कांकेर में आयोजित प्रेस वार्ता में सर्व आदिवासी समाज ने शासन-प्रशासन को दिया अल्टीमेटम
कांकेर (पब्लिक फोरम)। सर्व आदिवासी समाज ने बस्तर संभाग में आदिवासियों के अधिकारों के हनन, उनकी लगातार हो रही उपेक्षा और क्षेत्र के ज्वलंत मुद्दों को लेकर शासन-प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। शनिवार को कांकेर में आयोजित एक प्रेस वार्ता में समाज ने अवैध बांग्लादेशी नागरिकों पर कठोर कार्रवाई, स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार, शिक्षा व्यवस्था में सुधार और खनिज संपदा के संरक्षण जैसी कई महत्वपूर्ण मांगें उठाते हुए चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने इन पर ध्यान नहीं दिया तो एक बड़ा जनआंदोलन किया जाएगा।
मुख्य बिंदु:-
– अवैध बांग्लादेशी नागरिकों द्वारा जमीन कब्जा, वनों की कटाई और आदिवासी बेटियों के शोषण का आरोप।
– तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की नौकरियों में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता देने की पुरजोर मांग।
– नई शिक्षा नीति के बावजूद स्थानीय भाषा के शिक्षकों की कमी पर चिंता व्यक्त की।
– खदानों के निजीकरण का विरोध, कहा- “खनिज संपदा पर पहला हक आदिवासियों का।”
– मांगें न माने जाने पर बड़े और उग्र आंदोलन की चेतावनी।
घुसपैठ, जमीन पर कब्जा और संस्कृति पर हमला
सर्व आदिवासी समाज के जिला अध्यक्ष कन्हैया उसेंडी ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि कांकेर सहित पूरे बस्तर में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिक आदिवासी समुदाय के लिए एक बड़ा खतरा बन गए हैं। उन्होंने आरोप लगाया, “ये लोग न केवल आदिवासियों की जमीनों पर अवैध कब्जा कर रहे हैं, बल्कि जंगलों को भी नष्ट कर रहे हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि हमारी बेटियों का शोषण किया जा रहा है।”
उन्होंने सरकार की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि टास्क फोर्स की जांच केवल रोहिंग्या मुसलमानों तक सीमित क्यों है? उन्होंने मांग की कि बिना ग्रीन कार्ड के रह रहे अवैध बांग्लादेशियों पर भी तत्काल और कठोर कार्रवाई हो। इसके साथ ही, बाहरी लोगों का रिकॉर्ड रखने के लिए ‘मुसाफिरी पंजीयन’ को अनिवार्य करने की मांग की गई, ताकि स्थानीय संस्कृति और आदिवासियों के कानूनी अधिकारों की रक्षा हो सके।
स्थानीय युवाओं के रोजगार का सवाल
समाज ने इस बात पर गहरी नाराजगी जताई कि स्थानीय युवाओं को सरकारी नौकरियों में उनका हक नहीं मिल रहा है। आदिवासी समाज ने मांग की कि तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की शासकीय सेवाओं में भर्ती के लिए बस्तर संभाग के मूल निवासियों को शत-प्रतिशत प्राथमिकता दी जाए। जिला प्रवक्ता तामेश्वर नाग ने कहा, “हमारे युवा व्यापम जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में बाहरी उम्मीदवारों से प्रतिस्पर्धा कैसे कर सकते हैं, जबकि यहाँ की शैक्षणिक परिस्थितियाँ और सुविधाएं समान नहीं हैं? यह हमारे युवाओं के साथ अन्याय है।” समाज ने यह भी मांग की कि विभागों में वर्षों से रुकी हुई प्रमोशन प्रक्रिया को तेज किया जाए, ताकि नीचे के पद खाली हों और नई भर्तियों का रास्ता खुल सके।
लचर शिक्षा व्यवस्था और हाशिये पर आदिवासी समुदाय
प्रेस वार्ता में शिक्षा की गिरती गुणवत्ता पर भी गहरी चिंता व्यक्त की गई। समाज के पदाधिकारियों ने कहा कि एक तरफ सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत स्थानीय बोली-भाषा में शिक्षा देने की बात करती है, वहीं दूसरी तरफ बस्तर के स्कूलों में स्थानीय भाषा जानने वाले शिक्षकों की भारी कमी है। शिक्षकों के सेटअप में कटौती के फैसले को आदिवासी बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ बताया गया।
इसके अलावा, पारधी आदिवासी समाज को जाति प्रमाण पत्र जारी न किए जाने का मुद्दा भी प्रमुखता से उठाया गया। समाज ने कहा, “दशकों से यहां रह रहे पारधी समाज के बच्चों को प्रमाण पत्र नहीं मिल पा रहा है, जिससे वे शिक्षा और सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित हो रहे हैं।” आश्रमों और छात्रावासों में छात्राओं की सुरक्षा को लेकर भी प्रशासन से कड़े कदम उठाने की अपील की गई।
खनिज संपदा का निजीकरण बर्दाश्त नहीं
सर्व आदिवासी समाज ने बस्तर की बेशकीमती खनिज संपदा को निजी हाथों में सौंपने का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने इसे आदिवासी हितों के खिलाफ एक बड़ी साजिश बताते हुए कहा, “जल, जंगल, जमीन और खनिज पर पहला हक यहाँ के मूल निवासियों का है।” समाज ने मांग की कि खदानों का संचालन सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSU) के माध्यम से किया जाए, जिससे होने वाले लाभ का उपयोग क्षेत्र के विकास और स्थानीय लोगों को रोजगार देने में हो। साथ ही, पेसा कानून को उसके मूल स्वरूप में प्रभावी ढंग से लागू करने की भी मांग की गई।
आर-पार की लड़ाई का ऐलान
समाज ने स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि उनकी मांगों पर शीघ्रता से विचार कर कार्रवाई नहीं की गई, तो वे शांत नहीं बैठेंगे और एक विशाल जनआन्दोलन की राह अपनाएंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी। समाज ने बस्तर के सभी सामाजिक संगठनों और जागरूक नागरिकों से इस लड़ाई में एकजुट होने का आह्वान किया है।
इस महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता के दौरान समाज के उपाध्यक्ष डीआर ध्रुव, हल्बा समाज के जिलाध्यक्ष प्रकाश दीवान, ब्लॉक अध्यक्ष विनोद शोरी, पारधी समाज के जिलाध्यक्ष भगवान सिंह शोरी, और ध्रुव गोंड समाज के प्रमुख रत्तू राम नेताम सहित कई अन्य पदाधिकारी भी उपस्थित रहे।
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