“स्थानीय निवासियों और पर्यावरणविदों में रोष”
पाढ़ीमार, कोरबा/छत्तीसगढ़ (पब्लिक फोरम)। भारत अल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) के विरुद्ध एक गंभीर आरोप सामने आया है। कंपनी द्वारा बहुमंजिला इमारत निर्माण के लिए जिन खसरा नंबरों की अनुमति ली गई थी, उन स्थानों पर निर्माण न करके अन्य सरकारी भूमि पर निर्माण कार्य किया जा रहा है। यह मामला प्रशासनिक लापरवाही और भूमि अतिक्रमण का एक गंभीर उदाहरण है।
विसंगति के तथ्य
विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज पाढ़ीमार स्थित बालको सेक्टर 6 कॉलोनी खसरा क्रमांक 81, 83/2, 84, 85, 86/1 और 86/2 में स्थित है। इन खसरा नंबरों की भूमि में घास का मैदान, आम रास्ता और बड़े झाड़ का जंगल शामिल है।
परंतु चौंकाने वाली बात यह है कि बालको द्वारा वर्तमान में जो बहुमंजिला इमारत का निर्माण किया जा रहा है, वह बिल्कुल अलग खसरा नंबरों पर है। प्रशासन द्वारा कंपनी को खसरा क्रमांक 143, 154, 155, 158, 175, 177, 180, 185, 191, 197, 156, 176, 181, 183, 184 और 198 – कुल 16 खसरा नंबरों के लिए बहुमंजिला इमारत निर्माण की अनुमति दी गई है।
क्या है मुख्य समस्या?
सबसे गंभीर बात यह है कि जिन खसरा नंबरों के लिए निर्माण की अनुमति मिली है, उन स्थानों पर निर्माण नहीं हो रहा। बल्कि सेक्टर 6 की घास, रास्ता और बड़े झाड़ के जंगल वाली सरकारी भूमि पर निर्माण कार्य चल रहा है। यह स्पष्ट रूप से नियमों का उल्लंघन है।
स्थानीय निवासियों की चिंताएं
स्थानीय निवासियों का आरोप है कि सेक्टर 6 के मूल खसरा नंबरों को बदलकर अनुमतिप्राप्त खसरा नंबरों से मिला दिया गया है। यह भूमि रिकॉर्ड में गंभीर हेराफेरी का मामला है।
स्थानीय लोगों का सवाल है कि जब सरकार के पास सेक्टर 6 का पुराना और सही रिकॉर्ड मौजूद है, तो फिर अलग खसरा नंबरों को इसी स्थान का खसरा नंबर मानकर अनुमति क्यों दी गई?
सामाजिक कार्यकर्ताओं और पर्यावरणविदों में भी इस मुद्दे को लेकर भारी रोष है। वे इसे पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों के साथ खिलवाड़ मानते हैं। शासकीय भूमि, बड़े झाड़ की जंगल पर अवैध निर्माण से पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान हो रहा है।
तत्काल कार्रवाई की मांग
स्थानीय निवासियों और पर्यावरणविदों की मांग है कि:
– प्रशासन तुरंत इस मामले का संज्ञान ले।
– निर्माण कार्य को तत्काल बंद कराया जाए।
– संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाए।
– भूमि रिकॉर्ड की संपूर्ण जांच हो।
प्रशासनिक जवाबदेही पर सवाल!
यह मामला केवल भूमि अतिक्रमण का नहीं, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था की पारदर्शिता पर भी गंभीर सवाल खड़ा करता है। जब सरकारी रिकॉर्ड स्पष्ट रूप से उपलब्ध है, तो फिर ऐसी गंभीर किस्म की प्रशासनिक गलती कैसे हो सकती है? यह वाकिया प्रशासनिक तंत्र की विश्वसनीयता पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मामला “शासन-प्रशासन और आम जनता की आंखों में धूल झोंकने” का है। अब देखना है कि प्रशासन इस गंभीर मुद्दे पर क्या कार्रवाई करता है और जनता के सवालों का क्या जवाब देता है।
– यह ख़बर स्थानीय सूत्रों, आदिवासी संगठन और निवासियों की शिकायतों पर आधारित है। इस मुद्दे पर बालको कंपनी की प्रतिक्रिया का इंतजार है।
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