर कार्रवाई करने की जगह, होली किंगडम स्कूल के संचालक सर थॉमस के खिलाफ ही मामला दर्ज कर लिया। पीड़ितों का कहना है कि उनकी तरफ से दिए गए आवेदन पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
मामले की गंभीरता को दर्शाते हुए, 6 जून 2025 को अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक द्वारा सर थॉमस का बयान भी दर्ज किया गया, लेकिन उसके बाद भी आज तक आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। प्रदर्शनकारियों ने इसे सरकार और प्रशासन की नाकामी और मानवीय मूल्यों का पतन करार दिया है।

बुधवार को लगभग 400 से अधिक लोगों की भीड़ ने नेहरू चौक से अंबेडकर चौक तक शांतिपूर्ण रैली निकाली। अंबेडकर चौक पर आयोजित सभा में वक्ताओं ने प्रशासन की कार्यशैली पर तीखे सवाल उठाए।
– मूल निवासी संघ के प्रदेश प्रभारी योगेश कुमार साहू ने घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा, “यह हमला केवल एक समुदाय पर नहीं, बल्कि संविधान पर हमला है। हम आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग करते हैं।”
– रायपुर जिलाध्यक्ष पार्वती साहू ने विशेष रूप से चर्च में महिलाओं के साथ हुई अभद्रता पर रोष जताते हुए कहा, “पूजा स्थल में हमारी माताओं और बहनों के साथ ऐसा व्यवहार असहनीय है। यह हमारी संस्कृति और सम्मान पर सीधा प्रहार है।”

– प्रदेश अध्यक्ष अमरजीत पटेल ने प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा, “अगर आरोपियों को जल्द गिरफ्तार नहीं किया गया तो यह आंदोलन पूरे प्रदेश में फैलेगा। भारत का संविधान अनुच्छेद 25 के तहत सभी को अपने धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता देता है। किसी को भी धर्म के नाम पर हिंसा करने का अधिकार नहीं है।”
सभा में रेवरेंड रॉय मथाई और सुखीराम पैगम्बर जैसे अन्य वक्ताओं ने भी प्रशासन की निष्क्रियता की कड़ी आलोचना की।बढ़ती असहिष्णुता पर चिंता
वक्ताओं ने इस बात पर भी चिंता जताई कि यह केवल कवर्धा की अकेली घटना नहीं है, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ और देश में एक सुनियोजित तरीके से मसीही समुदाय के उपासना स्थलों और कार्यक्रमों को निशाना बनाया जा रहा है। बलरामपुर में प्रशासन की अनुमति से हो रहे कार्यक्रम पर हमला हो या शादी कर रहे मसीही जोड़ों को धर्मांतरण के नाम पर प्रताड़ित करना, ये घटनाएं समाज में बढ़ती धार्मिक असहिष्णुता का प्रतीक हैं।
बढ़ती असहिष्णुता पर चिंता
वक्ताओं ने इस बात पर भी चिंता जताई कि यह केवल कवर्धा की अकेली घटना नहीं है, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ और देश में एक सुनियोजित तरीके से मसीही समुदाय के उपासना स्थलों और कार्यक्रमों को निशाना बनाया जा रहा है। बलरामपुर में प्रशासन की अनुमति से हो रहे कार्यक्रम पर हमला हो या शादी कर रहे मसीही जोड़ों को धर्मांतरण के नाम पर प्रताड़ित करना, ये घटनाएं समाज में बढ़ती धार्मिक असहिष्णुता का प्रतीक हैं।
सभा का समापन मूलनिवासी तारेश सुरतावान के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ, जबकि इसका संचालन कवर्धा जिलाध्यक्ष अजित मिरी ने किया। सभा के बाद सभी प्रदर्शनकारियों ने सिटी कोतवाली पहुंचकर अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा और न्याय की उम्मीद जताई। अब देखना यह है कि इस विरोध प्रदर्शन के बाद प्रशासन कब तक आरोपियों को सलाखों के पीछे पहुंचाता है।
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